श्रद्धालुओं के लिए माता वैष्णो देवी की यात्रा और होगी सुगम, शेड डालने के लिए बस 7KM का बचा है मार्ग

By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 27, 2020 06:02 PM2020-01-27T18:02:55+5:302020-01-27T18:05:00+5:30

वैष्णो माता मार्गः वर्ष 2012-13 में आपदा प्रबंधन के लिए बोर्ड ने काम शुरू किए। 170 करोड़ खर्च किए गए। पहाड़ों से गिरने वाले पत्थर रोकने के लिए शेड बनाने का कार्य शुरू किया गया। यात्रा के दो मार्ग हैं। एक 13 किलोमीटर और दूसरा 11 किलोमीटर का है। बोर्ड

Jammu Kashmir: vaishno mata mandir track, vaishno Devi Shrine Board | श्रद्धालुओं के लिए माता वैष्णो देवी की यात्रा और होगी सुगम, शेड डालने के लिए बस 7KM का बचा है मार्ग

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Highlightsमाता वैष्णो देवी की यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों को पहाड़ से गिरने वाले पत्थरों से बचाने के लिए वर्ष 2021 तक पूरे यात्रा मार्ग को शेड से ढकने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सात किलोमीटर यात्रा मार्ग ही शेष बचा है जिसे शेड से ढकना बाकी है।

माता वैष्णो देवी की यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों को पहाड़ से गिरने वाले पत्थरों से बचाने के लिए वर्ष 2021 तक पूरे यात्रा मार्ग को शेड से ढकने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल, सात किलोमीटर यात्रा मार्ग ही शेष बचा है जिसे शेड से ढकना बाकी है। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए बोर्ड के कर्मचारियों व अधिकारियों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है। श्राइन बोर्ड के पास अपना आपदा प्रबंधन ढांचा है।

वर्ष 2012-13 में आपदा प्रबंधन के लिए बोर्ड ने काम शुरू किए। 170 करोड़ खर्च किए गए। पहाड़ों से गिरने वाले पत्थर रोकने के लिए शेड बनाने का कार्य शुरू किया गया। यात्रा के दो मार्ग हैं। एक 13 किलोमीटर और दूसरा 11 किलोमीटर का है। बोर्ड ने 24 किमी के क्षेत्र में 17 किमी मार्ग को शेड से कवर कर दिया है। सात किमी क्षेत्र शेष बचा है। वर्ष 2021 के अंत तक पूरे क्षेत्र को शेड से कवर कर लिया जाएगा। जो शेड लगाए हैं उनमें स्प्रिंग एक्शन होता है। पत्थर शेड पर गिरने के बाद नीचे गिर जाते हैं।

अधिकारी कहते थे कि यात्रा मार्ग पहाड़ी है, साथ में जंगल है। पत्थर गिरने वाले क्षेत्र हैं, वन्य जीव क्षेत्र है। रियासी जिले में सबसे अधिक बारिश होती है। भूकंप, पहाड़ों से पत्थर गिरने, वनों में आग, तूफान जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग एनडीआरएफ से ली जा रही है। आपदा प्रबंधन स्टोर में पर्याप्त उपकरण मौजूद हैं।

यह भी सच है कि पिछले दो साल में पत्थर गिरने से किसी यात्री की मौत नहीं हुई है। पर इस महीने तीन श्रद्धालु जख्मी जरूर हो गए थे। अधिकारी कहते थे कि चट्टानें मूव करती रहती हैं जिससे खतरा रहता है। वहां पर कुछ क्षेत्र संवेदनशील हैं इसलिए रडार और अन्य उपकरणों की मदद से यह पता लगाया जाएगा कि क्या हलचल हो रही है। इससे हम पहले ही अलर्ट कर सकते हैं।

यूं तो यात्रा मार्ग पर भूस्खलन और पत्थरों के गिरने की घटनाएं पहले भी हुआ करती थीं लेकिन यह अक्सर बारिश के दौरान ही होती थीं परंतु जबसे श्राइन बोर्ड ने पहाड़ों को विभिन्न स्थानों से काट कर निर्माण कार्यों में तेजी लाई है ऐसे हादसों में भी तेजी आई है। हालांकि श्राइन बोर्ड के अधिकारी ऐसे हादसों के लिए प्रकृति को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन इस सच्चाई से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि जिन त्रिकुटा पहाड़ों पर वैष्णोदेवी की गुफा है उसके पहाड़ लूज राक से बने हुए हैं जो निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे विस्फोटकों के कारण कमजोर पड़ते जा रहे हैं।

नतीजतन वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले एक करोड़ के करीब श्रद्धालुओं के सिरों पर भूस्खलन और गिरते पत्थरों के रूप में मौत लटक रही है। इसका खतरा कितना है इस महीने के शुरू में हुए हादसे से भी स्पष्ट होता है जिसमें तीन श्रद्धालु जख्मी हो गए थे। यूं तो श्राइन बोर्ड ने एतिहात के तौर पर नए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह इन गिरते पत्थरों से बचने की चेतावनी देने वाले साइन बोर्ड लगा रखे हैं तथा बचाव के लिए टीन के शेडों का निर्माण करवा रखा है परंतु गिरते पत्थरों को कई बार ये टीन के शेड नहीं रोक पाते हैं, इसे श्राइन बोर्ड के अधिकारी जरूर मानते हैं। बरसात और बारिश के दिनों में यह खतरा और बढ़ जाता है तो भीड़ के दौरान ये टीन के शेड थोड़े से लोगों को ही शरण दे पाते हैं।

Web Title: Jammu Kashmir: vaishno mata mandir track, vaishno Devi Shrine Board

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