जम्मू संभाग में आतंकी हमलों और शहादतों का खूनी इतिहास रहा है

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 12, 2021 02:50 PM2021-10-12T14:50:22+5:302021-10-12T15:00:17+5:30

एलओसी से सटे पुंछ और राजौरी के जुड़वा जिलों की सीमा पर कल हुई मुठभेड़ में पांच सैनिकों की शहादत जम्मू संभाग में कोई पहली नहीं है बल्कि आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही जम्मू संभाग भी कभी भी आतंकी हमलों और सैनिकों की शहादत से अछूता नहीं रहा है।

jammu kashmir terrorist attack indian army martyred | जम्मू संभाग में आतंकी हमलों और शहादतों का खूनी इतिहास रहा है

पुंछ मुठभेड़ में शहीद हुए जवान. (फोटो: ट्विटर)

Highlightsसेना के जवानों को बड़े पैमाने पर सबसे पहले जम्मू संभाग में 14 मई 2002 को निशाना बनाया गया था.इन हमलों में सिर्फ जम्मू संभाग में 100 से अधिक आतंकी मारे गए गए थे।

जम्मू: एलओसी से सटे पुंछ और राजौरी के जुड़वा जिलों की सीमा पर कल हुई मुठभेड़ में पांच सैनिकों की शहादत जम्मू संभाग में कोई पहली नहीं है बल्कि आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही जम्मू संभाग भी कभी भी आतंकी हमलों और सैनिकों की शहादत से अछूता नहीं रहा है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सेना के जवानों को बड़े पैमाने पर सबसे पहले जम्मू संभाग में 14 मई 2002 को निशाना बनाया गया था, जब आतंकियों ने कालूचक गैरीसन में सेना के फैमिली र्क्वाटरों में घुसकर कत्लेआम मचाते हुए 36 से अधिक जवानों और उनके परिवारों के सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था।

इसके बाद तो जम्मू संभाग कई ऐसे आतंकी हमलों का गवाह बनने लगा, जिसमें बड़ी संख्या में जवान और अफसर शहीद होने लगे थे। पहली घटना के करीब 13 महीनों के उपरांत ही आतंकियों ने 28 जून, 2003 को जम्मू के सुंजवां में स्थित सेना की ब्रिगेड पर हमला बोला तो 15 जवान शहीद हो गए।

इतना जरूर था कि आतंकियों ने इस हमले के 15 सालों के बाद फिर से सुंजवां पर 10 फरवरी 2018 को हमला बोल 10 जवानों को मार डाला था।

हमले और शहादतें यहीं नहीं रूकी थीं। वर्ष 2003 में ही 22 जुलाई को जम्मू के अखनूर में आतंकियों ने एक और सैनिक ठिकाने पर हमला बोला तो ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी समेत 8 सैनिकों को शहादत देनी पड़ी। 

यह सिलसिला बढ़ता गया और आतंकी हमले करते रहे। जवान शहीद होते गए। इतना जरूर था कि अखनूर में वर्ष 2003 में हुए हमले के उपरांत करीब 10 सालों तक जम्मू संभाग में सुरक्षबलों पर कोई बड़ा हमला नहीं हुआ था।

एक बार आतंकियों ने पाक सेना के जवानों के साथ मिल कर 6 अगस्त, 2013 को पुंछ के चक्का दा बाग में बैट हमला किया तो 5 जवानों को जान गंवानी पड़ी। 

जबकि इसी साल इस हमले के एक महीने के बाद ही 6 सितम्बर, 2013 को आतंकियों ने सांबा व कठुआ के जिलों में हमले कर 4 सैनिकों व 4 पुलिसकर्मियों को जान से मार डाला। इनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक का अधिकारी भी शामिल था।

इंटरनेशनल बार्डर से सटे अरनिया में भी 27 नवम्बर, 2014 को आतंकी हमले में 3 जवानों को जान गंवानी पड़ी थी तो वर्ष 2016 को 29 नवम्बर के दिन आतंकियों ने नगरोटा स्थित कोर हेडर्क्वाटर पर हमला बोल कर दो अफसरों समेत 7 जवानों को शहीद कर दिया था।

ऐसा भी नहीं है कि आतंकियों के हमलों में सिर्फ सैनिकों, जवानों व नागरिकों को ही जानें गंवानी पड़ी थी, बल्कि प्रत्येक हमले में आतंकी मारे गए थे और इन हमलों में सिर्फ जम्मू संभाग में 100 से अधिक आतंकी मारे गए गए थे।

Web Title: jammu kashmir terrorist attack indian army martyred

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