जम्मू कश्मीर: प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर तैनात करना शुरू किया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 4, 2022 07:30 AM2022-06-04T07:30:53+5:302022-06-04T07:37:26+5:30

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में कश्मीर घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की समीक्षा की गई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, थलसेना प्रमुख मनोज पांडे तथा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बैठक में हिस्सा लिया।

jammu kashmir tergeted killing minority communities amit shah review meeting | जम्मू कश्मीर: प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर तैनात करना शुरू किया

जम्मू कश्मीर: प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर तैनात करना शुरू किया

Highlightsकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को कश्मीर से जम्मू स्थानांतरित करने की मांगों पर सहमत नहीं।राहुल भट की हत्या के बाद से सामूहिक पलायन का खतरा उत्पन्न हो गया है।

श्रीनगर:जम्मू कश्मीर में लगातार निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बाद प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के सभी कर्मचारियों को घाटी के भीतर सुरक्षित स्थानों पर तैनात करना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में कश्मीर घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की समीक्षा की गई। घाटी में आतंकी संगठनों, खासतौर पर लश्कर ए तैयबा द्वारा चुनिंदा तरीके से सिलसिलेवार हत्याएं किये जाने के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी। 

मृतकों में गैर मुस्लिम, सुरक्षा कर्मी, एक कलाकार और स्थानीय निवासी शामिल हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, थलसेना प्रमुख मनोज पांडे तथा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उन प्रमुख लोगों में शामिल थे जिन्होंने इस बैठक में हिस्सा लिया।

जम्मू कश्मीर प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को कश्मीर से जम्मू स्थानांतरित करने की मांगों पर सहमत नहीं होंगे। सूत्रों ने कहा कि किसी भी समूह के लोगों की ओर से ऐसी कोई भी मांग वास्तव में बहुत, बहुत प्रतिकूल है। प्रशासन घाटी छोड़ने वाले लोगों का समर्थन नहीं करता है।

उन्होंने कहा कि लक्षित हत्याओं का सिलसिला निश्चित रूप से रुकेगा। यह पिछले अक्टूबर में हुआ था, हमने इसे नियंत्रित किया। यह अब हो रहा है; हम इसे नियंत्रित करेंगे। इस वजह से हम सुविधा नहीं देंगे... फिर, 1990 के दशक और अब में क्या अंतर होगा? हमारा सिस्टम इसका ख्याल रखेगा।

बता दें कि, प्रधानमंत्री पैकेज के तहत 2012 में नियुक्त किये गये कश्मीरी पंडित, राहुल भट की हत्या के बाद से प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे सामूहिक पलायन का खतरा उत्पन्न हो गया है। मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के चदूरा में 12 मई को भट की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। भट की हत्या की घटना के मद्देनजर विभिन्न स्थानों पर करीब 6,000 कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया है, जो उन्हें घाटी से बाहर ले जाने की मांग कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार को दो अलग-अलग घटनाओं में कश्मीर में एक बैंककर्मी एवं ईंट भट्टा मजदूर की हत्या कर दी गयी जबकि एक अन्य मजदूर को घायल कर दिया गया। एक मई के बाद से कश्मीर में बैंककर्मी की हत्या नौंवी तथा श्रमिक की हत्या चुनिंदा ढंग से की गयी दसवीं हत्या थी। 

मंगलवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों ने जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की एक अध्यापिका की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अठारह मई को उत्तरी कश्मीर के बारामूला में आतंकवादी शराब की एक दुकान में घुस गये थे और उन्होंने बम फेंककर जम्मू क्षेत्र के एक व्यक्ति को मार डाला था एवं तीन अन्य को घायल कर दिया था। 

श्रीनगर में 24 मई को पुलिसकर्मी सैफुल्लाह को उनके घर में ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी थी जबकि उसके दो दिन बाद ही बडगाम में अमरीन भट्ट को मौत के घाट उतार दिया गया था।

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