कश्मीर वादी में 21 मई को हड़ताल का आह्वान, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

By सुरेश डुग्गर | Published: May 20, 2019 09:00 PM2019-05-20T21:00:34+5:302019-05-20T21:00:34+5:30

हुर्रियत के कार्यक्रम के चलते सुरक्षा के मद्देनजर श्रीनगर के तीन थाना क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित रहेंगे। यहां तक कि इन इलाकों में स्कूल, बैंक और सरकारी कार्यालय भी बंद के असर से जूझ रहे हैं।

jammu kashmir: strike on 21 May in Kashmir Valley, tight security arrangements | कश्मीर वादी में 21 मई को हड़ताल का आह्वान, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

कश्मीर वादी में 21 मई को हड़ताल का आह्वान, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

कश्मीर वादी में 21 मई को हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस अवसर पर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस राजधानी में कुछ कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। वहीं कुछ इलाकों में बंद के हालात है, जिससे आम जन जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। गौरतलब है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस श्रीनगर में अपने पूर्व नेता अब्दुल गनी लोन और मीरवाइज मुहम्मद फारुख की पुण्य तिथि मना रही है। इसी के उपलक्ष्य में एक हफ्ते तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसको देखते हुए पुलिस ने कई इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी है।

हुर्रियत के कार्यक्रम के चलते सुरक्षा के मद्देनजर श्रीनगर के तीन थाना क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित रहेंगे। यहां तक कि इन इलाकों में स्कूल, बैंक और सरकारी कार्यालय भी बंद के असर से जूझ रहे हैं।

यह सच है कि राज्य में 21 मई का एक खूनी इतिहास है। वर्ष 2006 में 21 मई को श्रीनगर मंे कांग्रेस की रैली पर होेने वाला हमला कश्मीर के इतिहास में कोई पहला हमला नहीं था। किसी जनसभा पर आतंकी हमले का कश्मीर का अपना उसी प्रकार एक रिकार्ड है जिस प्रकार कश्मीर में 21 मई को होने वाली खूनी घटनाओं का इतिहास है। आम कश्मीरी तो 21 मई को सताने वाला दिन कहते हैं जब हर वर्ष आग बरसती आई है।

कश्मीर में रैलियों और जनसभाओं पर हमले करने की घटनाएं वैसे पुरानी भी नहीं हैं। इसकी शुरूआत वर्ष 2002 में ही हुई थी जब पहली बार आतंकियों ने 21 मई के ही दिन श्रीनगर के ईदगाह में मीरवायज मौलवी फारूक की बरसी पर आयोजित सभा पर अचानक हमला बोल कर पीपुल्स कांफ्रेंस के तत्कालीन चेयरमेन प्रो अब्दुल गनी लोन की हत्या कर दी थी।

वर्ष 2002 में ही उन्होंने करीब 14 रौलियों और जनसभाओं पर हमले बोले थे। इनमें 37 से अधिक लोग मारे गए थे। सबसे अधिक हमले 11 सितम्बर को बोले गए थे जिसमें तत्कालीन कानून मंत्री मुश्ताक अहमद लोन भी मारे गए थे। हालांकि उसी दिन कुल 9 चुनावी रैलियों पर हमले बोले गए थे जिसमें कई मासूमों की जानें चली गई थीं।

इतना जरूर है कि वर्ष 2006 में 21 मई को हुआ हमला कश्मीरियों को फिर यह याद दिला गया था कि 21 मई के साथ कश्मीर का खूनी इतिहास जुड़ा हुआ है। आतंकवाद की शुरूआत के साथ ही 21 मई कश्मीरियों को कचोटती रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर 23 साल पहले आतंकवादियों ने 21 मई के दिन हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवायज उमर फारूक के अब्बाजान मीरवायज मौलवी फारूक की नगीन स्थित उनके निवास पर हत्या कर दी थी। इस हत्या के बाद ही कश्मीर में आतंकवाद ने नया मोड़ लिया था और आज यह इस दशा में पहुंचा है।

Web Title: jammu kashmir: strike on 21 May in Kashmir Valley, tight security arrangements

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे