Kashmir Snowfall: बर्फ से ढका मां वैष्णो देवी का भवन, श्रद्धालु दर्शन के साथ-साथ ले रहे हैं आनंद, देखें
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 8, 2022 02:05 PM2022-01-08T14:05:35+5:302022-01-08T14:06:33+5:30
Kashmir Snowfall: बर्फ के बीच खेलते श्रद्धालु सेल्फी व फोटो शूट करते हुए नजर नजर आ रहे हैं। भवन पर 3 से 4 इंच व भैरों घाटी 4 से 5 इंच बर्फवारी दर्ज की गई है।
Kashmir Snowfall: प्रसिद्ध तीर्थस्थान वैष्णो देवी में भैरो घाटी से लेकर माता वैष्णो देवी भवन के बीच रात से हो रही बर्फबारी ने भवन सहित पूरे त्रिकुट पर्वत को सफेद चादर से ढक दिया है। बर्फ के बीच माता वैष्णो देवी का दरबार स्वर्ग का अनुभव करवा रहा है।
वहीं देश के दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालु इस आलोकिक नजारे का मजा लेते हुए साफ नजर आते हैं। बर्फ के बीच खेलते श्रद्धालु सेल्फी व फोटो शूट करते हुए नजर नजर आ रहे हैं। भवन पर 3 से 4 इंच व भैरों घाटी 4 से 5 इंच बर्फवारी दर्ज की गई है। मौसम लगातार खराब बना हुआ है बारिश लगातार हो रही है।
भैरो घाटी व माता वैष्णो देवी भवन पर बर्फबारी का सिलसिला शुक्रवार शाम को ही शुरू हो गया था। बारिश व बर्फबारी के बाद श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने शुक्रवार शाम 7 बजे यात्रा को स्थगित कर दिया था। आज सुबह छह बजे एक बार फिर यात्रा को शुरू किया गया।
बर्फ के कारण मार्ग पर फिसल हो गई है परंतु बोर्ड के कर्मचारी निरंतर मार्ग को साफ कर रहे हैं। यही नहीं वहां से गुजर रहे श्रद्धालुओं को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है। दूर से रोशनी से जगमगाता सफेद चादर में लिपटा मां वैष्णो देवी का भवन हर किसी को आकर्षित कर रहा है। आसमान से गिरती बर्फ व सर्द मौसम की परवाह न करते हुए देश भर से मां वैष्णों के दर्शनों के लिए यहां पहुंचे श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए निरंतर भवन की ओर बढ़ रहे हैं। जो श्रद्धालु मां के दर्शन कर वापिस लौट रहे हैं, उनके चेहरों पर भी चमक नजर आ रही है।
कल सुबह से भवन पर हो रही बर्फबारी के कारण सांझी छत हैलीपैड पर भी बर्फ जम चुकी थी, जिसकी वजह से बोर्ड ने दोपहर बाद इसे बंद कर दिया। आज भी बर्फबारी जारी रहने की वजह से हैलीकाप्टर सेवा शुरू नहीं की गई। हालांकि बोर्ड ने अपने कर्मचारियों को बैटरी कार मार्ग व भैरव घाटी मार्ग पर भी नजर रखने को कहा है।
यदि इन मार्ग पर फिसलन बढ़ जाती है तो श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा को ध्यान में रखते हुए ये मार्ग भी बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालु केवल पुराने रास्ते से ही जा पाएंगे। भवन के पास, सांझी छत और भैरव घाटी में श्रद्धालु बर्फ की सफेद चादर पर खेलते, सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं।
बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि सांझी छत हैलीपैड पर बर्फ हटाने का काम जारी है। बर्फ हटने व मौसम में सुधार के बाद ही हैलीकाप्टर सेवा शुरू की जा सकती है। भवन पर भी बर्फबारी हो रही है। भैरव घाटी व त्रिकुटा पर्वत पर अधिक बर्फबारी हो रही है।
जबरदस्त बर्फबारी से कहीं मौजां और खुशी, कहीं आफत और परेशानी
कश्मीर के वुल्लर झील के पास रहने वाला फाजिली बर्फबारी के लिए हाथ उठा कर खुदा का शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकता था। साथ ही वह यह भी दुआ कर रहा था कि अब और बर्फबारी न हो और न ही हिम सुनामी तथा एवलांच हो क्योंकि राज्यभर में जबरदस्त बर्फबारी से अगर कहीं मौजां और खुशी का माहौल था तो कहीं पर यह अब आफत और परेशानी का सबब भी बनने लगी थी।
कई सालों का रिकार्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है। खुशी का कारण सफेद चाद्दर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।
बर्फबारी के नजारे लेने कश्मीर की ओर सैलानियों के बढ़ते कदमों के कारण ही पिछले साल आने वाले टूरिस्टों की संख्या ने हालांकि कोई रिकार्ड या आंकड़ा कायम नहीं किया था क्योंकि पहले कोरोना और अब कोरोना 3.0 की दहशत थी। पर फाजिली के बकौल, अगर खुदा ने चाहा तो बर्फ से लदे पहाड़ों की गोद में बैठ बर्फ से खेलने में मस्त सैलानियों की भीड़ को देख उसे यह आस जगने लगी थी कि यह आंकड़ा इस बार कोई नया रिकार्ड बना डालेगा। प्रदेश में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर हुई बर्फबारी इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी।
गर्मियों में पीने तथा कृषि के लिए पानी की कमी के साथ-साथ बिजली संकट से सामना नहीं होगा, जबरदस्त बर्फबारी ने इसे सुनिश्चित जरूर कर दिया है। दरअसल प्रदेश की सभी पनबिजली परियोजनाएं बर्फबारी पर ही इसलिए निर्भर हैं क्योंकि प्रदेश के दरियाओं में पानी बर्फ के पिघलने से ही आता है।
पर यह बर्फबारी आफत और परेशानी का सबब भी बन चुकी थी। वर्ष 2018 में गुलमर्ग में हिमस्खलन के दौरान बीसियों सैनिकों की मौत की घटना के अतिरिक्त वर्ष 2005 तथा वर्ष 2008 में राज्य के कई हिस्सों में आए हिम सुनामी की याद से ही आम कश्मीरी सिंहर उठता है। हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।
वैसे दुर्गम स्थानों में रहने वालों के लिए यह किसी सुनामी से कम नहीं है कि बर्फबारी के कारण उनकी जिन्दगी नर्क बन चुकी है क्योंकि प्रदेश के कई गांव पूरी दुनिया से कट चुके हैं। बीमारों के लिए कोई राहत नहीं है। खाने-पीने की वस्तुओं की कमी भी महसूस की जाने लगी है। हालांकि इन सबके बीच सरकारी दावे जारी थे जबकि इन दावों की सच्चाई यह थी कि प्रदेश के विभिन्न राजमार्गों और लिंक मार्गों से बर्फ हटाने का कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया था जबकि भूस्खलन कई मार्गों में जान का खतरा पैदा किए हुए था।