JK: बडगाम की यात्रा से पहले महबूबा मुफ्ती हुईं नजरबंद, कहा विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों से नहीं मिलने दी भाजपा सरकार
By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 13, 2022 06:02 PM2022-05-13T18:02:59+5:302022-05-13T18:09:12+5:30
इससे पहले जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि श्रीलंका में जो कुछ भी हुआ उससे भारत सरकार को सबक लेना चाहिए।
जम्मू: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए बोला है कि उनकी बडगाम की यात्रा से पहले उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया है कि वह विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए जाना चाहती थीं, इस दौरान उन्हें जाने नहीं दिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि भारत सरकार द्वारा उनकी रक्षा करने में विफलता का विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए वह बडगाम का दौरा करना चाहती थी।
इस दौरान उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। इसके पीछे उनका तथ्य यह है कि कश्मीरी मुसलमान और पंडित एक-दूसरे के दर्द के प्रति सहानुभूति रखते हैं, यह उनके शातिर सांप्रदायिक आख्यान में फिट नहीं होता है।
श्रीलंका से भारत सरकार को लेनी चाहिए सबक-महबूबा मुफ्ती
इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने श्रीलंका से भारत सरकार को सबक लेने की बात कही थी। इस पर उन्होंने कहा था कि भारत को श्रीलंका के मौजूदा हालात से सबक लेना चाहिए, क्योंकि देश ‘उसी राह पर आगे बढ़ रहा है’ जिस रास्ते पर पड़ोसी देश है। आपको बता दें कि श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
इससे कुछ घंटों पहले उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमलाभी किया था। वहीं इस घटना के बाद पूरे देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा और राजधानी में सेना तैनात कर दी गई थी। इस हमले के बाद राजपक्षे के समर्थक नेताओं के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।
ट्वीट कर क्या कहा महबूबा मुफ्ती ने
श्रीलंका के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने भारत सरकार को सबक लेने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “श्रीलंका में जो कुछ भी हुआ उससे सबक लेना चाहिए। वर्ष 2014 से भारत को सांप्रदायिक भय की ओर धकेला जा रहा है। यह उसी अतिराष्ट्रवाद और धार्मिक बहुसंख्यकवाद के रास्ते पर जा रहा है। सामाजिक तानेबाने और आर्थिक सुरक्षा को इसकी कीमत चुकानी होगी।”
भाषा इन्पुट के साथ