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केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू में ‘दरबार’ सजा, कश्मीर वालों को डर शाायद गर्मियों में वापस न लौटे ‘दरबार’

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 4, 2019 17:51 IST

जम्मू: गार्ड आफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद उपराज्यपाल ने विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर दरबार मूव के प्रबंधों, विकास कार्यों और सुरक्षा हालात समेत अन्य संबंधित मुद्दों का जायजा लिया।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर में 'दरबार' मूव की प्रक्रिया 1872 में शुरू हुई थीमहाराजा रणबीर सिंह ने बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए शुरू की थी ये प्रथा

कश्मीरियों की आशंका के माहौल के बीच केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की शीतकालीन राजधानी जम्मू में आज सोमवार सुबह ‘दरबार’ सज गया। अब छह महीने के लिए नागरिक सचिवालय व अन्य मूव कार्यालय जम्मू में ही काम करेंगे। लेकिन इस बार दरबार को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं और अफवाहें आशंका का माहौल भी पैदा कर रही हैं।

पहले अफवाह यह थी कि यह श्रीनगर में ही रहेगा और अब कश्मीरियों को यह अफवाह चिंता में डाले हुए है कि क्या गर्मियों की शुरूआत में दरबार अपनी परंपरा को कायम रखेगा।

हालांकि दरबार मूव की प्रक्रिया एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है लेकिन इस बार खास यह है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर बनने के बाद सरकार का पहला दरबार खुला है। उपराज्यपाल जीसी मुर्मू सुबह साढ़े नौ बजे के करीब सचिवालय पहुंचे। उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया।

गार्ड आफ ऑनर का निरीक्षण करने के बाद उपराज्यपाल ने विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर दरबार मूव के प्रबंधों, विकास कार्यों और सुरक्षा हालात समेत अन्य संबंधित मुद्दों का जायजा लिया।

पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य में जब लोकप्रिय सरकार के समय जम्मू या श्रीनगर में दरबार खुलता रहा है, उस समय मुख्यमंत्री पत्रकारों से रूबरू होते रहे हैं जिसमें सरकार की नीतियों समेत अन्य मुद्दों पर जवाब देते हैं। अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में दरबार खुलने पर पत्रकारवार्ता जैसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। जब उपराज्यपाल को गार्ड आफ ऑनर पेश किया गया तो उस समय मुख्यसचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के अलावा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

दरबार खुलने को देखते हुए सचिवालय के आसपास और अन्य जगहों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हालांकि आज किसी विपक्षी पार्टी का कोई जम्मू बंद नहीं है लेकिन कुछ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है।

दरबार खुलने पर जम्मू में कोई तामझाम इसलिए नजर नहीं आया क्योंकि इस समय विधानसभा नहीं है। विधान परिषद पहले ही भंग हो चुकी है। मंत्रियों व विधायकों का कोई काफिला नहीं है। वहीं दूसरी तरफ उपराज्यपाल ने रविवार देर शाम को पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के निवास पर जाकर उनसे मुलाकात की।

करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के हालात, विकास कार्यों पर विचार-विमर्श किया गया। पहले की तरह सचिवालय रोजाना दो बजे से लेकर शाम चार बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहा करेगा ताकि जनता अपने आवश्यक कामकाज करवा सकें।

जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रक्रिया वर्ष 1872 में महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में शुरू हुई थी। महाराजा रणबीर सिंह ने बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए दरबार को छह महीने श्रीनगर और छह महीने जम्मू में रखने की प्रथा शुरू की थी। महाराजा का काफिला अप्रैल माह में श्रीनगर के लिए रवाना हो जाता था व वापसी अक्टूबर महीने में होती थी।

कश्मीर की दूरी को देखते हुए बेहतर शासन की इस व्यवस्था को डोगरा शासकों ने वर्ष 1947 तक बदस्तूर जारी रखा। कश्मीर केंद्रित सरकारोंने इस व्यवस्था को जारी रखने का फैसला किया था। पर दरबार मूव की प्रक्रिया जम्मू कश्मीर के केंद्र शा िसत प्रदेश बन जाने में भी जारी रहेगी या नहीं फिलहाल कोई आधिकारिक फैसला नहीं हो पाया है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीर
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