जम्मू-कश्मीरः शोपियां में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवकों के शव कब्र से निकाल कर परिजनों को सौपे गए

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 3, 2020 04:07 PM2020-10-03T16:07:38+5:302020-10-03T16:08:12+5:30

इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मुहम्मद इबरार के परिवारों ने दावा किया था कि उनके बेटे शोपियां जिले में मजदूरों के रूप में काम करने आए थे और फर्जी मुठभेड़ में आतंकवादी बताकर मार दिए गए थे।

Jammu Kashmir: bodies of three youths killed in a fake encounter in Shopian were handed over to their relatives | जम्मू-कश्मीरः शोपियां में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवकों के शव कब्र से निकाल कर परिजनों को सौपे गए

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsजम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में 18 जुलाई को हुए मुठभेड़ में कथित तौर पर मारे गए तीन नागरिकों के शवों को शनिवार को अंतिम संस्कार के लिए परिवारों को सौंप दिया गया।तीनों मारे गए युवाओं के डीएनए नमूनों के मिलान के बाद परिजनों के दावे की पुष्टि की गई।

जम्मू: कश्मीर में उन 3 मुर्दों की कब्र में नींद को हराम कर उनके शवों को निकाल कर उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप ही दिया गया है। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि कश्मीर में कब्रों में आराम से सो रहे मुर्दों की नींद हराम की गई हो। जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में 18 जुलाई को हुए मुठभेड़ में कथित तौर पर मारे गए तीन नागरिकों के शवों को शनिवार को अंतिम संस्कार के लिए परिवारों को सौंप दिया गया। जम्मू संभाग के राजौरी जिले से ताल्लुक रखने वाले तीनों नागरिकों के शव 70 दिनों के बाद उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला जिले के गंतमुल्ला क्षेत्र में एक कब्रिस्तान से निकाले गए।

इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मुहम्मद इबरार के परिवारों ने दावा किया था कि उनके बेटे शोपियां जिले में मजदूरों के रूप में काम करने आए थे और फर्जी मुठभेड़ में आतंकवादी बताकर मार दिए गए थे।

परिवारों ने जब अपने बच्चों से संपर्क खो दिया, तब उन्होंने सोशल मीडिया पर 18 जुलाई को शोपियां जिले के अम्सिपोरा गांव में मुठभेड़ के बाद पोस्ट की गई उनकी तस्वीरों में उनकी पहचान की। तीनों मारे गए युवाओं के डीएनए नमूनों के मिलान के बाद परिजनों के दावे की पुष्टि की गई। इसके बाद पुलिस मारे गए लोगों के आतंकवादी लिंक को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं जुटा सकी।

सेना द्वारा आयोजित प्रारंभिक जांच अदालत ने स्वीकार किया कि अम्सिपोरा मुठभेड़ को अंजाम देने वालों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देने के लिए निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को नजरअंदाज कर अपनी सीमा को पार कर गए। सुरक्षाबलों के मुखबिर के रूप में काम करने वाले तीन स्थानीय लोगों से भी सेना की अदालत ने पूछताछ की थी। पुलिस ने इन ‘मुखबिरों’ को हिरासत में ले लिया है और मुठभेड़ में उनकी की भूमिका अब जांच की जा रही है।

तीनों की कब्र में नींद हराम करने के बाद एक बार फिर यह सच साबित हो गया है कि दुनिया में कश्मीर ही शायद ऐसा क्षेत्र होगा जहां मरने के बाद भी कब्र में आराम नहीं लेने दिया जाता है मृतकों को। कभी मरने वाले को कब्रिस्तान में जगह नहीं मिलती क्योंकि बढ़ते हुए मौत के आंकड़ों ने ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है तो कभी कब्रों में दफन लोगों को निकाल बाहर किया जाता है मात्र पहचान के लिए।

कुछ साल पहले उन चार विदेशी पर्यटक बंधकों की तलाश में कश्मीर के कई कब्रिस्तानों को उखाड़ फैंका गया था जिनके प्रति गिरफ्तार आतंकियों ने दावा किया था कि उनकी हत्या कर उन्हंे दफना दिया गया है तो अब राजौरी के उन तीन युवकों की कब्रों को उखाड़ा गया जिन्हें आतंकी बता मार दिया गया था।

इससे पहले लापता युवकों की तलाश में कब्रिस्तानों में दफन लाशों को उखाड़ा गया था जो पिछले कई सालों से लापता बताए जाते थे। लापता युवकों की तलाश में कब्रिस्तानों को आखिर क्यों उखाड़ा गया था इसके बारे में अधिकारी बताते थे कि इन युवकों के प्रति कुछ गिरफ्तार आतंकियों ने रहस्योदघाटन किए थे कि उनमें से कुछेक की हत्या विरोधी गुटों ने कर दी थी और उन्हें बाद में जहां स्थान मिला दफना दिया गया था।

Web Title: Jammu Kashmir: bodies of three youths killed in a fake encounter in Shopian were handed over to their relatives

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