कश्मीर में आज होगा ‘दरबार मूव’ बंद, अनुच्छेद 370 के खात्मे के बावजूद सरकार हिम्मत नहीं जुटा पा रही...
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 29, 2020 18:05 IST2020-10-29T18:05:06+5:302020-10-29T18:05:06+5:30
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में सरकार का दरबार जम्मू में 9 नवंबर से काम करेगा। इतना जरूर था कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और धारा 370 के खात्मे के बावजूद प्रशासन इस प्रथा को समाप्त करने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है जो डेढ़ सौ साल से जारी है और जिस पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये स्वाहा हो जाते हैं।

आतंकवाद का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रक्रिया को कामयाब बनाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।
जम्मूः राजधानी श्रीनगर में आज यानि शुक्रवार की शाम सचिवालय बंद (दरबार मूव) हो जाएगा। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर का दरबार मूव शुरू हो जाएगा।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में सरकार का दरबार जम्मू में 9 नवंबर से काम करेगा। इतना जरूर था कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने और धारा 370 के खात्मे के बावजूद प्रशासन इस प्रथा को समाप्त करने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है जो डेढ़ सौ साल से जारी है और जिस पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये स्वाहा हो जाते हैं।
जम्मू के सचिवालय कर्मियों को मिली दो दिन की विशेष छुट्टी जम्मू के सचिवालय कर्मचारी वीरवार दोपहर अपने घरों में पहुंच गए। राज्य सरकार ने उन्हें दो दिन की विशेष छुट्टी दी है। दूसरी ओर श्रीनगर सचिवालय में वीरवार को सरकारी विभागों के रिकॉर्ड को पैक कर दिया गया।
शुक्रवार दोपहर को प्रशासनिक सचिवों की मेजों पर पड़ी महत्वपूर्ण फाइलों को भी पैक कर जम्मू लाने की तैयारी हो जाएगी। अब सिर्फ कश्मीर के कर्मचारी ही काफिले में दो और तीन नवंबर को जम्मू आएंगे। आतंकवाद का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रक्रिया को कामयाब बनाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।
इस दौरान कड़ी व्यवस्था के बीच सचिवालय के अपने 35 विभागों, सचिवालय के बाहर के करीब इतने ही मूव कायालयों के करीब पंद्रह हजार कर्मचारी जम्मू व श्रीनगर रवाना होते रहते हैं। उनके साथ खासी संख्या में पुलिस कर्मी भी मूव करते हैं। तंगहाली के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर में दरबार मूव पर सभी मदों पर सालाना खर्च होने वाला 100 करोड़ रूपये वित्तीय मुश्किलों को बढ़ाता है।
सुरक्षा खर्च मिलाकर यह 300-400 करोड़ से अधिक हो जाता है। दरबार मूव के लिए दोनों राजधानियों में स्थायी व्यवस्था करने पर भी अब तक अरबों रूपये खर्च हो चुके हैं। जम्मू कश्मीर में दरबार मूव की शुरूआत महाराजा रणवीर सिंह ने 1872 में बेहतर शासन के लिए की थी। कश्मीर, जम्मू से करीब 300 किमी दूरी पर था, ऐसे में डोगरा शासक ने यह व्यवस्था बनाई कि दरबार गर्मियों में कश्मीर व सर्दियों में जम्मू में रहेगा। 19वीं शताब्दी में दरबार को 300 किमी दूर ले जाना एक जटिल प्रक्रिया थी व यातायात के कम साधन होने के कारण इसमें काफी समय लगता था।
अप्रैल महीने में जम्मू में गर्मी शुरू होते ही महाराजा का काफिला श्रीनगर के लिए निकल पड़ता था। महाराजा का दरबार अक्तूबर महीने तक कश्मीर में ही रहता था। जम्मू से कश्मीर की दूरी को देखते हुए डोगरा शासकों ने शासन को ही कश्मीर तक ले जाने की व्यवस्था को वर्ष 1947 तक बदस्तूर जारी रखा। जब 26 अक्तूबर 1947 को राज्य का देश के साथ विलय हुआ तो राज्य सरकार ने कई पुरानी व्यवस्थाएं बदल ले लेकिन दरबार मूव जारी रखा। राज्य में 148 साल पुरानी यह व्यवस्था आज भी जारी है। दरबार को अपने आधार क्षेत्र में ले जाना कश्मीर केंद्रित सरकारों को सूट करता था, इस लिए इस व्यवस्था में कोई बदलाव नही लाया गया है।