जम्मू-कश्मीर: सेना ने एक साल में आतंकवादियों पर की कड़ी कार्रवाई, अबतक मारे 144 आतंकवादी

By सुरेश डुग्गर | Published: September 4, 2018 06:18 PM2018-09-04T18:18:58+5:302018-09-04T18:18:58+5:30

श्रीनगर, 4 सितंबर: कहते हैं मौत सभी के कदम उस दिशा में बढ़ने से रोक देती है जहां इसका साम्राज्�..

Jammu & Kashmir: A year of hard action Indiam Army against the militants, 144 terrorists killed | जम्मू-कश्मीर: सेना ने एक साल में आतंकवादियों पर की कड़ी कार्रवाई, अबतक मारे 144 आतंकवादी

जम्मू-कश्मीर: सेना ने एक साल में आतंकवादियों पर की कड़ी कार्रवाई, अबतक मारे 144 आतंकवादी

श्रीनगर, 4 सितंबर: कहते हैं मौत सभी के कदम उस दिशा में बढ़ने से रोक देती है जहां इसका साम्राज्य हो। पर कश्मीर में आतंकवादी बनने की चाहत में कश्मीरी युवक इसको भी नजरअंदाज किए जा रहे हैं। यही कारण था कि इस साल अगर अभी तक सुरक्षाबलों ने 144 के करीब आतंकियों को ढेर किया तो 140 स्थानीय युवकों ने हथियार थाम लिए। यह बात अलग है कि मरने वाले 144 आतंकियों में आधे विदेशी थे।

सुरक्षाबलों के कथित अत्याचारों तथा पाकिस्तान के दुष्प्रचार का शिकार होकर आतंकवाद की राह को थामने वालों का सिलसिला कोई नया तो नहीं है पर इसने पहली बार सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। और इसमें आने वाले दिनों में कोई कमी आने की उम्मीद नहीं है। आधिकारिक तौर पर इस साल अभी तक 140 युवकों ने हथियार थामे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, यह संख्या अधिक भी हो सकती है। यह आंकड़ा सोशल मीडिया पर आने वाले नामों और हथियारों संग अपलोड की गई फोटो की संख्या पर आधारित है।

उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2010 के आंदोलन में जब सुरक्षाबलों की गोली से 122 से अधिक कश्मीरी मारे गए थे तो तब 54 युवकों ने हथियार उठाए थे। और फिर वर्ष 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्याय बुरहान वानी की मौत के बाद यह सिलसिला अचानक तेज हो गया। नतीजतन 2016 में 88, वर्ष 2017 में 126 और इस साल का आंकड़ा 140 को पार कर गया है। सुरक्षाबलों के कथित अत्याचारों तथा पाकिस्तान के दुष्प्रचार का शिकार होकर हथियार थाम आतंकवाद की राह पर चलने वाले युवकों के प्रति चौंकाने वाले तथ्य यह हैं कि इनमें 14 से 22 साल के युवक सबसे ज्यादा हैं। यही नहीं इस साल अभी तक हथियार उठाने वाले 140 युवकों में 35 युवक बहुत ही ज्यादा पढ़े लिखे थे जिसमें 4 तो पीएचडी कर चुके थे, एक डाक्टर था और एक प्रोफेसर के पद था।

ऐसा भी नहीं है कि आतंकवाद की राह को थामने वाले युवकों की घर वापसी की खातिर कोई कदम न उठाया गया हो बल्कि पुलिस ने ऐसे युवकों को घर लौटने पर माफ करने की योजना चला रखी है। परंतु उसका कोई व्याप्क प्रभाव नजर नहीं आया है। केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार प्रदेश के युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा और आतंकी समूहों से दूर रखने के लिए अभियान चला रही है। हालांकि फिर भी युवाओं की आतंकी समूहों में भर्ती जारी है। दूसरी तरफ लाचार परिवार भटके हुए युवाओं से घर वापस लौटने की अपील कर हे हैं। इसी क्रम में राज्य सरकार ऐसे युवाओं को पूरी तरह से क्षमा-दान देने वाली है जो आतंकी संगठनों में शामिल तो हो गए, लेकिन अब वापस लौटना चाहते हैं।

ऐसे युवा जिन्होंने किसी कट्टरपंथी संगठन में शामिल होने के बाद भी किसी आतंकी या हिंसक वारदात को अंजाम नहीं दिया हो, राज्य सरकार उन्हें संरक्षण देने के लिए तैयार है। इसके साथ ही सरकार कई ऐसी योजनाओं पर भी काम कर रही है, जिससे युवाओं को रोजगार और रचनात्मक कार्यों से जोड़ा जा सके।

घाटी में हिंसा की घटनाओं के बीच बड़े हुए युवाओं में अलगाव की भावना को दूर करने के उद्देश्य से सरकार यह कदम उठा रही है। पर यह सब अप्रभावी है। यह इससे भी साबित होता है कि पुलिस-प्रशासन की अपील पर लौटने वालों का आंकड़ा अभी तक 15 को पार नहीं कर पाया है। इसमें भी इस सच्चाई से मुख नहीं मोढ़ा जा सकता कि लौटने वालों में से अधिकतर अपनी मांओं की अपील पर घर लौटे हैं।

Web Title: Jammu & Kashmir: A year of hard action Indiam Army against the militants, 144 terrorists killed

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