Jammu Kashmir: कश्मीर में 29 सालों के 10585 दिनों में से 2600 दिन रही हड़ताल

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 27, 2021 04:42 PM2021-08-27T16:42:57+5:302021-08-27T16:43:59+5:30

कश्मीर में पिछले 29 सालों में हर चौथे दिन हड़ताल रही है. नतीजतन अब वादी-ए-कश्मीर को वादी-ए-हड़ताल भी कहा जाने लगा है. यह आंकड़ा अलगाववादियों के आह्नान पर होने वाली हड़तालों का है. सरकारी कर्फ्यू तथा अन्य मुद्दों पर हुए कश्मीर बंद को इसमें जोड़ा नहीं गया है. साथ ही 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटाए जाने के बाद की परिस्थितियों व कोरोना कर्फ्यू से हुए बंद व लाकडाउन को इसमंे शामिल नहीं किया गया है. 

Jammu Kashmir: 2600 days strike out of 10585 days in 29 years in Kashmir | Jammu Kashmir: कश्मीर में 29 सालों के 10585 दिनों में से 2600 दिन रही हड़ताल

Jammu Kashmir: कश्मीर में 29 सालों के 10585 दिनों में से 2600 दिन रही हड़ताल

कश्मीर में पिछले 29 सालों में हर चौथे दिन हड़ताल रही है. नतीजतन अब वादी-ए-कश्मीर को वादी-ए-हड़ताल भी कहा जाने लगा है. यह आंकड़ा अलगाववादियों के आह्नान पर होने वाली हड़तालों का है. सरकारी कर्फ्यू तथा अन्य मुद्दों पर हुए कश्मीर बंद को इसमें जोड़ा नहीं गया है. साथ ही 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटाए जाने के बाद की परिस्थितियों व कोरोना कर्फ्यू से हुए बंद व लाकडाउन को इसमंे शामिल नहीं किया गया है. 

कश्मीर में पिछले 29 सालों के 10585 दिनों में से 2600 दिन हड़तालों की भेंट चढ़ गए. और अगर इन हड़तालों के कारण आर्थिक मोर्चे पर होने वाले नुक्सान की बात करें तो अभी तक राज्य की जनता और सरकार को 10.18 लाख करोड़ की क्षति उठानी पड़ी है. यह अनुमान हड़ताल के कारण प्रतिदिन होने वाले रू161 करोड़ के नुक्सान की दर से है. 

अगर 5 अगस्त 2019 के बाद की बात करें तो सही मायनों में दो सालों से कश्मीर बंद ही है. पहले धारा 370 को हटाए जाने की परिस्थितियों के कारण और फिर कोरोना के कारण. यह सच है कि पहले हड़तालों के लिए अलगाववादियों तथा आतंकियों को ही दोषी ठहराया जाता था जबकि अब इसमें धारा 370 और कोरोना भी शामिल हो चुके हैं. कश्मीर में हड़तालों के प्रति एक खास बात यह है कि इसके लिए हड़ताली चाचा उर्फ कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी को ही अधिकतर जिम्मेदार माना जाता रहा है, जिनके एक भी आह्नान को आज तक कश्मीर में नकारा नहीं गया है.

पिछले 29 सालों मंे सबसे अधिक हड़तालों का आह्नान आतंकवाद के चरमोत्कर्ष वाले साल 1991 में हुआ था जब 207 दिन कश्मीर वादी बंद रही थी. हालांकि इससे एक साल पूर्व भी कश्मीर ने वर्ष 1990 में 198 हड़तालों का जो रिकार्ड बनाया था वह आज तक नहीं टूट पाया है.

इसी प्रकार सबसे कम दिन हड़ताल वर्ष 2007 में हुई थीं जब सिर्फ 13 दिन ही हड़तालें हुईं. उसके बाद फिर हड़तालों का क्रम जोर पकड़ने लगा है. वर्ष 2008 में अमरनाथ जमीन आंदोलन को लेकर कश्मीर में 33 दिनों तक हड़ताल रही थी तो पिछले साल इसमें दो दिनों का इजाफा हो गया था. जबकि यह साल भी नए रिकार्ड की ओर बढ़ रहा है क्योंकि अभी तक 40 हड़तालें तथा कई दिनों का कोरोना कर्फ्यू यह साल अपने नाम कर चुका है.
 

Web Title: Jammu Kashmir: 2600 days strike out of 10585 days in 29 years in Kashmir

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