रोशनी कानून: 25,000 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की CBI जांच शुरू, कई बड़े नाम शामिल, जानिए क्या है पूरा मामला

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 25, 2020 06:11 PM2020-11-25T18:11:34+5:302020-11-25T18:13:47+5:30

रोशनी कानून के तहत जमीन हासिल करने वाले 130 लोगों की दूसरी सूची में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की बहन और कांग्रेस के एक नेता सहित दो प्रमुख होटल व्यवसायियों के नाम शामिल हैं।

jammu and kashmir Roshni scam case cbi investigation probe high court Rs 25,000 crore land | रोशनी कानून: 25,000 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की CBI जांच शुरू, कई बड़े नाम शामिल, जानिए क्या है पूरा मामला

फारूक अब्दुल्ला की बहन और कांग्रेस के एक नेता सहित दो प्रमुख होटल व्यवसायियों के नाम शामिल हैं। (file photo)

Highlightsयह घोटाला 25000 करोड़ रुपये का है। इस जमीन घोटाले में कई नाम शामिल हैं। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में रोशनी कानून पर राजनीति तेज हो गई है। इस जमीन घोटाले में कई नाम शामिल हैं। सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है। यह घोटाला 25000 करोड़ रुपये का है।

घोटाले में कांग्रेस-पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के कई नेताओं के नाम सामने आए। इस सूची में पूर्व मंत्री, नौकरशाह, पुलिस अधिकारी, प्रमुख कारोबारी शामिल हैं। रोशनी कानून के तहत जमीन हासिल करने वाले 130 लोगों की दूसरी सूची में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की बहन और कांग्रेस के एक नेता सहित दो प्रमुख होटल व्यवसायियों के नाम शामिल हैं।

वरिष्ठ भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं पर जम्मू कश्मीर में गैरकानूनी तरीके से सरकारी एवं जंगल की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला सहित कई शीर्ष नेता और पूर्व मंत्री कथित तौर पर रोशनी भूमि योजना के लाभार्थी रहे हैं।

फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू के सुजवां में जो निजी मकान बनाया

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू के सुजवां में जो निजी मकान बनाया है, वह अतिक्रमण की गई सरकारी जमीन पर है। प्रसाद ने कहा, ‘‘यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उसकी कीमत करोड़ों में है। हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं। जमीन वापस ली जानी चाहिए।’’ उन्होंने फारूक अब्दुल्ला, उनकी बहन और हसीब द्राबू, माजिद वानी तथा सज्जाद किचलू सहित नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के विभिन्न नेताओं का नाम लेते हुए कहा, ‘‘सूची में राज्य के कई राजनीतिक नेताओं के नाम हैं।’’ 

इस कानून को अब रद्द कर दिया गया है। कश्मीर के संभागीय आयुक्त की वेबसाइट पर अपलोड की गई नई सूची के मुताबिक, लाभ हासिल करने वालों में एक पूर्व नौकरशाह और उनकी पत्नी भी शामिल हैं जिन्होंने योजना के तहत अपने आवासीय स्थल को वैधानिक बनाया, जबकि दर्जनों अन्य व्यवसायियों ने अपने व्यावसायिक भवनों का मालिकाना हक प्राप्त किया।

संभागीय प्रशासन की तरफ से जारी लाभार्थियों की यह दूसरी सूची

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के नौ अक्टूबर के निर्देश के मुताबिक संभागीय प्रशासन की तरफ से जारी लाभार्थियों की यह दूसरी सूची है। उच्च न्यायालय ने रोशनी कानून को ‘‘अवैध, असंवैधानिक और अव्यावहारिक’’ करार दिया और इस कानून के तहत जमीन के आवंटन पर सीबीआई जांच का आदेश दिया। प्रशासन ने 35 लाभार्थियों की सूची अपलोड की जिसमें पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू, उनके कुछ रिश्तेदार और शीर्ष होटल व्यवसायी तथा एक पूर्व नौकरशाह के नाम शामिल हैं।

दूसरी सूची में कांग्रेस नेता के. के. अमला और मुश्ताक अहमद चाया के अलावा पूर्व नौकरशाह मोहम्मद शफी पंडित और उनकी पत्नी शामिल हैं। अमला और चाया होटल व्यवसायी भी हैं। लाभार्थियों में फारूक अब्दुल्ला की बहन सूरिया अब्दुल्ला का नाम भी शामिल है जिन्हें तीन कनाल से अधिक के प्लॉट का मालिकाना हक आवासीय इस्तेमाल के तहत प्राप्त हुआ। सूची के मुताबिक, अधिकारियों ने जमीन को मंजूरी दी लेकिन सूरिया ने अभी तक एक करोड़ रुपये के शुल्क का भुगतान नहीं किया है। उनके नाम से जमीन को मंजूरी देने के बाद से उन्हें कोई नोटिस भी जारी नहीं किया गया।

2014 में कैग रिपोर्ट में खुलासा

भाजपा ने कांग्रेस-पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस पर हमला बोला। 2014 में कैग रिपोर्ट आई, जिसमें ये खुलासा हुआ कि 2007 से 2013 के बीच जमीन ट्रांसफर करने के मामले में गड़बड़ी की गई। कैग रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार 25000 करोड़ के बजाय सिर्फ 76 करोड़ रुपये ही जमा कर पाई, हाईकोर्ट के आदेश पर अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

क्या है रोशनी घोटालाः

केंद्रशासित प्रशासन ने एक नवंबर को रोशनी कानून के तहत सभी जमीन हस्तांतरण को रद्द कर दिया था, जिसके तहत ढाई लाख एकड़ जमीन वर्तमान धारकों को हस्तांरित की जानी थी। इस कानून का मूल नाम जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (धारकों को मालिकाना हक देना), कानून 2001 है।

जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (ऑक्युपेंट्स का स्वामित्व अधिकार) अधिनियम, 2001 तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए मकसद से लाया गया था, इसीलिए इस कानून को रोशनी नाम दिया गया।

मार्केट रेट पर सरकार को भूमि का भुगतान करेंगे

इस कानून के अनुसार, भूमि का मालिकाना हक उसके अनधिकृत कब्जेदारों को इस शर्त पर दिया जाना था कि वो लोग मार्केट रेट पर सरकार को भूमि का भुगतान करेंगे। इसकी कट ऑफ 1990 तय की गई थी. शुरू में, सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले किसानों को कृषि उद्देश्यों के लिए स्वामित्व अधिकार दिए गए थे। हालांकि, अधिनियम में दो बार संशोधन किए गए, ये संशोधन मुफ्ती सईद और गुलाम नबी आजाद की सरकार के दौरान किए गए और कट ऑफ पहले 2004 और बाद में 2007 कर दी गई।

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