जम्मू-कश्मीर: कश्मीरियों की मौज, पिछले साल के मुकाबले बढ़ी पर्यटकों की संख्या
By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 15, 2023 02:53 PM2023-11-15T14:53:08+5:302023-11-15T14:53:48+5:30
इस साल पहले नौ महीनों में कश्मीर आने वाले 21 लाख के करीब टूरिस्टों में से 9.31 लाख ने हवाई जहाज से भी यात्रा की थी। हालांकि टूरिस्ट सीजन में हवाई यात्रा के दाम हर बार की तरह इस बार भी आसामान छूते रहे हैं पर यह आने वाले पर्यटकों के मनोबल कम नहीं कर पाए।
श्रीनगर: इस बार कश्मीरियों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। सितम्बर के अंत तक कश्मीर आने वालों की संख्या के 21 लाख के आंकड़े को पार करने से अब उन्हें लगने लगा है कि वर्ष 2023 टूरिस्टों के आंकड़ों को लेकर कोई नया रिकार्ड बनाएगा क्योंकि पिछले साल का रिकार्ड टूटने के कगार पर है। यही नहीं इस बार सितम्बर अंत तक 27292 विदेशी टूरिस्टों के कश्मीर आने से उनका भी एक नया रिकार्ड बना है।
पिछले साल हालांकि सितम्बर के अंत तक कश्मीर आने वालों की संख्या 26.3 लाख थी। और इस बार अभी तीन महीनों के आंकड़े शामिल करना बाकी है। दरअसल इस बार जल्दी बर्फबारी होने के कारण अक्तूबर और नवम्बर में भी टूरिस्टों का रेला कश्मीर की ओर है पर उनकी गिनती न किए जाने से परिदृश्य साफ नहीं है पर कश्मीरियों कोउम्मीद है कि बर्फ की मौज लूटने कश्मीर आने वाले इस बार एक नया रिकार्ड जरूर बनाएंगें और यह आंकड़ा उनके 30 सालों के आतंकवाद से मिले दर्द पर मलहम साबित होगा।
पर्यटन विभाग द्वारा मुहैया करवाए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल सबसे अधिक टूरिस्ट जून महीने में आए थे। आंकड़ों के बकौल, इस साल जून में 436734 पर्यटकों का आंकड़ा अभी तक का सबसे बड़ा है जिसमें 1898 विदेशी पर्यटक भी थे। हालांकि इस साल अभी तक सबसे कम पर्यटक जनवरी में आए थे। जनवरी में ये आंकड़ा 124579 था।
इस साल पहले नौ महीनों में कश्मीर आने वाले 21 लाख के करीब टूरिस्टों में से 9.31 लाख ने हवाई जहाज से भी यात्रा की थी। हालांकि टूरिस्ट सीजन में हवाई यात्रा के दाम हर बार की तरह इस बार भी आसामान छूते रहे हैं पर यह आने वाले पर्यटकों के मनोबल कम नहीं कर पाए। हालांकि कश्मीर के टूरिज्म से जुड़े लोगों ने केंद्र सरकार से हवाई यात्रा के किरायों को थामने की अपील की है पर इस पर किसी ने अभी तक कान नहीं धरा है।
इतना जरूर था कि टूरिस्टों के आगमन की खुशी को कभी कभार आतंकी हमले और आम नागरिकों की हत्याएं झटके जरूर देती थी। लेकिन अब सच्चाई यही है कि कश्मीर में अब यह सब साथ-साथ हो चुका है।