जम्मू-कश्मीर: सर्दियों में कम बर्फबारी के कारण घुसपैठ रुक नहीं रही, 3 महीने के भीतर 10 से अधिक बड़े घुसपैठ के प्रयास, सेना सतर्क
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 3, 2024 04:14 PM2024-01-03T16:14:51+5:302024-01-03T16:16:11+5:30
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पाक सेना ने पिछले 3 महीने के भीतर 10 से अधिक बड़े घुसपैठ के प्रयास जम्मू सीमा, राजौरी, पुंछ तथा कश्मीर सीमा के सेक्टरों में अंजाम दिए हैं।
जम्मू: भारतीय सेना को इस बार सर्दियों में सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कारण, सीमांत पहाड़ों पर अभी तक इतनी बर्फबारी नहीं हुई है जितनी की उम्मीद थी। यही कारण है कि घुसपैठियों के दल भीतर घुसने की कोशिशों को लगातार अंजाम दे रहे हैं। वैसे इजरायल से मिले हुए राडार भारतीय सेना की मदद कर रहे हैं जो पाक घुसपैठियों के प्रति सटीक जानकारी दे रहे हैं।
यह सच्चाई है कि इस बार की सर्दियां एलओसी पर तैनात सैनिकों को कोई राहत नहीं दे पा रही हैं। कारण, इतनी बर्फबारी नहीं हुई है जो आतंकवादियों की गतिविधियों तथा सीमा पार से उनकी घुसपैठ को रोक सकें। जो बर्फ गिरी थी वह पिघल गई है। नतीजतन इस बार सर्दियों में भी आतंकवादी घुसपैठ को लेकर सेना परेशान है। हालांकि यह बात अलग है कि कम बर्फबारी पाकिस्तानी सेना के लिए लाभदायक साबित हो रही है। यही कारण है कि वह आतंकवादियों को सर्दी और बर्फ के बावजूद इस ओर धकेलने के क्रम को लगातार जारी रखे हुए है। आधिकारिक आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं कि जितने घुसपैठ के प्रयास इन सर्दियों में अभी तक हुए हैं वह पिछले साल सर्दियों में होने वाले प्रयासों से कई गुणा अधिक हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पाक सेना ने पिछले 3 महीने के भीतर 10 से अधिक बड़े घुसपैठ के प्रयास जम्मू सीमा, राजौरी, पुंछ तथा कश्मीर सीमा के सेक्टरों में अंजाम दिए हैं। इनमें से कितनों में पाक सेना को कामयाबी मिली यह आंकड़ा तो मालूम नहीं है लेकिन भारतीय पक्ष दावा करता है कि उसने वर्ष 2023 में 50 में से करीब 26 को नाकाम बनाते हुए 42 के करीब आतंकियों को मार गिराया है। यह बात अलग है कि एलओसी पर होने वाले छोटे छोटे गुटों के घुसपैठ के प्रयास अक्सर आंखों से इसलिए ओझल हो जाते हैं क्योंकि एलओसी की परिस्थिति ऐसी है कि यह बता पाना संभव नहीं होता कि भारतीय क्षेत्र कहां समाप्त होता है और पाकिस्तानी कब्जे वाला इलाका कहां से आरंभ होता है।
वैसे भी एलओसी की ऊबड़ खाबड़ वाली परिस्थितियां और घने जंगल व ऊंचे पहाड़ सैनिकों के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं। और इन्हीं परिस्थितियों का लाभ पाकिस्तानी सेना तथा आतंकवादी उठाते हैं जो इनकी आड़ में भीतर चले आने की कोशिशों में अक्सर कामयाब होते रहते हैं। हालांकि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण हर बार भारतीय सैनिकों को इन घटनाओं से कुछ राहत मिला करती थी मगर अबकी बार बर्फ नाममात्र की ही गिरने का परिणाम यह है कि आतंकियों की घुसपैठ सर्दियों में भी बिना किसी रोकटोक के जारी है।
इतना जरूर है कि इस बार चाहे सर्दी सैनिकों को कोई लाभ नहीं दे पाई मगर इसरायल से प्राप्त छोटे छोटे राडार उनके लिए अवतार बन कर आए हैं। यह जानकारी तो आधिकारिक तौर पर मुहैया नहीं करवाई गई है कि कितनी संख्या में इन राडारों को तैनात किया गया है मगर यह जरूर है कि यह आतंकियों की घुसपैठ के प्रति सटीक जानकारी मुहैया करवा रहे हैं।
सैन्य सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की टोही गतिविधियों तथा घुसपैठ पर पूर्ण विराम लगाने की खातिर अब इजरायली राडारों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो बहुत कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले ऐसे टोही विमानों के प्रति जानकारी तो दे ही रहे हैं साथ ही घुसपैठियों के प्रति जानकारी भी मुहैया करवा रहे हैं। अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पाकिस्तानी सेना के लिए ये राडार दुश्मन साबित हो रहे हैं और सूचनाओं के मुताबिक, घुसपैठ करने वाले आतंकियों को सर्वप्रथम अब इन्हें नष्ट करने का टास्क देकर इस ओर भेजा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक एक घटना में ऐसे एक राडर को क्षति पहुंचाने का प्रयास भी किया गया है।