जम्मू-कश्मीर: क्षीर भवानी के मेले में उमड़े सैकड़ों कश्मीरी पंडित, कश्मीर वापसी की मांगी दुआ

By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 28, 2023 12:07 PM2023-05-28T12:07:49+5:302023-05-28T12:10:39+5:30

ज्येष्ठा अष्टमी पर तुलमुला स्थित मां रागन्या के मंदिर में आज कई कश्मीरी पंडित एकत्र हुए। क्षीर भवानी आने वाले सैंकड़ों कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने अपनी कश्मीर वापसी के लिए दुआ भी मांगी।

Jammu and Kashmir: Hundreds of Kashmiri Pandits gathered in Kshir Bhavani mela, prayed for the return in Kashmir | जम्मू-कश्मीर: क्षीर भवानी के मेले में उमड़े सैकड़ों कश्मीरी पंडित, कश्मीर वापसी की मांगी दुआ

क्षीर भवानी के मेले में उमड़े सैकड़ों कश्मीरी पंडित (फाइल फोटो)

जम्मू: सैंकड़ों कश्मीरी पंडितों ने रविवार को ज्येष्ठा अष्टमी पर तुलमुला स्थित मां रागन्या के मंदिर में एकत्र होकर क्षीर भवानी को श्रद्धा के फूल चढ़ाए। इसी प्रकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में बनाए गए क्षीर भवानी मंदिर में भी हाजिरी लगाई। क्षीर भवानी आने वाले सैंकड़ों कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने अपनी कश्मीर वापसी के लिए दुआ भी मांगी। कश्मीर में जी-20 की बैठक के बाद फैली अदृश्य दहशत के बाद इस मेले का आयोजन जिस कारण इस बार इसकी रंगत कुछ फीकी लग रही थी।

इस मौके पर जम्मू सहित देश के दूसरे राज्यों से मां राघेन्या के दरबार में हाजरी देने के लिए पहुंचे कश्मीरी हिंदुओं का फूलों से स्वागत किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार में स्वागत के लिए पहुंचे स्थानीय मुस्लिमों ने कश्मीरी हिंदुओं का स्वागत करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडित हमारे जीवन का हिस्सा हैं, दुर्भाग्य से, कट्टरवाद-आतंकवाद ने समुदायों के बीच एक कील सा पैदा कर दिया है लेकिन उन्हें बता देना चाहते हैं कि हम एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। 

ज्येष्ठा अष्टमी को कश्मीर में तुलमुला तथा मझगांव स्थित मां क्षीर भवानी मेले में मां रागन्या को आस्था के फूल अर्पित करने के लिए इस बार बहुत कम कश्मीरी पंडित जम्मू से रवाना हुए थे। अंतिम समय पर डर के कारण हजारों लोगों ने अपने कार्यक्रम को टाल दिया था।

इस बार के मेले की खास बात यह थी कि क्षीर भवानी आने वाले कश्मीरी पंडितों ने इस बार अपनी कश्मीर वापसी की चर्चा स्थानीय मुस्लिमों के साथ की थी। उन्होंने विश्वास जताया कि वे जल्द ही कश्मीर लौट सकते हैं। पुणे में रह रहे कश्मीरी पंडित रविन्द्र साधु का कहना था कि उन्हें कश्मीर की बहुत याद सताती है और वे वापस आने का खतरा मोल लेने को तैयार हैं।

कश्मीर में आतंकवाद के दौरान विकट परिस्थितियों में भी क्षीर भवानी मंदिर पहुंचने वाले पंडितों और मुस्लिम भाइयों ने आपसी प्रेम को कायम रखा है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम भाई लंगरों में भक्तों की सेवा करते रहे हैं। मेले के लिए को पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले दूध, फूलों सहित अन्य जरूरी सामग्री को उपलब्ध करवाया गया था। इसके अलावा यात्रियों के ठहरने, पानी, बिजली, चिकित्सा आदि के उचित इंतजाम किए गए थे।

यह मेला कश्मीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है। इस मेले में घाटी की हिंदू आबादी के साथ ही स्थानीय मुसलमान भी बढ़-चढ़ कर शामिल होते है। यहां तक कि पूजा सामग्री से लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा इंतजाम भी यही लोग करते हैं।

दंत कथाओं के अनुसार क्षीर भवानी माता जिसे शामा नाम से जाना जाता था, श्रीलंका में विराजमान थी। वह वैष्णवी प्रवृति की थी, लेकिन राक्षसों की प्रवृति से माता नाराज हो गई और वहां भगवान श्रीराम के आगमन पर मां ने हनुमान को आदेश दिया कि वह उन्हें सतीसर (जिसे कश्मीर भूमि कहा जाता है) में ले जाए। इस पर हनुमान मां को 360 नागों के साथ श्रीनगर ले आए। 

इस दौरान मां जहां जहां रुकी वहां उनकी स्थापना हुई। कश्मीर में गंदरबल जिला के तुलमुला क्षेत्र में मां क्षीर भवानी का प्रमुख मंदिर स्थापित है। इस मंदिर की महाराजा प्रताप सिंह ने स्थापना की। मंदिर के कुंड के पानी की खासियत है कि संसार में जब भी कुछ घटता है कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। यहां कई दिन मां के मेले का आयोजन होता है।

Web Title: Jammu and Kashmir: Hundreds of Kashmiri Pandits gathered in Kshir Bhavani mela, prayed for the return in Kashmir

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