लद्दाख सीमा पर तनाव, आठ स्थानों पर टकराव की स्थिति, भारतीय सेना अलर्ट, मोर्चाबंदी में तेजी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 24, 2020 07:48 PM2020-07-24T19:48:42+5:302020-07-24T19:50:32+5:30

चीनी सेना इन स्थानों से पीछे हटने पर हुए समझौतों के बावजूद टालमटोल की रणनीति अपनाए हुए है। पैंगांग झील के पीछे के किनारों पर 8 फिंगर अर्थात हाथों की 8 अंगुंलियों की तरह वाली पहाड़ी श्रृंख्ला पर चीनी सेना काबिज है।

Jammu and Kashmir Galwan Valley Clash Leh Tension Ladakh border collision situationeight places Indian army alert | लद्दाख सीमा पर तनाव, आठ स्थानों पर टकराव की स्थिति, भारतीय सेना अलर्ट, मोर्चाबंदी में तेजी

पीपी-14 के विवादित क्षेत्र में, जिसे गलवान वैली का इलाका भी कहा जाता है, दोनों सेनाएं करीब 4 किमी की दूरी पर हैं। (file photo)

Highlightsभारतीय सेना पीपी के नाम से पुकारती है अर्थात पैट्रोलिंग प्वाइंट और चीनी सेना फिंगर 1 से 8 के नाम से।रक्षा सूत्रों के बकौल, सबसे अधिक तनावपूर्ण स्थिति पीपी-17 ए पर बनी हुई है जहां दोनों सेनाएं अभी भी एक किमी की दूरी पर हैं।चीनी सैनिक लगातार चीनी दावे वाली एलएसी तक गश्त करते हुए भारतीय सैनिकों को उकसा रहे हैं। भारतीय सेना ने फिलहाल इस इलाके में भी गश्त को रोका हुआ है।

जम्मूः लद्दाख सेक्टर में करीब आठ स्थानों पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच बनी हुई टकराव की स्थिति के चलते भारतीय सेना ने अपनी मोर्चाबंदी में तेजी लाई है।

दरअसल चीनी सेना इन स्थानों से पीछे हटने पर हुए समझौतों के बावजूद टालमटोल की रणनीति अपनाए हुए है। पैंगांग झील के पीछे के किनारों पर 8 फिंगर अर्थात हाथों की 8 अंगुंलियों की तरह वाली पहाड़ी श्रृंख्ला पर चीनी सेना काबिज है। इन्हें भारतीय सेना पीपी के नाम से पुकारती है अर्थात पैट्रोलिंग प्वाइंट और चीनी सेना फिंगर 1 से 8 के नाम से।

रक्षा सूत्रों के बकौल, सबसे अधिक तनावपूर्ण स्थिति पीपी-17 ए पर बनी हुई है जहां दोनों सेनाएं अभी भी एक किमी की दूरी पर हैं और चीनी सैनिक लगातार चीनी दावे वाली एलएसी तक गश्त करते हुए भारतीय सैनिकों को उकसा रहे हैं। भारतीय सेना ने फिलहाल इस इलाके में भी गश्त को रोका हुआ है।

राजी तो दिखती है पर वह समझौते का पालन करने में अभी भी आनाकानी कर रही है

सेनाधिकारी कहते थे कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद चीनी सेना पीपी-15 के हाट स्प्रिंग इलाके से हटने को राजी तो दिखती है पर वह समझौते का पालन करने में अभी भी आनाकानी कर रही है। इसकी खातिर अगले सप्ताह फिर से कोर कमांडर स्तर की वार्ता होने जा रही है।

ठीक इसी प्रकार पीपी-14 के विवादित क्षेत्र में, जिसे गलवान वैली का इलाका भी कहा जाता है, दोनों सेनाएं करीब 4 किमी की दूरी पर हैं। बीच का इलाका बफर जोन बना दिया गया है। यहां पर भारतीय सेना को अपने ही इलाके से न सिर्फ पीछे हटना पड़ा बल्कि उसे भारतीय क्षेत्र में ही बफर जोन बनाने का समझौता भी करना पड़ा है।

गलवान वैली झड़पों के बाद फंसे हुए थे जिन्हें आज सुबह ही पूरी तरह से निकाला गया

इस इलाके में भारतीय सेना के कुछ बख्तरबंद वाहन गलवान वैली झड़पों के बाद फंसे हुए थे जिन्हें आज सुबह ही पूरी तरह से निकाला गया है। दौलत बेग ओल्डी की ओर जाने वाली सड़क के किनारों पर भी चीनी सेना लगातार गश्त करते हुए भारतीय इलाकों के लिए खतरा पैदा कर रही है जबकि देपसांग तथा कुछ और इलाकों में वह पूरी तरह से मोर्चाबंदी किए हुए है।

रक्षाधिकारी मानते थे कि चीनी रवैये से यही लगता है कि लद्दाख सीमा का विवाद लंबा चलेगा और ऐसे में यही कारण था भारतीय सेना ने बंकर बनाने, खंदकें खोदने तथा बैरकों के निर्माण के कार्य में तेजी लाई है। हालांकि उनकी सबसे बड़ी चिंता टैंकों और तोपखानों की है जिन्हें भयानक ठंड से बचाने की खातिर उनकी लगातार फायरिंग प्रैक्टिस कैसे की जाए, यह सवाल उनके लिए यक्ष प्रश्न बन गया था।

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