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जम्मू-कश्मीर: हिंसा और आतंक में भी नहीं रुका था ‘दरबार मूव’, कोरोना ने बदल डाली 148 साल की रिवायत

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 11, 2020 15:24 IST

कोरोना ने जम्मू कश्मीर में 148 वर्ष पुरानी दरबार मूव की व्यवस्था में बदलाव करवा दिया है। फिलहाल शीतकालीन राजधानी जम्मू में दरबार बंद नहीं होगा।

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जम्मू: जम्मू कश्मीर में यह मांग बड़ी पुरानी है कि दोनों राजधानियों जम्मू व श्रीनगर में सचिवालय का काम पूरा साल चलता रहे। सिर्फ वरिष्ठ अधिकारी ही मूव करें। हर छह माह बाद न रिकार्ड को शिफ्ट किया जाए और न ही कर्मचारियों को। इससे स्थानीय लोगों को कामकज करवाने में आसानी के साथ सरकार का खर्च भी बचेगा। पर हिंसा, आतंकवाद और राज्य से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की कवायद भी ऐसा नहीं कर पाई पर कोरोना ने एक झटके में अब प्रशासन को 148 सालों की रिवायत को बदलने पर मजबूर कर दिया है। यह बात अलग है कि इसका विरोध भी होने लगा है।

कोरोना ने जम्मू कश्मीर में 148 वर्ष पुरानी दरबार मूव की व्यवस्था में बदलाव करवा दिया है। फिलहाल शीतकालीन राजधानी जम्मू में दरबार बंद नहीं होगा। नए आदेश के अनुसार, चार मई से 15 जून तक सचिवालय और दरबार मूव कार्यालयों के कर्मचारी श्रीनगर व जम्मू दोनों जगह काम करेंगे।

कश्मीर के कर्मचारी श्रीनगर व जम्मू के कर्मचारी जम्मू में कामकाज करेंगे। सरकार की ओर से कल देर रात यह आदेश जारी किया। ज्ञात हो कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में जम्मू में दरबार बंद हो जाता है और मई के पहले सप्ताह में श्रीनगर में दरबार सजता है।

सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव फारूक अहमद लोन की तरफ से जारी किए गए आदेश के अनुसार चार मई को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में औपचारिक तौर पर दरबार मूव के कार्यालय खुल जाएंगे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कश्मीर आधारित स्टाफ श्रीनगर से काम करेगा और जम्मू आधारित स्टाफ जम्मू से ही अपना कार्य करता रहेगा। नागरिक सचिवालय व सचिवालय के बाहर के दरबार मूव कार्यालयों दोनो में ऐसी व्यवस्था लागू होगी।

इतना जरूर था कि इसका विरोध भी आरंभ हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने दरबार मूव व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को इस आदेश को तत्काल वापस लेना चाहिए। कोरोना का खतरा कम होने तक दरबार मूव की प्रक्रिया को रोक देना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि दोनों संभाग में मूव कार्यालयों में काम होने से लोगों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी। लोग यह नहीं समझ पाएंगे कि किस सचिवालय में काम के लिए संपर्क किया जाए।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बिना फाइलों और वरिष्ठ अधिकारियों के श्रीनगर में सचिवालय क्या काम करेगा। कश्मीर के ज्यादातर कर्मचारी जम्मू में हैं तो श्रीनगर सचिवालय को कौन चलाएगा? यदि श्रीनगर सचिवालय में कोई कर्मचारी, कोई अधिकारी या कोई फाइल नहीं होगी तो सचिवालय किसके लिए खुलेगा?

जानकारी के लिए जम्मू कश्मीर में ‘दरबार मूव’ अर्थात प्रत्येक 6 माह बाद राजधानी बदलने की प्रकिया 148 साल पुरानी है। डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह ने बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था के लिए वर्ष 1872 में दरबार को छह महीने श्रीनगर व छह महीने जम्मू में रखने की प्रथा शुरू की थी। महाराजा का काफिला अप्रैल में श्रीनगर के लिए रवाना हो जाता था और वापसी अक्टूबर में होती थी। इस व्यवस्था को डोगरा शासकों ने वर्ष 1947 तक जारी रखा। वर्तमान में साल में दो बार दरबार मूव की प्रकिया पर करीब एक हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है।

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