2019 के बाद बदली Jammu and Kashmir की तस्वीर, कई उत्पादों को मिला जीआई टैग, दुनिया भर में अलग पहचान बनी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: September 17, 2024 03:56 PM2024-09-17T15:56:44+5:302024-09-17T15:58:03+5:30
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर साल 2019 के बाद एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है। केंद्र सरकार के प्रयासों से 2019 के बाद राज्य की तस्वीर बदली है। 2019 के बाद जम्मू के कई उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हुए हैं। इससे दुनिया भर में इसकी एक अलग पहचान बन रही है।
जम्मू: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर साल 2019 के बाद एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है। केंद्र सरकार के प्रयासों से 2019 के बाद राज्य की तस्वीर बदली है। 2019 के बाद जम्मू के कई उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हुए हैं। इससे दुनिया भर में इसकी एक अलग पहचान बन रही है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) जम्मू ने जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के 09 उत्पादों के जीआई पंजीकरण को मंजूरी दी है। नाबार्ड भौगोलिक संकेतों के लिए पंजीकरण-पूर्व और पंजीकरण-पश्चात की गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए संपूर्ण सहायता प्रदान करता है। इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों की विशाल क्षमता को पहचानना है।
क्या है जीआई पंजीकरण
भौगोलिक संकेत (जीआई) बौद्धिक संपदा अधिकार का एक रूप है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान से उत्पन्न होने वाले और उस स्थान से जुड़ी विशिष्ट प्रकृति, गुणवत्ता और विशेषताओं वाले सामानों की पहचान करता है। जीआई टैग मिलने से स्थानीय वस्तुओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिला है। जम्मू स्थित संगठनों ने विभिन्न जिलों से आठ अलग-अलग पारंपरिक वस्तुओं के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया था।
किन उत्पादों को मिला जीआई टैग
बसोहली पेंटिंग (कठुआ)
बशोली पश्मीना ऊनी उत्पाद (कठुआ)
चिकरी वुड क्राफ्ट (राजौरी)
भद्रवाह राजमा (डोडा)
मुश्कबुद्जी चावल (अनंतनाग)
कलाडी (उधमपुर)
सुलाई शहद (रामबन)
अनारदाना (रामबन)
लद्दाख वुड कार्विंग (लद्दाख)
इन सभी उत्पादों के जीआई आवेदन जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई में दाखिल किए गए थे। इन सभी उत्पादों की परामर्श समूह बैठक (सीजीएम) 09.12.2022 को जम्मू विश्वविद्यालय परिसर में सफलतापूर्वक आयोजित की गई थी।
बता दें कि जीआई टैग मूल भौगोलिक क्षेत्र के मूल उत्पादकों को मान्यता के साथ कानूनी संरक्षण प्रदान करता है, तीसरे पक्ष द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत वस्तुओं के अनधिकृत उपयोग को रोकता है, निर्यात को बढ़ावा देता है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड को बढ़ावा देता है, तथा देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान सहित उत्पादकों और संबंधित हितधारकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।
केवल अधिकृत उपयोगकर्ता को ही उन वस्तुओं के संबंध में भौगोलिक संकेत का उपयोग करने का विशेष अधिकार है, जिनके लिए यह पंजीकृत है। इसके कारण, कोई भी व्यक्ति भौगोलिक क्षेत्र से बाहर से इसकी नकल नहीं कर सकता है और इसलिए यह मूल उत्पाद के दुरुपयोग को रोकता है।
जीआई ग्रामीण विकास, समुदायों को सशक्त बनाने, उत्पाद विभेदक के रूप में कार्य करने, ब्रांड निर्माण का समर्थन करने, स्थानीय रोजगार पैदा करने, पर्यटन को प्रोत्साहित करने, पारंपरिक ज्ञान और पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को संरक्षित करने और जैव विविधता को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
नाबार्ड जीआई पंजीकरण प्रक्रिया और पोस्ट जीआई पहलों में मार्केटिंग लिंकेज, ब्रांडिंग और प्रचार सहित बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह देश का पहला मान्यता प्राप्त संगठन है, जिसने जीआई के लिए एक विशिष्ट जीआई नीति और योजनाएं अपनाई हैं।