जामिया हिंसा: सीएए विरोधी कार्यकर्ता व जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को झटका, कोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी

By भाषा | Published: May 5, 2020 12:15 AM2020-05-05T00:15:32+5:302020-05-05T05:43:10+5:30

दिल्ली की एक अदालत ने 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के दौरान जांच नहीं पूरी होने के आधार पर जमानत की मांग कर रहे सीएए विरोधी कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम का आवेदन सोमवार को खारिज कर दिया। उस पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है।

Jamia violence: anti-CAA activist and JNU alumnus Sharjil Imam bail application rejects | जामिया हिंसा: सीएए विरोधी कार्यकर्ता व जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को झटका, कोर्ट ने खारिज की जमानत अर्जी

सीएए विरोधी कार्यकर्ता व जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की जमानत अर्जी खारिज।

Highlightsजमानत की मांग कर रहे सीएए विरोधी कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम का आवेदन सोमवार को खारिजइमाम को यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप पिछले साल दिसंबर में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में 28 जनवरी को बिहार से गिरफ्तार किया गया था।

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के दौरान जांच नहीं पूरी होने के आधार पर जमानत की मांग कर रहे सीएए विरोधी कार्यकर्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम का आवेदन सोमवार को खारिज कर दिया। उस पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है। इमाम को यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप पिछले साल दिसंबर में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में 28 जनवरी को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। नब्बे दिन की वैधानिक अवधि 27 अप्रैल को पूरी हो गयी।

अपने आवेदन में उसने दलील दी है कि निचली अदालत द्वारा 25 अप्रैल को इस मामले की जांच की अवधि और 90 दिनों के लिए बढ़ाया जाना कानून सम्मत नहीं है। इस दलील को खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने कहा कि जांच की अवधि बढ़ाने का आदेश 90 दिनों के वैधानिक समय के समापन से पहले ही दिया गया। अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि जांच को पूरा करने की समय-सीमा पहले ही यूएपीए की धारा 43 डी (2) के तहत बढ़ा दी गयी है, इसलिए मेरा सुविचारित मत है कि वैधानिक जमानत पर आरोपी को रिहा करने के आवेदन में दम नहीं है, इसलिए उसे खारिज किया जाता है।’’ इस धारा के तहत यदि जांच 90 दिनों में पूरा करना संभव नहीं होता है तो लोक अभियोजक की रिपोर्ट से पूरी तरह संतुष्ट होकर अदालत जांच की अवधि 180 दिनों तक के लिए बढ़ा सकती है।

रिपोर्ट में जांच में प्रगति का संकेत तथा आरोपी को 90 दिनों के बाद भी हिरासत में रखने के खास कारण अवश्य बताए जाने चाहिये। इमाम असम पुलिस द्वारा दर्ज किये गये यूएपीए से जुड़े मामले में गुवाहाटी जेल में है। निचली अदालत ने 25 अप्रैल को जांच एजेंसी को इस मामले की जांच पूरी करने के लिए और 90 दिनों का वक्त दिया था क्योंकि पुलिस ने कहा था कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से जांच की गति गंभीर रूप से बाधित हुई है। इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। वह शाहीनबाग में प्रदर्शन के आयोजन में शामिल था।, लेकिन वह तब सुर्खियों में आया था जब एक वीडियो में वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक सभा में विवादास्पद टिप्पणी करते हुए देखा गया। उसके बाद उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया।

Web Title: Jamia violence: anti-CAA activist and JNU alumnus Sharjil Imam bail application rejects

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