जलियांवाला बाग हत्याकांड: बंगाल त्रासदी के जिम्मेवार विंस्टन चर्चिल ने भी इस नरसंहार को 'राक्षसी' कहा था!
By विकास कुमार | Published: April 13, 2019 11:00 AM2019-04-13T11:00:22+5:302019-04-13T11:01:34+5:30
जलियांवाला हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार भी हिल गई थी. जनरल डायर को इस्तीफा देने को कहा गया और हाउस ऑफ़ कॉमन में इसे लेकर तीखी बहस हुई. ब्रिटिश संसद में माना कि जनरल डायर ने जो किया वो पूरी तरह गलत था. लेकिन हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ने इस फैसले को बदल दिया और कहा गया कि उसके साथ नाइंसाफी की जा रही है.
जलियांवाला बाग हत्याकांड कीआज 100 वीं बरसी है. पूरा देश आज उस अमानवीय कृत्य को याद कर रहा है. बीते दिनों ही ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने इस घटना पर दुःख जताया है. लेकिन पीड़ित परिवारों ने माफ़ी की मांग की है. जनरल डायर इस नरसंहार का जिम्मेवार था जिसने निर्दोष और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवाई. जिसे अंग्रेजी शासन का सबसे बड़ा कसाई कहा जाता है.
ब्रिटिश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जलियांवाला हत्याकांड में 379 लोगों की मौत हुई थी लेकिन स्थानीय लोग और इतिहासकारों के मुताबिक इसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. उस वक्त ब्रिटिश आर्मी में मेजर रहे विंस्टन चर्चिल ने इस घटना को राक्षसी बताया था. चर्चिल बाद में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने.
कई इतिहासकारों के मुताबिक1943 में बंगाल में आये जबरदस्त भूखमरी के लिए विंस्टन चर्चिल ही जिम्मेवार थे. इस त्रासदी में 70 लाख लोगों की भूख से मौत हो गई थी. यह 20 वीं शताब्दी के सबसे बड़े होलोकॉस्ट माना जाता है.
अकाल की त्रासदी
बंगाल (बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्से) में आये अकाल का कारण शशि थरूर भी विंस्टन चर्चिल को ही मानते हैं. उनके मुताबिक, द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना जापान के ख़िलाफ़ म्यांमार में लड़ रही थी. बंगाल में उस साल अच्छी वर्षा हुई थी जिसके कारण फसल भी पर्याप्त मात्र में पैदा हुआ था.
चर्चिल के खाद्य प्रदार्थों को म्यांमार भेजने का आदेश दे दिया और बंगाल के लोगों के सामने भूखमरी की समस्या खड़ी हो गई. जिसमें 70 लाख से ज्यादा लोग मारे गए.
जलियांवाला हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार भी हिल गई थी. जनरल डायर को इस्तीफा देने को कहा गया और हाउस ऑफ़ कॉमन में इसे लेकर तीखी बहस हुई. ब्रिटिश संसद में माना कि जनरल डायर ने जो किया वो पूरी तरह गलत था.
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ने इस फैसले को बदल दिया और कहा गया कि उसके साथ नाइंसाफी की जा रही है. जनरल डायर को ब्रिटिश साम्राज्यवाद का संरक्षक बताया गया. जनरल डायर की मृत्यु 1927 में हुई और सैनिक सम्मान के साथ दफनाया गया.