कश्मीर में तीन साल पहले हुआ था जैश-ए-मुहम्मद के खात्मे का दावा, फिर लाया आतंकवाद में नया मोड़

By सुरेश डुग्गर | Published: February 17, 2019 06:12 AM2019-02-17T06:12:36+5:302019-02-17T06:12:36+5:30

हर बार आतंकवाद में नया मोड़ लाया है जैश-ए-मुहम्मद ने। तीन साल पहले हुआ था पूरी तरह खात्मे का दावा

Jaish-e-Mohammad's assassination claims in Kashmir three years ago, all you need to know | कश्मीर में तीन साल पहले हुआ था जैश-ए-मुहम्मद के खात्मे का दावा, फिर लाया आतंकवाद में नया मोड़

कश्मीर में तीन साल पहले हुआ था जैश-ए-मुहम्मद के खात्मे का दावा, फिर लाया आतंकवाद में नया मोड़

जम्मू, 16 फरवरीः कश्मीर में तीन साल पहले सेना की ओर से किए गए उस दावे की सत्यता आज भी शक के घेरे में है जिसमें कहा गया था कि कश्मीर से जैश-ए-मुहम्मद का सफाया पूरी तरह से कर दिया गया है। पर पुलवामा, नगरोटा और पठानकोट एयरबेस पर हुए हमलों ने दावों को झूठला दिया है और इन हमलों से यह भी सच्चाई सामने आई है कि जैश-ए-मुहम्मद ने हर बार कश्मीर के आतंकवाद में नया मोड़ लाया है। चाहे इसमें मानव बमों के हमले हों, फिदायीनों के हमले हों और फौलादी स्टील की गोलियों का इस्तेमाल हो।

जानकारी के लिए 14 फरवरी को पुलवामा के लेथिपोरा में जैश-ए-मुहम्मद द्वारा किए गए आज तक के सबसे भीषण और घातक मानव बम हमले के ठीक तीन साल पहले 14 फरवरी 2016 को सेना ने यह दावा किया था कि कश्मीर घाटी से जैश-ए-मुहम्मद का पूरी तरह से सफाया हो गया है। तत्कालीन जीओसी ले जनरल सतीश दुआ ने कहा था कि जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख आदिल पठान के मारे जाने के बाद घाटी से इस आतंकी संगठन का सफाया कर दिया गया है।

पर ऐसा हुआ नहीं। जैश-ए-मुहम्मद ने उसके बाद पठानकोट एयरबेस, नगरोटा में 16वीं कोर के मुख्यालय और पिछले साल पुलवामा के लेथिपोरा में ही केरिपुब के ट्रेनिंग सेंटर पर हमला बोल कर यह दर्शाया था कि वह अभी भी कश्मीर में सक्रिय है चाहे सुरक्षा एजेंसियां उनके प्रति कोई भी दावे करती रहें।

इसे भी भूला नहीं जा सकता कि जैश-ए-मुहम्मद ने हर बार आतंकवाद को नया मोड़ दिया है। लेथिपोरा में मानव बम का हमला कर 50 से अधिक जवानों को मार देने वाले जैश-ए-मुहम्मद ही ऐसा पहला आतंकी गुट था जो पठानकोट एयरबेस तथा नगरोटा में 16वीं कोर के हेडर्क्वाटर पर हमला करने की ‘हिम्मत’ जुटा पाया था। हालांकि इन हमलों में विदेशी आतंकियों का भी साथ रहा था लेकिन मुख्य भूमिका कश्मीरियों की रही थी।

पिछले साल उसके फिदायीनों द्वारा स्टील की गोलियों का इस्तेमाल करने से सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ी थी क्योंकि यह कश्मीर के आतंकवाद में एक नया ही मोड़ था। ऐसी ही चिंता माहौल उस समय वर्ष 2000 के अप्रैल महीने में भी बना था जब पहली बार जैश-ए-मुहम्मद ने 13 साल के कश्मीरी युवक को मानव बम के तौर पर इस्तेमाल किया था।

यह सच है कि कश्मीर में मानव बम की शुरूआत जैश-ए-मुहम्मद ने ही की थी जिसे बाद में फिदायीन के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा था। कश्मीर में आतंकवाद से निपटने में जुटे सुरक्षाबल अभी मानव बमों और फिदायीनों से निपटने के तरीके खोज ही रहे थे कि जैश-ए-मुहम्मद ने 1 अक्तूबर 2001 को श्रीनगर मंे कश्मीर विधानसभा पर फिदायीन हमले के लिए विस्फोटकों से लदे ट्रक का इस्तेमाल कर आतंकवाद में फिर एक नया मोड़ ला दिया ।

कश्मीर में ही नहीं बल्कि देश में भी आतंकवाद को नया रूख देने वाले जैश-ए-मुहम्मद ने संसद पर हमला कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। उसने बुलेट प्रूफ शीटों तथा बुलेट प्रूफ बंकरों को भेद्य कर यह दर्शाया था कि उसके फिदायीन कश्मीर में आतंकवाद को नया मोड़ देने में सक्षम हैं।

Web Title: Jaish-e-Mohammad's assassination claims in Kashmir three years ago, all you need to know

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