पुलवामा हमलाः पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत, हमले के 75 दिन बाद विश्व ने माना आतंकी है मसूद अजहर
By सतीश कुमार सिंह | Published: May 1, 2019 07:32 PM2019-05-01T19:32:41+5:302019-05-01T19:32:41+5:30
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान की जीत हुई। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि इस मौके पर कहा कि, 'बड़े और छोटे सभी राष्ट्र एकजुट, संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया। सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद।'
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत को बड़ी जीत मिली है। पुलवामा हमले (14 फरवरी 2019) के 75 दिन बाद विश्व ने आखिरकार यह मान लिया कि जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर एक आतंकी है। अभी तक चीन हमेशा से मसूद अजहर के मामले में अडंगा लगा रहा था। आखिरकार सच की जीत हुई। 125 अरब भारतीयों की जीत हुई।
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान की जीत हुई। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि इस मौके पर कहा कि, 'बड़े और छोटे सभी राष्ट्र एकजुट, संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया। सहयोग के लिए सभी का धन्यवाद।'
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया
आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ ये कार्रवाई की है। बता दें, जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला किया था।
Big,small, all join together.
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) May 1, 2019
Masood Azhar designated as a terrorist in @UN Sanctions list
Grateful to all for their support. 🙏🏽#Zerotolerance4Terrorism
इसके बाद से ही भारत लगातार मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश कर रहा था। अब 75 दिन बाद उसे कामयाबी मिल गई है। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति के सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस लगातार कोशिश कर रहे थे, लेकिन बार-बार चीन इस पर वीटो लगा दे रहा था।
चीन अभी तक चार बार वीटो लगा चुका था, लेकिन पांचवीं बार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर वह राजी हो गया है।
90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा
फिर चाहे वह कंधार कांड हो या फिर अब पुलवामा में हुआ बड़ा आतंकी हमला। दरअसल, 90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा है। 1994 में उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था. मगर, कंधार कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था। उसी के बाद से वह भारत के लिए चिंता का विषय बन गया।
भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम का संगठन बनाया, जिसने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है।
सभी बड़े हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ
भारत में किन हमलों के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ। 2001 में संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट हमला, 2018 में पठानकोट हमला और 2019 में पुलवामा आतंकी हमला। ये तो वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया, लेकिन इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती हैं। उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं।
पाकिस्तानी सरंक्षण में जैश-ए-मोहम्मद का मकसद केवल कश्मीर को भारत से अलग करना है। इसकी स्थापना मसूद अजहर ने मार्च 2000 में की थी। भारत में हुए कई आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तानी सरकार ने दिखावे के लिए जनवरी 2002 में बैन कर दिया था।
लेकिन इसका सरगना मसूद अजहर इतना शातिर है कि उसने जैश-ए-मुहम्मद का नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम-उल-इस्लाम' कर दिया था।
मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 1968 को हुआ
मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 10 जुलाई 1968 को हुआ था। उसके 9 अन्य भाई-बहन थे। कुछ एजेंसियां उसके जन्म की तारीख 7 अगस्त, 1968 बताती हैं। अजहर का पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक था।
उसका परिवार डेयरी और पॉल्ट्री के कारोबार से जुड़ा था। इस आतंकी ने बानुरी नगर, कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया नामक मदरसे से तालीमा हासिल की और वहीं उसका सम्पर्क हरकत-उल-अंसार नामक संगठन से हुआ, जो उस वक्त अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था। वह उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी पत्रिका सावत-ए-कश्मीर का संपादक भी था।