जेल में बंद अनिल देशमुख को सरकारी जेजे अस्पताल में करवानी होगी कंधे की सर्जरी, कोर्ट ने निजी अस्पताल का अनुरोध ठुकराया
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 13, 2022 05:16 PM2022-05-13T17:16:37+5:302022-05-13T17:25:57+5:30
जेल में बंद महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को निजी अस्पताल में कंधे की सर्जरी करवाने की अनुमति देने के मामले में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश जारी किया कि उन्हें प्राइवेट अस्पताल में इलाज की अनुमति नहीं मिलेगी और वो अपने कंधे की सर्जरी सरकारी जेजे अस्पताल में ही करवाएं।
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और जेल में बंद एनसीपी के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख को अब कंधे का सर्जरी मुंबई के जेजे अस्पताल में ही करवानी होगी। इस मामले में उनकी ओर से स्पेशल कोर्ट में दायर याचिका शुक्रवार को खारीज कर दी गई।
74 साल के पूर्व मंत्री देशमुख ने अदालत से अपने उम्र का हवाले देते हुए मांग की थी कि उन्हें कंधे की सर्जरी करवाने के लिए कोर्ट परमिशन दे लेकिन केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशमुख की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वो पहले से मुंबई जेजे अस्पताल में अपने कंधे का इलाज करवा रहे हैं और चूंकि जेजे अस्पताल में सर्जरी की सारी सुविधाएं और डॉक्टर मौजूद हैं। इसलिए कोर्ट अनिल देशमुख को मुंबई के निजी अस्पताल में इलाज करवाने की इजजात न दे।
स्पेशल कोर्ट ने ईडी की दलीलों के मद्देनजर शुक्रवार को इस मामले में आदेश जारी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को निजी अस्पताल में कंधे की सर्जरी करने की अनुमति नहीं मिलेगी और वो अपने कंधे की सर्जरी सरकारी जेजे अस्पताल में ही करवाएं।
मामले में देशमुख के वकील ने कोर्ट में कहा था कि अनिल देशमुख निजी अस्पताल का सारा खर्च स्वयं वहन करेंगे और चूंकि वो एक प्रबुद्ध राजनेता हैं, महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री रह चुके हैं। इसलिए कोर्ट इस मामले में उन्हें छूट दे कि वो कंधे का इलाज सरकारी जेजे अस्पताल की जगह किसी निजी अस्पताल में करवा सकें।
अदालत ने इस मामले में ईडी के तर्कों को सही मानते हुए देशमुख के वकील की दलीलों को खागिज करते हुए उनका आवेदन ठुकरा दिया है।
मालूम हो कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पिछले साल नवंबर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद से ही अनिल देशमुख न्यायिक हिरासत में मुंबई की जेल में बंद है।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शंपने से पहले ही अनिल देशमुख मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के उन आरोपों में फंस चुके थे, जिसमें परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहते हुए कथिततौर पर मुंबई के बार से करोड़ों रुपये की जबरन वसूली के लिए पुलिस विभाग पर दबाव डाल रहे थे।
इस मामले में सीबीआई ने अनिल देशमुख पर केस दर्ज किया था, जिसके कारण उन्हें उद्धव सरकार में गृहमंत्री के पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था।
उस मामले में ईडी ने दावा किया कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री के पद का का दुरुपयोग करते हुए मुंबई के विभिन्न बारों से 4.70 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की थी और इस पैसों को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये नागपुर स्थित देशमुख के श्री साईं शिक्षण संस्थान को ट्रांसफर किया गया था। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)