जगजीत सिंह जयंती: पहली बार बॉम्बे ने किया था गजल सम्राट को मायूस, इन फिल्मों ने बनाया स्टार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 8, 2018 09:41 AM2018-02-08T09:41:25+5:302018-02-08T10:16:54+5:30

जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी , 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। उनके पिता हिन्दू थे लेकिन सिख गुरुओं से प्रभावित होकर वो सिख हो गये थे।

jagjit singh birthday: Sath Sath and Arth Made jagjit singh star of the gazal singling in india | जगजीत सिंह जयंती: पहली बार बॉम्बे ने किया था गजल सम्राट को मायूस, इन फिल्मों ने बनाया स्टार

जगजीत सिंह जयंती: पहली बार बॉम्बे ने किया था गजल सम्राट को मायूस, इन फिल्मों ने बनाया स्टार

गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज जयंती है। उनका जन्म 8 फरवरी , 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था । उनके पिता का नाम सरदार अमर सिंह धमानी और माता का नाम बच्चन कौर था।
मेहदी हसन और बेगम अख्तर जैसे दिग्गज गजल गायकों के जगजीत सिंह ने सच्चे उत्तराधिकारी साबित हुए। आइए, इस महान गायक के जन्मदिन के अवसर पर हम उनकी जीवन यात्रा पर एक नजर डालते हैं।

जगजीत सिंह का बच्चपन में नाम जगमोहन रखा गया था लेकिन उनके पिता ने बाद में नाम बदलकर जगजीत कर दिया। जगजीत सिंह ने बच्चन में गुरु पंडित छगनलाल शर्मा  से दीक्षा लिया था जो नेत्रहीन थे।बाद में सैनिया घराने के उस्ताद जमाल खान से उन्होंने छह साल संगीत सीखा। बहुत ही कम लोगों को पता है कि जगजीत सिंह के पिता अमर सिंह जन्म से हिन्दू थे । अमर सिंह का बचपन में नाम अमीन चंद था, जो नाम उनके माता-पिता ने रखा था। अमर सिंह का मन सिख गुरुओं की शिक्षाओं में लगने लगा और बाल बढ़ाकर पगड़ी धारण करके उन्होंने सिख धर्म अपना लिया।

जगजीत सिंह 1961 में गायक बनने के मुंबई पहुँचे लेकिन तुरंत कोई काम नहीं मिला तो कुछ महीनों बाद ही घर वापस लौट गए। जगजीत 1965 में दोबारा अपने सपनों की नगरी मुंबई (तब बॉम्बे) में पहुंचे। इस बार सफलता उनके हाथ लगी। एचएमवी ने उनकी दो गजलों को रिकॉर्ड किया। दो गजलो के रिर्काड होने के बाद भी उनका संघर्ष जारी रहा। उनका गायिकी का सफर तो जारी रहा लेकिन किसी बड़ी कामयाबी के लिए जगजीत को काफी लम्बा इंतजार करना पड़ा।

फिल्म साथ-साथ में गाया जगजीत सिंह का बेहद लोकप्रिय गीत

जगजीत सिंह को बड़ा ब्रेक 1982 में आई फिल्म ‘साथ साथ’ से मिला जिसमें उन्होंने जावेद अख्तर की गजलों और नज्मों को अपनी आवाज दी। उसी साल महेश भट्ट की फिल्म ‘अर्थ’ आई जिसमें जगजीत सिंह ने कई गीत और गजलें गाई थीं। साथ-साथ और अर्थ के बाद जगजीत सिंह की लोकप्रियता आसमान छूने लगी। वर्ष 1987 में जगजीत सिंह ने डिजिटल सीडी एलबम "बियॉन्ड टाइम" रिकॉर्ड किया। यह किसी भारतीय संगीतकार का इस तरह की पहला एलबम था।

वर्ष 1990 में, जगजीत सिंह ने एक मोटर दुर्घटना में अपने 18 वर्षीय बेटे को खो दिया। बेटे की मौत का जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा सिंह को कभी न भूलने वाला झटका लगा। जगजीत कुछ समय के लिए डिप्रेशन में चले गए थे। चित्रा सिंह ने तो बेटे की मौत के बाद गाना लगभग छोड़ ही दिया। भारतीय गजल गायिकी में विशिष्ट स्थान हासिल करने वाले जगजीत सिंह को अपने करीब छह दशक लम्बे करियर में कई इनामो-इकराम मिले। उन्हें वर्ष 1998 में, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "लता मंगेशकर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1998 में, राजस्थान सरकार द्वारा साहित्य कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

फिल्म अर्थ में गाया जगजीत सिंह का लोकप्रिय गीत

 

मिर्जा गालिब धाारावाहिक में उनकी गजलों को आवाज देने वाले जगजीत सिंह को भारत सरकार इसके लिए उन्हें वर्ष 1998 में, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2003 में, भारत सरकार ने उन्हें "पद्म भूषण" से सम्मानित किया गया। हर दिल अजीज गायक जगजीत सिंह ने 10 अक्तूबर 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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