आईटीबीपी जवान ने नहीं की आत्महत्या, परिजनों ने दावा किया कि गोली पीछे से चली थी
By भाषा | Published: December 6, 2019 06:05 AM2019-12-06T06:05:18+5:302019-12-06T06:05:18+5:30
मसूदुल रहमान का शव दोपहर में नदिया जिले में नकाशिपारा पुलिस थानांर्गत उनके गांव बिलकुमारी पहुंचा जहाँ उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया।
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कांस्टेबल का शव नदिया जिले में उनके घर पहुंचने के बाद गुरुवार को उनके परिजनों ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों के दावों के विपरीत कांस्टेबल ने आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या हुई थी। आईटीबीपी के कांस्टेबल मसूदुल रहमान (28) पर अपने पांच सहकर्मियों को छत्तीसगढ़ में गोली मारने का आरोप है। उनके परिजनों ने कहा कि वे रहमान की शादी की तैयारी कर रहे थे।
रहमान के भाई मिजानुर रहमान ने पूछा, “उन्हें पीछे से गोली मारी गई। हमने उनका शव देखा था। क्या कोई आत्महत्या करते वक्त अपने ऊपर पीछे से गोली चला सकता है?” उन्होंने मसूदुल रहमान की मौत की जाँच की मांग की। रहमान ने आपस में किसी अज्ञात विवाद के चलते अपनी सरकारी बंदूक से पांच सहकर्मी जवानों को गोली मार दी थी और दो को घायल कर दिया था। घटना छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के एक गांव में स्थित आईटीबीपी की 45वीं बटालियन में हुई थी।
आईटीबीपी की बस्तर रेंज के महानिरीक्षक सुंदरराज ने पहले कहा था कि यह स्पष्ट नहीं था कि रहमान ने खुद को गोली मारी या जवाबी गोलीबारी में उसके साथियों ने गोली चलाई। बाद में आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडेय ने नई दिल्ली में कहा था कि रहमान ने अपने सहकर्मियों को मारने के बाद खुद को गोली मार ली थी। मसूदुल रहमान का शव दोपहर में नदिया जिले में नकाशिपारा पुलिस थानांर्गत उनके गांव बिलकुमारी पहुंचा जहाँ उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया।