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चंद्रयान-2 ने चंद्रमा पर क्रेटर की तस्वीर खींची, ISRO ने दिया विक्रम साराभाई का नाम 

By भाषा | Updated: August 15, 2020 05:44 IST

साराभाई क्रेटर की खींची गयी 3डी तस्वीर दिखाती है कि यह उठे हुए किनारे से करीब 1.7 किलोमीटर गहरा है और क्रेटर की दीवारों का झुकाव 25 से 35 अंश है।

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ठळक मुद्देचंद्रयान-2 ने चंद्रमा की तस्वीरें कैद की हैं और उसके एक क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। एक बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी गयी।

नई दिल्लीः चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की तस्वीरें कैद की हैं और उसके एक क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। एक बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी गयी। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि साराभाई का जन्म शताब्दी वर्ष 12 अगस्त को पूरा हुआ और यह वैज्ञानिक को श्रद्धांजलि है। 

सिंह ने कहा कि इसरो की हालिया उपलब्धियां साराभाई की दूरदृष्टि को साकार कर रही हैं। इसरो ने भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति के देशों में खड़ा कर दिया है। अंतरिक्ष विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आता है। बयान में सिंह के हवाले से कहा गया, ‘‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह घोषणा करके विशेष तरीके से उन्हें श्रद्धांजलि दी है कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने चंद्रमा पर ‘साराभाई क्रेटर’ की तस्वीर कैद की हैं।’’ 

साराभाई क्रेटर उस क्रेटर से पूर्व में करीब 250 से 300 किलोमीटर दूर है जहां अपोलो 17 और लूना 21 मिशन उतरे थे। बयान में बताया गया कि साराभाई क्रेटर की खींची गयी 3डी तस्वीर दिखाती है कि यह उठे हुए किनारे से करीब 1.7 किलोमीटर गहरा है और क्रेटर की दीवारों का झुकाव 25 से 35 अंश है। इन खोजों से अंतरिक्ष विज्ञानियों की लावा से भरे चंद्रमा के क्षेत्र पर प्रक्रियाओं के बारे में और समझ बढ़ेगी। 

इसमें कहा गया, ‘‘चंद्रयान-2 डिजाइन के अनुरूप काम कर रहा है और अहम वैज्ञानिक डेटा प्रदान करता है। चंद्रयान-2 से वैश्विक उपयोग के लिए वैज्ञानिक आंकड़ों को अक्टूबर 2020 से जारी करना शुरू किया जाएगा।’’ 

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के उद्देश्य से चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था। हालांकि इसके लैंडर विक्रम की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। पहले ही प्रयास में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनने का भारत का सपना तब पूरा नहीं हो पाया था। मिशन का ऑर्बिटर सही से काम कर रहा है और डेटा भेज रहा है।

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