ISRO ने रच दिया इतिहास, भारत का पहला एसएसएलवी रॉकेट हुआ लॉन्च, जानें क्या है ये और इसकी खासियत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2022 09:33 AM2022-08-07T09:33:20+5:302022-08-07T09:50:26+5:30

इसरो ने रविवार को अपना पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। एसएसएलवी की खासियत ये है कि यह पीएसएलवी से कहीं अधिक छोटा और हल्का है।

ISRO carried out another big mission, India's first SSLV launched, know what it is and its specialty | ISRO ने रच दिया इतिहास, भारत का पहला एसएसएलवी रॉकेट हुआ लॉन्च, जानें क्या है ये और इसकी खासियत

भारत का पहला एसएसएलवी रॉकेट हुआ लॉन्च (फोटो- एएनआई)

Highlightsपना पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) रॉकेट लॉन्च किया, महंगे अभियानों से मिलेगी मुक्ति।एसएसएलवी एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर अंतरिक्ष में गया।एएसएलवी का वजन 500 किलो तक है और ये पीएसएलवी के मुकाबले छोटा भी है।

श्रीहरिकोटा: भारत ने अपना पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) रविवार को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। यह एसएसएलवी एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर अंतरिक्ष में गया। 

चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) के पहले लॉन्च पैड से सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर रॉकेट प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट के इन दोनों उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी।


इससे पहले एसएसएलवी के प्रक्षेपण के लिए शनिवार देर रात दो बजकर 26 मिनट पर उलटी गिनती शुरू हो गयी थी।  इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है। उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है। इसरो ने रविवार को अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘‘एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 मिशन : उलटी गिनती दो बजकर 26 मिनट पर शुरू हुई।’’

लॉन्च के 13 मिनट बाद उपग्रहों के कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद

इसे एसएसएलवी का उद्देश्य उपग्रह ईओएस-02 और आजादीसैट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना था।अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण किया, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा।

एसएसएलवी कैसे पीएसएलवी से अलग है?

इसरो के वैज्ञानिक ऐसे छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पिछले कुछ समय से लघु प्रक्षेपण यान विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनका वजन 500 किलोग्राम तक है और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है।

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है। एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है।

एसएसएलवी दो सेटेलाइट ले गया अपने साथ

इसरो ने इंफ्रा-रेड बैंड्स में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है। ईओएस-02 अंतरिक्षयान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है। इसे एसएसएलवी के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया और सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

वहीं, ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है। देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं। ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।

(भाषा इनपुट)

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