क्या इसी तरह से आप इस संस्था को बदनाम करना चाहते हैं?, न्यायालय ने एनडीएमसी को लिया आड़े हाथ

By भाषा | Published: July 15, 2019 07:18 PM2019-07-15T19:18:07+5:302019-07-15T19:18:07+5:30

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस नगर निगम संस्था के लिये डीजल वाहनों के पंजीकरण के बारे में प्राप्त किया गया 16 मई का आदेश वापस लेते हुये एनडीएमसी पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया। पीठ ने एनडीएमसी के इस रवैये को बहुत ही अनुचित करार दिया

Is this the way you want to defame this institution ?, the court took the NDMC | क्या इसी तरह से आप इस संस्था को बदनाम करना चाहते हैं?, न्यायालय ने एनडीएमसी को लिया आड़े हाथ

पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई नयी अर्जी दाखिल नहीं हुयी तो फिर अवकाश पीठ के समक्ष इसका उल्लेख कैसे हुआ था?

Highlightsपीठ ने कहा, ‘‘हम पर कब्जा करने की कोशिश मत कीजिये। इस मामले में तो अनैतिकता की हद हो गयी है।’’ न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सात मई को कहा था कि प्रदूषण के मामले के साथ ही इस पर जुलाई में विचार किया जायेगा।

उच्चतम न्यायालय ने ग्रीष्मावकाशकालीन पीठ से तथ्यों को छिपाकर अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के लिये सोमवार को नयी दिल्ली नगर पालिका को आड़े हाथ लेते हुये सवाल किया, ‘‘क्या इसी तरह से आप इस संस्था को बदनाम करना चाहते हैं?’’

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस नगर निगम संस्था के लिये डीजल वाहनों के पंजीकरण के बारे में प्राप्त किया गया 16 मई का आदेश वापस लेते हुये एनडीएमसी पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया। पीठ ने एनडीएमसी के इस रवैये को बहुत ही अनुचित करार दिया।

हालांकि पीठ ने शुरू मे कहा था कि एनडीएमसी पर पांच लाख रुपए का जुर्माना किया जायेगा लेकिन बाद में इस निकाय के वकील के अनुरोध पर इस राशि को कम कर दिया गया। पीठ इस बात से बेहद नाराज थी कि नियमित पीठ द्वारा इस मामले में जुलाई में सुनवाई के लिये सात मई को आदेश पारित किये जाने के बावजूद अवकाश पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया।

एनडीएमसी के वकील ने जब यह कहा कि मानसून को ध्यान में रखते हुये ही अवकाश पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था तो पीठ ने कहा, ‘‘हम पर कब्जा करने की कोशिश मत कीजिये। इस मामले में तो अनैतिकता की हद हो गयी है।’’

यह मामला नालों से गंदगी और गाद निकालने के लिये विशेष उपकरणों से सुसज्जित छह डीजल वाहनों के पंजीकरण और नगर निगम के ठोस अपशिष्ट नियम 2016 पर अमल से संबंधित था। न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सात मई को कहा था कि प्रदूषण के मामले के साथ ही इस पर जुलाई में विचार किया जायेगा।

हालांकि एनडीएमसी की ओर से अवकाश पीठ के समक्ष 16 मई को इसका उल्लेख किया गया जिसने अपने अंतरिम आदेश में दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को इन डीजल वाहनों का पंजीकरण करने का निर्देश दिया था। इस मामले की सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि सात मई को उसने अंतरिम राहत से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था क्योंकि वह जानना चाहती थी कि क्या ये वाहन पेट्रोल या सीएनजी में भी उपलब्ध हैं और इसी वजह से इसे जुलाई के लिये सूचीबद्ध किया गया था।

पीठ ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘इस न्यायालय में यह क्या हो रहा है? यह (अवकाश पीठ का 16 मई का आदेश) एक तरह से अंतिम है। इसमें अब करने के लिये क्या बचा है? पीठ ने इस तथ्य पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की कि अवकाश पीठ को एनडीएमसी के वकील ने यह जानकारी नहीं दी कि नियमित पीठ पहले ही अंतरिम राहत से इंकार कर चुकी है।

पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई नयी अर्जी दाखिल नहीं हुयी तो फिर अवकाश पीठ के समक्ष इसका उल्लेख कैसे हुआ था? अवकाश पीठ का 16 मई का आदेश वापस लिये जाने के बाद अब एक उचित पीठ इस पर विचार करेगी। 

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