गुजरात उच्च न्यायालय ने पूछा है कि क्या कोई महिला अपने बच्चे के पिता का नाम बताने के लिए बाध्य है, जिसको उसने शादी के बिना जन्म दिया हो। न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने यह भी पूछा कि क्या ऐसी किसी महिला के मामले में आपराधिक पहलू की तलाश की जानी चाहिए जो बलात्कार की शिकायत न होने पर भी बिना शादी के जन्मे बच्चे के पिता की पहचान का खुलासा नहीं करना चाहती है।अदालत ने 19 अगस्त को एक निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक दोषी की अपील पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की। इस मामले में दोषी को एक नाबालिग से बलात्कार के अपराध में आईपीसी की धारा 376 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। जूनागढ़ की रहने वाली पीड़िता ने दोषी के दो बच्चों को जन्म दिया था। वह बिना शादी के उनके साथ रहती थी और न तो उसने और न ही बच्चों पिता ने उन्हें अस्वीकार किया और न ही उनके पितृत्व से इनकार किया था।पीड़िता ने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से अपने परिवार को छोड़ा और दोषी के साथ रहने लगी, जिसके बाद उसने दो बच्चों को जन्म दिया। इनमें से पहला बच्चा तब हुआ, जब वह 16 साल की थी। अदालत ने पूछा, “वह एक गरीब ग्रामीण बेटी है।
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