IPCC report: मुंबई में बाढ़! पटना-लखनऊ में गर्मी और आद्रता होगी खतरनाक स्तर पर; जलवायु परिवर्तन का भारत पर होगा कुछ ऐसा असर, जानें डिटेल
By विनीत कुमार | Published: March 1, 2022 10:38 AM2022-03-01T10:38:03+5:302022-03-01T11:03:20+5:30
IPCC report: भारत पर आने वाले दिनों में जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर देखने को मिल सकता है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की है। यह भारत के चिंताजनक हालाक की ओर इशारा कर रहा है।
नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने जारी की गई अपनी रिपोर्ट में भारत के लिए कई चिंताजनक बातें कही हैं। रिपोर्ट के अनुसार समुद्र का जलस्तर बढ़ने से मुंबई जैसे शहर पर बाढ़ का व्यापक खतरा मंडरा रहा है। हालात अगर नहीं सुधरते हैं तो निकट भविष्य में इसके कई इलाके लगातार बाढ़ की चपेट में आएंगे।
ऐसे ही अहमदाबाद और ज्यादा तबाही वाली गर्मी का सामना करेगा जबकि कई अन्य शह जिसमें चेन्नई, भुवनेश्वर, पटना और लखनऊ जैसे नाम शामिल हैं, वहां गर्मी और आद्रता खतरनाक स्तर पर पहुंच सकती है।
आईपीसीसी ने सोमवार को अपनी छठी मूल्यांकन रिपोर्ट का दूसरा भाग जारी किया। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जोखिमों और कमजोरियों और उपायों से संबंधित है। पहली बार, पैनल ने अपनी रिपोर्ट में क्षेत्रीय आकलन किए हैं। यहां तक कि मेगा शहरों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार समुद्र के स्तर में वृद्धि से प्रभावित होने वाली आबादी के मामले में भारत विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा खतरे वाला देश है।
रिपोर्ट के अनुसार, 'विश्व स्तर पर बढ़ रही गर्मी और आद्रता ऐसी परिस्थितियां बनाएगा जो मानव की सहनशीलता से परे होगा। यदि उत्सर्जन को तेजी से समाप्त नहीं किया गया है; भारत उन स्थानों में से है जो इन असहनीय परिस्थितियों का अनुभव करेंगे।'
सूखे जैसे हालात का भी खतरा, पाकिस्तान भी होगा प्रभावित
आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु के लगातार बिगड़ते हालात से दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा को लेकर जोखिम खड़ा हो रहा है। साथ ही चेताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और पाकिस्तान में बाढ़ और सूखे के हालात पैदा होने का खतरा बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही एशिया में कृषि और खाद्य प्रणाली के लिए खतरा बढ़ेगा जिसका पूरे क्षेत्र पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।
रिपोर्ट में आगाह किया गया कि जलवायु परिवर्तन से मत्स्य पालन, समुद्री जीवन और फसलों की पैदावार पर विपरीत प्रभाव होगा, खासकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में। इसमें कहा गया है, 'यदि अनुमानत: तापमान में एक डिग्री सेल्सियस से चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी होती है तो भारत में, चावल का उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत तक, जबकि मक्के का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है।'
(भाषा इनपुट)