INX Media Case: चिदंबरम को झटका, 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजे गए, परिवार-वकील से मिलने की अनुमति

By भाषा | Published: August 22, 2019 06:45 PM2019-08-22T18:45:59+5:302019-08-22T18:51:26+5:30

आईएनएक्स मीडिया मामला: अदालत ने पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजा

INX Media Case: Special CBI Court sends former Union Finance Minister PChidambaram to CBI custody till August 26 | INX Media Case: चिदंबरम को झटका, 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजे गए, परिवार-वकील से मिलने की अनुमति

INX Media Case: चिदंबरम को झटका, 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेजे गए, परिवार-वकील से मिलने की अनुमति

Highlightsअदालत ने पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजाचिदंबरम चार दिनों तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे।

दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को बृहस्पतिवार को चार दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में सौंप दिया।

विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने सीबीआई को चिदंबरम की मेडिकल जांच नियमों के मुताबिक कराने को कहा। अदालत ने सीबीआई हिरासत के दौरान पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के परिवार के सदस्यों और वकीलों को उनसे प्रत्येक दिन आधे घंटे तक मुलाकात की इजाजत दी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘साक्ष्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए मेरा मानना है कि पुलिस हिरासत उचित है।’’ उन्होंने चिदंबरम को 26 अगस्त तक के लिए सीबीआई की रिमांड में दे दिया। सीबीआई ने चिदंबरम से पूछताछ कर ‘बड़ी साजिश’ का खुलासा करने के लिए उनकी पांच दिनों की हिरासत मांगी थी।

विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई और चिदंबरम के वकील की जिरह को डेढ़ घंटे से अधिक समय तक सुना। चिदंबरम को जोरबाग स्थित उनके आवास से बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था। चिदंबरम की पत्नी नलिनी, उनके बेटे कार्ति सहित परिवार के अन्य सदस्य भी उनके वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ अदालत कक्ष में मौजूद थे।

चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 2007 में 305 करोड़ रूपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2018 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।

चिदंबरम को जोरबाग स्थित उनके आवास से बुधवार रात गिरफ्तार किया गया था। सॉलिसीटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि एजेंसी इकबालिया बयान जबरन नहीं ले रही है, बल्कि उसके पास मामले की जड़ तक जाने का अधिकार है। सिब्बल के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी भी चिदंबरम की ओर से पेश हुए और उन्होंने सीबीआई की मांग का यह कहते हुए विरोध किया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री के देश से बाहर जाने की आशंका नहीं है। सिंघवी ने कहा कि सीबीआई का समूचा मामला इंद्राणी मुखर्जी के बयान पर आधारित है, जो इस मामले में सरकारी गवाह बन गई। उन्होंने कहा कि चिदंबरम वह जवाब नहीं दे सकते जो सीबीआई सुनना चाहती है।

उन्होंने कहा कि एजेंसी गोलमटोल जवाबों के आधार पर रिमांड नहीं मांग सकती। उन्होंने यह भी दलील दी कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ किये जाने का भी सीबीआई ने कोई आरोप नहीं लगाया है। सिंघवी ने कहा कि पुलिस रिमांड सिर्फ विशेष परिस्थितियों में दी जा सकती है और इस मामले में कोई नयी चीज सामने नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि एजेंसी चिदंबरम से बुधवार रात गिरफ्तारी के बाद से सिर्फ पुराने सवाल पूछ रही है। चिदंबरम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे कार्ति के चार्टर्ड अकाउंटेंट भास्कर रमन की हुई थी, जो अभी जमानत पर जेल से बाहर है।

सिब्बल ने कहा कि उसके अलावा मामले के अन्य आरोपी पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी को भी जमानत मिल चुकी है लेकिन अन्य मामले में वे जेल में हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि जमानत प्रदान करना एक नियम है और अदालत के समक्ष मुद्दा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है। पूछताछ के लिए चिदंबरम को पांच दिनों की हिरासत में सौंपे जाने की सीबीआई के मांग का विरोध करते हुए उन्होंने यह दलील दी। दरअसल, जांच एजेंसी ने बड़ी साजिश का खुलासा करने की जरूरत का जिक्र करते हुए अदालत से यह अनुरोध किया है।

मेहता ने दलील दी कि इस घोटाले में चिदंबरम दूसरे लोगों के साथ आपराधिक साजिश रचने में शामिल थे। चिदंबरम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। मेहता ने अदालत से कहा, ‘‘वह (चिदंबरम) जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने जवाब में टाल-मटोल कर रहे हैं और गंभीर अपराध किया गया है। मेहता ने कहा कि यह धन शोधन (मनी लाउंड्रिंग) का एक गंभीर और बड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि किसी चीज के एवज में फायदा पहुंचाए जाने को उजागर करने के लिए चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। उनका दस्तावेजों से आमाना-सामना कराये जाने की जरूरत है।

सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए सिब्बल ने दलील दी कि एजेंसी ने जो कुछ कहा है उसे ‘‘अकाट्य सत्य’’ के तौर पर नहीं लिया जा सकता। सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम से 12 सवाल पूछे गये और वह उनमें से छह का जवाब पहले ही दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि जांचकर्ता नहीं जानते कि क्या पूछना है और उनके पास सवाल भी तैयार नहीं है। बुधवार रात गिरफ्तारी के बाद चिदंबरम से पूछताछ (काफी समय बाद) बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे की जा गई। बहस के दौरान चिदंबरम ने कहा कि वह पिछले 24 घंटों से नहीं सोये हैं। मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की गई है। उन्होंने इसमें की गई टिप्पणियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में अब तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है और यह आरोपपत्र दाखिल करने से पहले का चरण है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमें सामग्री की जरूरत है जो चिदंबरम के पास है।’’ उन्होंने दलील दी, ‘‘हिरासत में पूछताछ किये जाने पर प्रभावी जांच हो पाना संभव होगा।’’ चिदंबरम को अदालत कक्ष में प्रवेश करने के शीघ्र बाद अपनी पार्टी के नेताओं और वरिष्ठ अधिवक्ताओं -- कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा के साथ मशविरा करते देखा गया। चिदंबरम की पत्नी नलिनी, उनके बेटे कार्ति सहित उनके परिवार के अन्य सदस्य भी डी कृष्णन सहित अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ अदालत कक्ष में हैं। अदालत कक्ष के बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गए हैं। चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 2007 में 305 करोड़ रूपये के विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2018 में उनके खिलाफ इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।

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