भारतीय नौसेना पानी के अंदर चलने वाले 'रथ' खरीदने की योजना बना रही है, मार्कोस कमांडो और घातक होंगे
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: December 10, 2023 12:06 PM2023-12-10T12:06:33+5:302023-12-10T12:08:01+5:30
इन खास रथों पर अतिरिक्त हथियारों को लोड भी किया जा सकता है। ये रथ उथले पानी में निगरानी करने, तटीय प्रतिष्ठानों को लक्ष्य बनाकर हमला करने और बंदरगाहों के भीतर जहाजों को निशाना बनाने के लिए दुनिया भर में सबसे उन्नत नौसैनिक बलों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं।
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना विशेष समुद्री अभियानों के लिए अपने कमांडो (MARCOS) की क्षमताओं को आधुनिक बनाने और मजबूत करने के प्रयासों के तहत स्वदेशी रूप से निर्मित तैराक डिलीवरी वाहनों - जिन्हें पानी के भीतर रथ और बौनी पनडुब्बियों के रूप में भी जाना जाता है - हासिल करने की योजना बना रही है।
यह कदम विशेष समुद्री अभियानों के लिए व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
पानी के नीचे तेजी से चलने वाले ये रथ या वाहन कम से कम छह चालक दल के सदस्यों को अपने साथ ले जा सकते हैं। यह लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित होते हैं। प्रारंभिक प्रोटोटाइप को हरी झंडी मिलने के बाद नौसेना की रणनीतिक योजना में इनमें से कई जहाजों की खरीद शामिल है। इन रथों का विशिष्ट आकार गोताखोरों को बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाने में सक्षम बनाएगा। ये खास उपकरण मिल जाने के बाद मार्कोस कमांडो उथले पानी में भी तेजी से गतिविधि कर सकते हैं और लंबे समय तक अंदर रह सकते हैं।
इन खास रथों पर अतिरिक्त हथियारों को लोड भी किया जा सकता है। ये रथ उथले पानी में निगरानी करने, तटीय प्रतिष्ठानों को लक्ष्य बनाकर हमला करने और
बंदरगाहों के भीतर जहाजों को निशाना बनाने के लिए दुनिया भर में सबसे उन्नत नौसैनिक बलों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं।
विश्व के इतिहास में ऐसे हथियारों का प्रयोग काफी समय से किया जा रहा है। इस तरह के रथों का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मानव संचालित टॉरपीडो के रूप में किया गया था। हालांकि भारतीय नौसेना के मौजूदा तैराक डिलीवरी वाहनों की जानकारी वर्तमान में सार्वजनिक डोमेन में सीमित है, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार अभी नौसेना इटली में बने रथों का उपयोग कर रही है। अब इन स्वदेशी निर्मित रथों को खरीदने के भारतीय नौसेना के कदम से न केवल सैन्य क्षमता बढ़ेगी बल्कि घरेलू उद्योग और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी गति मिलेगी।
बता दें कि हाल के कुछ महीनों में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से भी कई प्रयास किए गए हैं। अपनी आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना को मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (एमआरएएसएचएम) की खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से हरी झंडी मिल गई है। 21 नवंबर को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से सी-किंग 42बी हेलीकॉप्टर से पहली स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण भी सफलतापूर्वक किया गया।