परमिशन के बाद भी भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को पाकिस्तान ने गुरुद्वारे में जाने से रोका
By भारती द्विवेदी | Published: June 23, 2018 12:22 PM2018-06-23T12:22:51+5:302018-06-23T12:22:51+5:30
नई दिल्ली, 23 जून: पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को गुरुद्वारा जाने से रोक �..
नई दिल्ली, 23 जून: पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को गुरुद्वारा जाने से रोक दिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक अजय बिसारिया को पाकिस्तान के पंजाब साहिब गुरुद्वारा में जाने से रोका गया है। जबकि अजय बिसारिया के पास गुरुद्वारा में जाने की जरूरी परमिशन भी था।
पिछले साल नवंबर में अजय बिसारिया को पाकिस्तान का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। अजय को आईएफएस अधिकारी गौतम बंबावले की जगह नियुक्त किया गया था। इससे पहले साल 1988-91 में अजय मॉस्को दूतवास में तैनात थे। वहां पर वो दूतवास की आर्थिक और राजनीतिक विभाग से जुड़े थे। फिर साल 1999-2004 के बीच बिसारिया को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव के रूप में कार्यरत किया गया था। 2015 के जनवरी से वो पोलैंड में भारतीय राजदूत के रूप में कार्यरत थे।
Indian High Commissioner to Pakistan Ajay Bisaria stopped from visiting Gurdwara Panja Sahib in Pakistan's Hasan Abdal, despite having required permissions: Sources (File Pic) pic.twitter.com/njY0V5Ep76
— ANI (@ANI) June 23, 2018
बता दें कि पाकिस्तान के उच्चायोग ने भारत के 300 सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान का वीजा दिया है। ये सारे सिख श्रद्धालु महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर लाहौर जाएंगे। उन सभी सिख श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान रेलवे ने 21 जून को एक खास ट्रेन का इंतजाम किया था, जो उन्हें अटारी से पाकिस्तान लेकर गई है। महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि 21-30 जून तक लाहौर में मनाई जाएगी।
High Commission of Pakistan issued visas to over 300 Sikh pilgrims from India to observe the death anniversary of Maharaja Ranjit Singh at Gurdwara Dera Sahib, Lahore from 21st-30th June. A special train was arranged by Pakistan Railways from Attari to Pakistan on 21st June.
— ANI (@ANI) June 22, 2018
शेर-ए-पंजाब के नाम से मशहूर महाराजा रणजीत सिंह सिखों के राजा थे। 19वीं शताब्दी में उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर राज किया था। 27 जून 1839 को उनकी मौत लाहौर में हुई थी। उनका स्मारक सिख, हिंदू और इस्लामिक संस्कृति के अनुसार तैयार कराया गया है। भारत के सिख श्रद्धालु हर साल पाकिस्तान दर्शन के लिए जाते हैं।
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