चीन के आक्रामक रुख के बाद भारत ने गलवान घाटी में तैनात किए टी-90 मिसाइल फायरिंग टैंक!
By आदित्य द्विवेदी | Published: June 30, 2020 11:36 AM2020-06-30T11:36:50+5:302020-06-30T11:41:09+5:30
आज यानी 30 जून को भारत और चीन के बीच कॉर्प कमांडरों की बैठक चुशुल में बैठक चल रही है। इस बैठक में सेनाओं को पीछे करने के तौर तरीकों को अंतिम रूप देने पर चर्चा हो सकती है।
एक तरफ भारत बातचीत से सीमा पर तनाव खत्म करने और पूर्ववत स्थिति बहाल करने पर ज़ोर दे रहा है दूसरी तरफ चीन की धोखेबाजी से निपटने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है। इसी कड़ी में भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी इलाके में 6 टी-90 मिसाइल फायरिंग टैंक और एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम की तैनाती की है। हिंदुस्तान टाइम्स ने रक्षा सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट प्रकाशित की है। आपको बता दें कि आज यानी 30 जून को भारत और चीन के बीच कॉर्प कमांडरों की बैठक चुशुल में बैठक चल रही है। इस बैठक में सेनाओं को पीछे करने के तौर तरीकों को अंतिम रूप देने पर चर्चा हो सकती है। बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन कर सकते हैं।
चीन के आक्रामक रुख के बाद तैनात किए टैंक
भारतीय सेना ने टी-90 भीष्म टैंक तैनात करने के फैसला चीनी आक्रामकता के बाद लिया है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान घाटी में नदी के किनारे-किनारे हथियार वाहन और टेंट लगा लिए हैं। भारतीय सेना भी एलएसी के अपनी तरफ ऊंचाई वाले स्थानों में अपनी पोजीशन ले रही है।
155 एमएम हॉवित्जर के साथ इन्फैंट्री लड़ाकू वाहनों को पूर्वी लद्दाख में 1597 किमी लंबी एलएसी के साथ तैनात किया गया है। वहीं, चीन के किसी भी खतरे से निपटने के लिए चुशुल सेक्टर में भी सेना ने दो टैंकों की तैनाती की है। चीनी सेना इस क्षेत्र से एलएसी से वापस जाने के लिए सौदेबाजी करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारतीय सेना ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है।
सर्दियों में नहीं टिक पाएंगे चीनी सैनिक
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक मिलिट्री कमांडर के हवाले से लिखा है कि अगर चीन हरकत करता है तो भारत लंब समय तक लोहा लेने के लिए तैयार है। फिलहाल गलवान नदी का पानी -10 डिग्री से भी नीचे है और नदी के किनारे भी भयंकर ठंड है। जब सर्दियां शुरू होंगे तो चीनी सेना अपने साजोसामान के साथ ज्यादा दिन यहां टिक नहीं पाएगी।
चीनी सेना पू्र्वी लद्दाख में मार्शियल आर्ट्स की ट्रेनिंग पाए सैनिकों की तैनाती का प्रोपेगेंडा फैलाता है। जबकि, वास्तविकता यह है कि भारतीय सैनिकों के मुकाबले चीनी सैनिकों का ऐसी परिस्थितिओं में टिके रहना काफी मुश्किल है। वर्ष 1984 के बाद से, भारतीय सेना को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
लद्दाख के उत्तर, मध्य और दक्षिण के 6 हिस्सों में चीनी सेना घुसी है
सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख के उत्तर, मध्य और दक्षिण के 6 हिस्सों में चीनी सेना घुसी है। उत्तरी लद्दाख में गलवान घाटी और देपसांग, मध्य लद्दाख में हाट स्प्रिंग्स, पेंगोंग सो और चुशूल तक तो दक्षिणी लद्दाख में दमचोक और चुमार में पीएलए की घुसपैठ हुई है। नतीजा सामने है।
उत्तरी लद्दाख में भारतीय सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 10 से 13 तक में चौकसी नहीं कर पा रही है, क्योंकि चीनी सेना ने भारत की सीमा में 15 किमी अंदर तक सड़क बना ली है। दरअसल चीन जीवन नाला तक घुस चुका है। अब नज़र बेहद अहम राकी नाला पर है। भारत की सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर है, लेकिन उससे 25 किमी दक्षिण में पीपी 15 पर चीन ने 2 सड़कें बनाई हैं।
पेंगोंग सो के उत्तर में चीन ने फिंगर 8 से फिंगर 4 तक के 8 किमी क्षेत्र को हड़प लिया है। इस घुसपैठ से भारत की दुर्बुक-शयोक-दौलतबेग ओल्डी रोड खतरे में है। वहीं जीवन नाला और राकी नाला तक चीन की घुसपैठ से भारत के कराकोरम दर्रे तक पहुंचने वाले दो रास्तों से कटने का खतरा पैदा हो गया है।