कैश क्रंच से जूझ रही है भारतीय सेना, नहीं खरीदेगी भीषण युद्ध के लिए जरूरी महँगे हथियार: रिपोर्ट
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 20, 2018 10:38 AM2018-04-20T10:38:55+5:302018-04-20T10:48:04+5:30
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना के पास केवल 10 दिन के भीषण युद्ध के लिए जरूरी हथियार और गोला-बारूद है। भारत सरकार के निर्देश के अनुसार सेना के पास 40 दिनों के भीषण युद्ध के लिए जरूरी हथियार होने चाहिए।
देश के एटीएम में कैश की कमी की खबरों के बीच मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय सेना भी पैसे की तंगी से जूझ रही है। इंडियन एक्सप्रेस की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना ने बज़ट आवंटन कम किये जाने की वजह से कई महँगे आयुधों की खरीदारी को भविष्य के लिए टाल दिया है, जबकि सेना के पास 10 दिन की लड़ाई के लिए भी जरूरी आयुध नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना ने पैसों बचाने के लिए इन आयुधों की खरीद टाली है और इस फैसले की वजह से महत्वपूर्ण आयुधों में 15-25 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भारतीय थल सेना प्रमुख बिपिन रावत के साथ आर्मी कमांडरों की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में शायद इस बात पर आखिरी मोहर लग जाए कि स्मर्क रॉकेट, कॉन्कर मिसाइलें, टैंकों में इस्तेमाल होने वाले आयुध (एपीएफएसडीएस स्मोक) और इन्फ्लुएंस माइन्स की मात्रा 10 दिन के भीषण युद्ध के लिए जरूरी मात्रा से कम रखी जाएगी। सेना ने इन सभी आयुधों को "महँगे" के रूप में चिह्नित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के निर्देश के अनुसार भारतीय सेना के पास 40 दिनों के भीषण युद्ध के लिए हथियार और गोला-बारूद होना चाहिए। ऐसे में केवल 10 दिनों के भीषण युद्ध के लिए ही हथियार रखना एक गंभीर स्थिति होगी। रिपोर्ट के अनुसार कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने भी पिछले साल की अपनी रिपोर्ट में भारतीय सेना के पास भीषण युद्ध के लिए हथियारों और गोला-बारूद की कमी की तरफ ध्यान दिलाया था।
सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि भारतीय सेना ने तय किया है कि वो कम इस्तेमाल होने वाले ओएसओ एके मिसाइल, तंगुशखा एंटी-एयरक्राफ्ट वेपन सिस्टम, क्रैज और जेडआईएल हाई मोबिलिटी वेहिकल्स की जगह नए हथियारों की खरीद के लिए पैसे खर्च किए जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार सेना अगले दो-तीन वित्त वर्षों में 600-800 करोड़ रुपये की बचत करना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वित्त वर्षों में भारतीय सेना ने इमरजेंसी प्रोक्यूरमेंट ऑफ एम्युनेशन फंड से 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए और अन्य मद से 15 हजार करोड़ रुपये खर्च किए।
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 से पहले तक भारतीय सेना का औसत सालाना खर्च करीब 4600-4700 करोड़ रुपये होता था। भारत सरकार ने रक्षा खर्च बढ़ाने की शक्ति सेना मुख्यालय को सौंप दी है लेकिन इसके लिए जरूरी बज़ट आवंटन नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना के उप-प्रमुख ने पिछले महीने संसदीय कमेटी के सामने भी ये मुद्दा उठाते हुए कहा था कि "सेना के आधुनिकीकरण के लिए 21,338 करोड़ रुपये का बज़ट काफी नहीं है...ये पैसा 125 पहले से तय योजनाओं, आपातकालीन जरूरतों के लिए भी पर्याप्त नहीं है... "