भारत बंद शांतिपूर्ण रहा, कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ

By भाषा | Updated: December 8, 2020 22:51 IST2020-12-08T22:51:46+5:302020-12-08T22:51:46+5:30

India was peaceful, life was affected in some states | भारत बंद शांतिपूर्ण रहा, कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ

भारत बंद शांतिपूर्ण रहा, कुछ राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ

नयी दिल्ली/चंडीगढ़, आठ दिसंबर नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान पर मंगलवार को देश के कई हिस्सों में दुकानों एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने, यातायात बाधित होने से जनजीवन प्रभावित हुआ।

प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क एवं रेल मार्गों को बाधित किया। हालांकि, बंद लगभग शांतिपूर्ण रहा और किसानों ने अपनी शक्ति प्रदर्शित की। वहीं, कुछ राज्यों में बंद का प्रभाव नहीं दिखा और यहां जनजीवन सामान्य रहा।

किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बुधवार को होने वाली छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास के तहत किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की।

सूत्रों के मुताबिक, 13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था। बैठक रात आठ बजे आरंभ हुई। किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे, जबकि पांच नेता देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे।

इससे पहले दिन में, किसान नेता आर.एस. मानसा ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बीच का कोई रास्ता नहीं है। हम आज की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से केवल ‘हां’ या ‘नहीं’ में जवाब देने को कहेंगे।’’ सिंघू बार्डर पर हजारों की संख्या में किसान पिछले 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।

स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने एक विश्लेषक के तौर पर बंद का आकलन करते हुए दावा किया कि 25 राज्यों में करीब 10,000 स्थानों पर राष्ट्रव्यापी बंद का असर देखने को मिला।

बंद से आपात सेवाओं और बैंकों को दूर रखा गया। बैंक भी खुले रहे। अखिल भारतीय बंद को अधिकतर विपक्षी दलों और कई मजदूर संघों का समर्थन मिला। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के अलावा ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार और महाराष्ट्र में भी बंद का असर देखा गया, हालांकि यह शांतिपूर्ण रहा।

वहीं, भाजपा शासित गोवा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और अरूणाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला और जनजीवन सामान्य रहा।

बंद के मद्देनजर देशभर में सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी। कुछ स्थानों पर अशांत भीड़ भी देखने को मिली और दिल्ली से लगी सीमा पर काफी संख्या में प्रदर्शनकारी जमे रहे। प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में कई स्थानों पर रेल पटरियां अवरूद्ध कर दीं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदर्शन के टीकरी बार्डर जैसे केंद्र बिंदुओं पर ‘किसान एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए और आंदोलन ने जोर पकड़ा। सोशल मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहा, जहां दोपहर बाद तक ‘आज भारत बंद है’ हैशटैग छाया रहा।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में मंडियां बंद रहीं, लेकिन दुकानें खुली रहीं, राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें होने की खबरें हैं।

दिल्ली में अधिकतर मुख्य बाजार खुले रहे। हालांकि, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दिल्ली पुलिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नजरबंद करने का आरोप लगाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया था।

दिल्ली पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया, लेकिन आप के नेता अपने रुख पर अड़े रहे।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘अगर मुझे रोका नहीं जाता तो, मैं प्रदर्शन कर रहे किसानों के भारत बंद में उनका समर्थन करने के लिए जाता। मुझे खुशी है कि भारत बंद कामयाब हुआ। मैंने अंदर बैठकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए प्रार्थना की।’’

किसान संगठनों ने पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम प्रदर्शन के दौरान देशभर में राष्ट्रीय राजमार्ग अवरूद्ध करने और टोल प्लाजा घेरने की धमकी दी थी।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के महासचिव हन्नान मौला ने कहा कि ‘भारत बंद’ किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है।

मौला ने कहा, ‘‘ हम तीनों (नये कृषि) कानूनों की पूरी तरह वापसी की अपनी मांग पर अडिग हैं और किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं होंगे। ये ऐसे कानून हैं, जिसमें संशोधन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा...यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अपने आंदोलन को अगले चरण में ले जाने को तैयार हैं।’’

प्रदर्शनकारी किसानों को इस बात का डर है कि नये कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और मंडिया खत्म हो जाएंगी, जिसके बाद वे बड़े कॉरपोरेट की दया के सहारे रह जाएंगे। वहीं, सरकार का कहना है कि नये कानून किसानों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराएंगे और कृषि में नयी प्रौद्योगिकी लेकर आएंगे।

विपक्षी दलों के बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की उम्मीद है, जिस दौरान वे केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के बारे में अपनी आशंकाओं से उन्हें अवगत कराएंगे।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के पहले (कृषि कानूनों का विरोध करने वाले) विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता बैठक कर चर्चा करेंगे और सामूहिक रुख अपनाएंगे।’’

नये कृषि कानूनों पर राजनीतिक मतभेद गहराने के बीच,भाजपा ने बंद का समर्थन करने को लेकर विपक्षी दलों की आलोचना की और कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का मुकाबला करने में अक्षम रहने के बाद लोगों को उकसाने के लिए इन मुद्दों पर भ्रम फैला रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात का जिक्र किया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित कई राज्यों ने अनुबंध कृषि की व्यवस्था पेश की थी। उन्होंने नये कृषि कानूनों के खिलाफ उनके रुख और बंद को उनके समर्थन की आलोचना की।

बंद के दौरान पंजाब और हरियाणा में दुकानें एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान तथा हजारों पेट्रोल पंप बंद रहे। दोनों राज्यों में सुबह से ही किसान राजमार्गों एवं अन्य मुख्य मार्गों पर एकत्र हुए।

पंजाब में सभी बड़ी पार्टियों--सत्तारूढ़ कांग्रेस के अलावा आप और शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-- ने अपना समर्थन दिया।

पंजाब सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुखचैन खैरा ने बताया कि किसानों के समर्थन में 50,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक आकस्मिक अवकाश लिया।

पड़ोसी राज्य एवं भाजपा-जजपा गठबंधन शासित हरियाणा में विपक्षी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया।

हरियाणा पुलिस के यात्रा परामर्श में लोगों को चेतावनी दी गई थी कि मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहेंगे और बंद का मुख्य असर दोपहर 12 बजे से दोपहर तीन बजे तक देखे जाने की उम्मीद है।

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘भारत बंद’ का समर्थन किया। हालांकि, इसे लागू कराने से दूर रही। राज्य में बंद का मिला जुला असर देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने राज्य में कई स्थानों पर रेल पटरियों को जाम किया और सड़कों पर धरना दिया।

बिहार में भी बंद से जनजीवन प्रभावित हुआ। राज्य में विपक्षी दलों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। राज्य के जहानाबाद जिले में पटना-पलामू एक्सप्रेस ट्रेन को बंद समर्थकों ने कुछ देर के लिए रोक दिया।

बीजू जनता दल शासित ओडिशा में भी ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं, जहां किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं, मजदूर संघों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भुवनेश्वर, कटक, भद्रक और बालेश्वर में पटरियों पर धरने पर बैठ गये थे। राज्य में शेष स्थानों पर भी जनजीवन प्रभावित हुआ, जहां बाजार एवं कार्यालय बंद रहे तथा कांग्रेस और वाम दलों के समर्थकों ने मुख्य सड़कों को बाधित किया।

कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में बड़े शहरों में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन ने बंद का समर्थन किया। पुणे, नासिक, नागपुर और औरंगाबाद में थोक बाजार बंद रहे। कई शहरों में दुकानें बंद रहीं।

राज्य के कई हिस्सों में कृषि उत्पाद विपणनन समितियां (एपीएमसी) बंद रहीं।

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा, ‘‘ मैं देश के लोगों से अपील करता हूं, दिल्ली में जो आंदोलन चल रहा है, वह पूरे देश में चलना चाहिए। सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐसी स्थिति बनाने की जरूरत है और इसके लिए किसानों को सड़कों पर उतरना होगा। लेकिन कोई हिंसा नहीं करे।’’

हजारे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रालेगण सिद्धि गांव में दिन भर के अनशन पर बैठे।

अन्य राज्यों में बंद का मिला-जुला असर रहने की खबर है।

अधिकारियों ने बताया कि असम में दुकानें बंद रहीं, प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरूद्ध कर दीं और धरना दिया लेकिन ज्यादातर कार्यालय खुले रहे। दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

उत्तर प्रदेश में ज्यादातर दुकानें और कार्यालय खुले रहें, जबकि विपक्षी समाजवादी पार्टी ने कई जिलों में प्रदर्शन किए और इलाहाबाद में एक ट्रेन भी रोक दी।

तेलंगाना में सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल तथा विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन किए।

तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रमुक और कांग्रेस सहित उसके सहयोगी दलों ने राज्य भर में प्रदर्शन किए लेकिन जनजीवन मुख्य रूप से अप्रभावित रहा।

केंद्र शासित प्रदेश एवं कांग्रेस शासित पुडुचेरी में बंद का लगभग पूरा असर देखने को मिला।

कर्नाटक के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ क्योंकि किसान एवं कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे।

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