भारत-US 2+2 वार्ता: ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हुए हस्ताक्षर, सुषमा स्वराज ने उठाया H-1B वीजा का मु्द्दा
By भाषा | Published: September 7, 2018 05:44 AM2018-09-07T05:44:34+5:302018-09-07T05:44:34+5:30
‘‘टू-प्लस-टू’’ वार्ता के पहले संस्करण में, दोनों देशों ने सीमा पार आतंकवाद, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए भारत का प्रयास, विवादास्पद एच1बी वीजा जैसे मुद्दों के अलावा भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
नई दिल्ली, 07 सितंबरः अपने संबंधों को और प्रगाढ़ करते हुए भारत और अमेरिका ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दोनों देशों ने अपने रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने का फैसला किया और भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइलों की खरीद और ईरान से कच्चे तेल के आयात जैसे पेचीदा मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।
‘‘टू-प्लस-टू’’ वार्ता के पहले संस्करण में, दोनों देशों ने सीमा पार आतंकवाद, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए भारत का प्रयास, विवादास्पद एच1बी वीजा जैसे मुद्दों के अलावा भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिकी विदेश मंत्री माइक आर पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ बातचीत के दौरान इन महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गयी। एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि तेजी से बढ़ते अपने सैन्य संबंधों की पहचान करते हुए दोनों पक्षों ने एक नए त्रि-सेना अभ्यास के साथ-साथ संयुक्त रूप से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के विस्तार का दायरा बढ़ाने का भी फैसला किया।
पहला त्रि-सेना, थलसेना, नौसेना और वायु सेना- अभ्यास अगले वर्ष होगा। पोम्पिओ ने सुषमा स्वराज, मैटिस और निर्मला सीतारमण के साथ संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हम वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का पूरी तरह से समर्थन करते हैं तथा हम अपनी साझेदारी के लिए भारत की समान प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।"
अधिकारियों ने कहा कि ‘संचार, संगतता, सुरक्षा समझौते’ (कम्यूनिकेशन्स कॅम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट... कॉमकासा) के तहत भारत को अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा संचार उपकरण हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतर-सक्रियता के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक उसकी पहुंच होगी।
उन्होंने कहा कि संधि के प्रावधान तुरंत लागू हो गए और यह अगले 10 वर्षों के लिए मान्य होंगे। समझौता भारत में इन आशंकाओं के कारण लंबे समय से लंबित था कि इसके प्रावधान अमेरिका को भारत के सैन्य प्लेटफॉर्म पर नजर रखने की अनुमति दे सकते हैं क्योंकि वे अमेरिकी संचार नेटवर्क से जुड़े रहेंगे।
सूत्रों ने कहा कि वार्ता के दौरान, भारत ने देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरानी कच्चे तेल पर निर्भरता के बारे में अमेरिका को बताया। इस पर अमेरिकी पक्ष ने कहा कि वह इस स्थिति से निपटने में मदद करेगा और दोनों पक्ष इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे। अमेरिका ने सभी देशों से कहा है कि वे चार नवंबर तक ईरान से अपने तेल का आयात शून्य कर लें। उस समय प्रतिबंध पूरी तरह प्रभावी हो जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि एस -400 मिसाइलें और अन्य रक्षा प्लेटफॉर्म खरीदने की भारत की योजना पर अमेरिका ने कहा कि वह दशकों पुराने भारत-रूस रक्षा और सैन्य सहयोग को समझता है। एक सूत्र ने कहा, "अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भारत को आश्वासन दिया कि रूस के साथ उसके संबंध भारत-अमेरिका दीर्घावधिक रणनीतिक सहयोग को प्रभावित नहीं करेंगे।"
सूत्रों ने कहा कि भारत ने प्रतिबंधों से प्रभावित ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना में नयी दिल्ली की भागीदारी के रणनीतिक महत्व का जिक्र किया, खासकर अफगानिस्तान के साथ व्यापार के लिए। अमेरिका ने इस विचार से सहमति व्यक्त की।
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के बारे में संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने भारत में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी के बीच सहयोग तथा असैनिक परमाणु ऊर्जा भागीदारी के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्धता जतायी। सूत्रों ने कहा कि सुषमा ने एच-1बी वीज़ा मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।
सुषमा ने संयुक्त मीडिया कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैंने पोम्पिओ से इसका उल्लेख किया है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच की दोस्ती के आधार पर, भारतीयों का मानना है कि अमेरिका उनके हितों के खिलाफ काम नहीं करेगा। मैंने उनसे भारतीयों के भरोसे को कायम रखने को कहा है।’’
संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों ने पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उसके भूभाग का उपयोग अन्य देशों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए नहीं हो।
बयान के अनुसार 2008 के मुंबई हमले की 10वीं बरसी पर उन्होंने पाकिस्तान से मुंबई, पठानकोट और उरी तथा सीमा पार से हुए अन्य आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ताओं को शीघ्रता से न्याय की जद में लाने को कहा।