हिंद-प्रशांत में नियम आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है भारत : राजनाथ सिंह

By भाषा | Published: June 16, 2021 03:49 PM2021-06-16T15:49:50+5:302021-06-16T15:49:50+5:30

India supports rules based order in Indo-Pacific: Rajnath Singh | हिंद-प्रशांत में नियम आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है भारत : राजनाथ सिंह

हिंद-प्रशांत में नियम आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है भारत : राजनाथ सिंह

नयी दिल्ली, 16 जून समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को लेकर भारत की चिंताओं का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था का बुधवार को आह्वान किया और दक्षिण चीन सागर समेत अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों में नौवहन, समुद्री क्षेत्र में उड़ान और बेरोकटोक व्यापार की आजादी सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया।

‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस’ (एडीएमएम-प्लस) में डिजिटल संबोधन में सिंह ने समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने अहम समुद्री मार्गों में चीन के आक्रामक व्यवहार का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने इस क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवाद और कट्टरता दुनिया में शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

एडीएमएम-प्लस आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ) के 10 देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका का मंच है।

सिंह ने देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुत्ता, संवाद के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तथा अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों के अनुपालन के आधार पर इस क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि आचार संहिता पर बातचीत के नतीजे निकलेंगे जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार होंगे और उन देशों के वैध अधिकारों तथा हितों का उल्लंघन नहीं करेंगे जो इन बातचीत का हिस्सा नहीं हैं।

चीन या किसी अन्य देश का नाम लिए बिना सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए नयी चुनौतियां पैदा हो रही हैं और पुरानी व्यवस्थाओं के साथ उनसे निपटा नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भारत के लिए चिंता का एक अन्य सबब है। इस संबंध में दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने क्षेत्र में तथा इससे आगे ध्यान आकर्षित किया है। भारत इन अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों में नौवहन, समुद्री क्षेत्रों पर उड़ान भरने और बेरोकटोक व्यापार की आजादी का समर्थन करता है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रचार के लिए बदलते दृष्टिकोणों और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत में सहयोगी भागीदारी मजबूत की है। आसियान की केंद्रीयता के आधार पर भारत ने हिंद-प्रशांत के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण के क्रियान्वयन के वास्ते महत्वपूर्ण मंच के तौर पर आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के इस्तेमाल का समर्थन किया है।’’

उन्होंने पाकिस्तान का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र किए बिना आतंकवाद को बढ़ावा देने, उसका समर्थन और वित्त पोषण करने तथा आतंकवादियों को शरण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद और कट्टरता दुनिया के सामने शांति तथा सुरक्षा के लिए आज सबसे गंभीर खतरा हैं।’’ उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के तौर पर भारत वित्तीय आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘भारत आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंताएं साझा करता है और यह मानता है कि जब आतंकवादियों के बीच गठजोड़ चिंताजनक स्थिति तक पहुंच रहा है तो केवल सामूहिक सहयोग से ही आतंकी संगठन और उनके नेटवर्कों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है, दोषियों की पहचान की जा सकती है और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से अभी उबर रहा है जिसने देश की चिकित्सा प्रतिक्रिया को ‘‘सीमित’’ कर दिया और उन्होंने पेटेंट मुक्त टीके उपलब्ध कराने, निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला और महामारी को हराने में चिकित्सा क्षमताएं बढ़ाने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया।

कोरोना वायरस महामारी पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘यह वायरस तेजी से बदल रहा है और हमारी प्रतिक्रिया की परीक्षा ले रहा है क्योंकि वायरस के नए स्वरूप ज्यादा संक्रामक और संवेदनशील हैं। भारत दूसरी लहर से अभी उबर रहा है जिसने हमारी चिकित्सा प्रतिक्रिया को सीमित कर दिया, लेकिन महामारी के विनाशकारी असर अभी सामने आ रहे हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि विश्व अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर बढ़ें और यह सुनिश्चित हो कि इसमें कोई भी पीछे न छूटे। मेरा मानना है कि यह तभी संभव है जब पूरे मानव समुदाय को टीका लग जाए।’’

सिंह ने आसियान के साथ भारत के गहरे संबंध पर भी बात की और कहा कि नयी दिल्ली क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में समूह की केंद्रीयता को महत्ता देता रहा है।’’

उन्होंने साइबर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘रैनसमवेयर, वानाक्राई हमलों और क्रिप्टो मुद्रा चोरी’’ जैसी घटनाएं चिंता की बात हैं।

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