भारत के पास चीन को जवाब देने के लिए हैं तीन रास्ते, पूर्व सैन्य अधिकारी ने बताया- क्या हैं विकल्प और क्या हैं इसके खतरे
By शीलेष शर्मा | Published: June 18, 2020 08:30 PM2020-06-18T20:30:35+5:302020-06-18T21:38:35+5:30
लद्दाख में भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद पीएम मोदी ने कड़ा संदेश दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास सीमित विकल्प हैं।
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह देश को भरोसा दिया है कि सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और भारत माकूल जबाब देने में सक्षम है। इस बात को लेकर विशेषज्ञों की राय कुछ अलग है, उनका मानना है कि भारत के पास सीमित विकल्प हैं, जिसके आगे जाना संभव नजर नहीं आता।
पूर्व सैन्य अधिकारी अजय शुक्ला मानते हैं कि भारत के सामने 3 रास्ते हैं, जिनमें से एक को चुनना होगा। पहला भारत सीधा हमला कर पाकिस्तान की तर्ज पर चीन को जबाब दे, लेकिन यह जोखिम भरा है, क्योंकि चीन पाकिस्तान नहीं है वह जबाबी कार्यवाही करेगा, जिससे बड़ी संख्या में सैन्य बल की हानि होगी और साथ ही सैनिक हथियार नष्ट होंगे। अतः भारत इस रास्ते से बचने की कोशिश करेगा।
दूसरा विकल्प भारत के सामने एलएसी से लगे उस हिस्से पर कब्जा करना है, जिस पर चीन अपना दावा करता रहा है, हालांकि यह भी इतना आसान नहीं, क्योंकि भारत जैसे ही यह कार्यवाही करेगा चीन पलट बार करेगा। अंतिम विकल्प कूटनीतिक रास्ते के साथ चीन पर आर्थिक हमला करना है।
भारत-चीन के बीच भारी व्यापार असुंतलन है
2019 के आंकड़े बताते हैं कि भारत-चीन के बीच भारी व्यापार असुंतलन है। 2019 में भारत का व्यापार घाटा 56.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। चीन के लिए भारत एक बड़ा बाजार है जो चीन अपने हाथ से नहीं निकलने देगा।
न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा- समझौते का रास्ता तलाश रहा भारत
दूसरी तरफ न्यूयार्क टाइम्स लिखता है भारत-चीन युद्ध नहीं करेंगे, क्योंकि दोनों देश न्यूकिलियर शक्ति वाले देश हैं, प्रधानमंत्री मोदी भले ही कड़ा संदेश दे रहे हों, लेकिन अंदर से समझौते का रास्ता तलाश रहे हैं, अखबार ने 43 चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर को भी नकार दिया है और केवल 3 चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात लिखी है।
चीन को अलग-थलग करने की सीधी कोशिश करनी चाहिए
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ सौरभ शुक्ला ने टिप्पणी व्यक्त करते हुए कहा कि समय आ गया है जब भारत को चीन से बातचीत जारी रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने की सीधी कोशिश करनी चाहिए और साथ ही आर्थिक हमले पर जोर देना चाहिए।
वहीं पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव मानती हैं कि भारत को कूटनीतिक रास्ते से इस मामले को हल करना चाहिए, साथ ही यह भी समझ लेना चाहिए कि चीन भारत का पड़ोसी देश है मित्र देश नहीं, डोकलाम, अजहर मसूद प्रकरण अथवा उसकी मंशा जो वह जबरन लादना चाहता है, जिसके तहत चीन-भूटान और सिक्कम के बीच ट्राई जंक्शन सीमा का निर्माण शामिल है।