HNLC unlawful association: 5 साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित?, मेघालय स्थित उग्रवादी संगठन एचएनएलसी पर एक्शन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 14, 2024 16:48 IST2024-11-14T16:20:28+5:302024-11-14T16:48:08+5:30
HNLC unlawful association: केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को मेघालय स्थित विद्रोही समूह हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) को हिंसक घटनाओं में शामिल होने और भारत की संप्रभुता व अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों को अंजाम देने के वास्ते पांच साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया।

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HNLC unlawful association: केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को मेघालय स्थित हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) को प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है और 5 साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित किया है। उसके सभी गुटों, विंगों और प्रमुख संगठनों पर शिकंजा कस दिया है। 16 नवंबर, 2024 से पांच साल के लिए गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया। यह कदम एचएनएलसी द्वारा अतीत में की गई गैरकानूनी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया। ऐसी गतिविधियों में शामिल है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए "नुकसानदेह" हैं।
Ministry of Home Affairs today declared Hynniewtrep National Liberation Council (HNLC) along with all its factions, wings and front organisations as an unlawful association with immediate effect from the November 16, 2024 for a period of five years. pic.twitter.com/ZIo4QOAx0B
— DD India (@DDIndialive) November 14, 2024
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार की राय है कि एचएनएलसी ने मेघालय के उन क्षेत्रों को अलग करने का लक्ष्य घोषित किया है, जिनमें मुख्य रूप से खासी और जैंतिया जनजातियां निवास करती हैं, तथा उसने अपने संगठन के वास्ते धन उगाही करने के लिए नागरिकों को डराना-धमकाना जारी रखा है।
इसमें कहा गया है कि यह समूह जबरन वसूली और धमकी देने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य विद्रोही समूहों के साथ भी संबंध बनाए हुए है और नवंबर 2019 से जून 2024 की अवधि के दौरान मेघालय में विस्फोट करने या विस्फोटक लगाने के कई मामलों सहित 48 आपराधिक मामलों में शामिल रहा है।
अधिसूचना में कहा गया, “एचएनएलसी अपने सभी गुटों, शाखाओं और मेघालय के सहयोगी संगठनों के साथ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक हैं।” अधिसूचना में कहा गया है कि इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए गृह मंत्रालय ने एचएनएलसी को गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) के तहत पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित करने का फैसला किया है।
केंद्र ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम सहित छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को पुनः लागू कर दिया है, जिसके तहत सुरक्षा बलों की सहूलियत के लिए किसी क्षेत्र को “अशांत” घोषित किया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यह निर्णय वहां जारी जातीय हिंसा के कारण लगातार अस्थिर स्थिति को देखते हुए लिया गया है।
Ministry of Home Affairs today extended the Armed Forces (Special Powers) Act, 1958 in six Police stations of five districts (Imphal West, Imphal East, Jiribam, Kangpokpi and Bishnupur) in Manipur with immediate effect up till March 31, 2025, unless withdrawn earlier. pic.twitter.com/JO5HuOxIAK
— ANI (@ANI) November 14, 2024
जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा को फिर से लागू किया गया है, वे हैं इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लमसांग, इंफाल पूर्वी जिले में लमलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लीमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग। यह ताजा आदेश मणिपुर सरकार द्वारा एक अक्टूबर को इन छह पुलिस थानों समेत 19 थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में अफस्पा लागू करने के बाद आया है।
मणिपुर सरकार के एक अक्टूबर के अफस्पा लगाने के आदेश से बाहर रहे पुलिस थानों में इंफाल, लाम्फाल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइनगांग, लामलाई, इरिलबंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम शामिल थे।
मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार को छद्म वर्दीधारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों द्वारा एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी की गयी। इसके बाद सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में ग्यारह संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। एक दिन बाद, उसी जिले से सशस्त्र आतंकवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया।
पिछले वर्ष मई से इंफाल घाटी स्थित मेइती और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, जो इंफाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में हुए संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, इस साल जून में एक खेत में किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा का गवाह बना।