11 अप्रैल को 40 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर दिन 50 लाख वैक्सीन के आह्वान के बावजूद टीकाकरण अभियान एक मई से एकाएक ढेर होता दिख रहा है। एक से 9 मई के दौरान प्रतिदिन औसतन 12.45 लाख डोज की गिरावट देखी गई।
अप्रैल में प्रतिदिन 29.33 लाख वैक्सीन का आसत था। मई के पहले नौ दिन में ही वैक्सीनेशन में 42 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। 17 लाख डोज प्रतिदिन के वर्तमान औसत को देखा जाए तो देश के 18 साल से अधिक उम्र के 90 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन 30 माह में पूरा सकेगा।
एक ओर जबकि पूरे देश में लोग कहीं पहले तो कहीं दूसरे डोज के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं, पीएम टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वी.के. पॉल की राय में वैक्सीन नीति बिल्कुल निर्दोष है।
कोरोना वैक्सीनेशन में उम्मीद की किरण
इस बीच सरकार द्वारा वैक्सीन उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास और उसके लिए जरूरी सामान के आयात को तुरत-फुरत मंजूरी देना, उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। 20 मई को रूस से स्पूतनिक वी टीके की पहली खेप आने के बाद भारत आयात और घरेलू उत्पादन के जरिए 2021-22 में बिक्री के लिए 10 करोड़ टीके उपलब्ध होंगे।
वहीं जून तक जायडस कैडिला की जायकोव-डी वैक्सीन के 8 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे। पुणे की जिनो बायोफार्मास्यूटिकल्स ने नई कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू कर दिए हैं।
सीरम और भारत बायोटेक की वैक्सीन उत्पादन क्षमता 100 करोड़ जैब्स की है। इस तरह मार्च-2022 तक भारत के पास 128 करोड़ जैब्स उपलब्ध होंगे। बाकी जरूरतों की पूर्ति फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा पूरी की जा सकती है।
भारत में कोरोना टीकाकरण
पात्र आबादी- 90 करोड़डोज की जरूरत- 180 करोड़9 मई तक दिए गए डोज- 17 करोड़कितने और डोज चाहिए- 163 करोड़सलाना उत्पादन क्षमता- 128 करोड़प्रतिदिन वैक्सीनेशन औसत- 17 लाखवर्तमान गति से सबका वैक्सीनेशन- 958 दिनप्रतिदिन 50 लाख का वैक्सीनेशन हुआ तो- 326 दिन