लद्दाख सीमा पर तनाव लंबा चलेगा, चीन और भारत ने सेना अलर्ट किए, टैंक, तोपखाना और मिसाइल तैनात

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 1, 2020 04:12 PM2020-07-01T16:12:08+5:302020-07-01T16:13:47+5:30

रक्षा सूत्रों के बकौल, भारतीय सेना की ओर से भी तीन डिवीजन सेना को लद्दाख के मोर्चं पर तैनात किया जा चुका है। दोनों ही पक्षों द्वारा टैंकों, तोपखानों और एयर डिफेंस रक्षा प्रणाली के तहत मिसाइलों को भी तैनात कर दिया गया है।

india-china Tension Ladakh border deploy forces tanks, artillery and missiles deployed | लद्दाख सीमा पर तनाव लंबा चलेगा, चीन और भारत ने सेना अलर्ट किए, टैंक, तोपखाना और मिसाइल तैनात

सियाचिन की तरह जहां न्यूनतम तामपान शून्य से 50 डिग्री नीचे भी चला जाता है।

Highlightsचीनी सेना लद्दाख के 6 के करीब विवादित क्षेत्रों से पीछे नहीं हटी तो भारतीय सेना को सियाचिन व करगिल के मोर्चे के अनुभव का इस्तेमाल करना होगा। सियाचिन हिमखंड में लड़ने और रुकने का भी अनुभव है जो दुनिया का सबसे ऊंचाई वाला युद्धस्थल माना जाता है। 1999 के करगिल युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना करगिल की उन दुर्गम पहाड़ियों पर काबिज है जहां का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है।

जम्मूः भारतीय सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर तनाव के लंबा चलने के मद्देनजर अपनी रक्षा तैयारियां आरंभ कर दी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बातचीत के दौर के साथ साथ चीन द्वारा लद्दाख में एलएसी पर 20 हजार के करीब फौजियों को तैनात कर दिया गया है व 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों को भी तिब्बत के इलाके से एलएसी तक पहुंचने का फरमान सुना दिया गया है।

रक्षा सूत्रों के बकौल, भारतीय सेना की ओर से भी तीन डिवीजन सेना को लद्दाख के मोर्चं पर तैनात किया जा चुका है। दोनों ही पक्षों द्वारा टैंकों, तोपखानों और एयर डिफेंस रक्षा प्रणाली के तहत मिसाइलों को भी तैनात कर दिया गया है।

हालांकि रक्षाधिकारी उम्मीद प्रकट करते थे कि लद्दाख के मोर्चं पर अब खूरेंजी झड़पें नहीं होगी लेकिन बावजूद इसके भारतीय पक्ष ने भी लद्दाख सीमा पर लंबे समय तक टिके रहने की खातिर जो तैयारियां आरंभ की हैं उनमें सर्दी से बचाव वाले बंकरों और खाईयों व खंदकों का निर्माण भी है, जो जोरों पर है।

भारतीय सेना को सियाचिन व करगिल के मोर्चे के अनुभव का इस्तेमाल करना होगा

एक अधिकारी के बकौल, अगर सितम्बर से पहले चीनी सेना लद्दाख के 6 के करीब विवादित क्षेत्रों से पीछे नहीं हटी तो भारतीय सेना को सियाचिन व करगिल के मोर्चे के अनुभव का इस्तेमाल करना होगा। जानकारी के लिए भारतीय सेना के पास उस सियाचिन हिमखंड में लड़ने और रुकने का भी अनुभव है जो दुनिया का सबसे ऊंचाई वाला युद्धस्थल माना जाता है।

जबकि 1999 के करगिल युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना करगिल की उन दुर्गम पहाड़ियों पर काबिज है जहां का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है। ठीक सियाचिन की तरह जहां न्यूनतम तामपान शून्य से 50 डिग्री नीचे भी चला जाता है। रक्षा सूत्रों के बकौल, चीन की सेना के लद्दाख के मोेर्चे पर टिके रहने की स्थिति में भारतीय सेना का खर्चा और बढ़ जाएगा जिसके लिए रक्षा मंत्रालय केंद्र सरकार से संपर्क में है।

दरअसल लद्दाख के चीनी कब्जे वाले इलाकों में सैनिकों की तैनाती सर्दी में भी करने के लिए सेना ने उपकरण व अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए खरीददारी की भी तैयारी आरंभ कर दी है। इनमें स्नो बूट, ठंड से बचाव करने वाले कपड़े आदि भी शामिल हैं।

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