India China Border Tension: सीमा विवाद को लेकर भारत-चीन की सेनाओं के बीच पांचवी कमांडर स्तर की बैठक आज
By स्वाति सिंह | Published: August 2, 2020 09:21 AM2020-08-02T09:21:41+5:302020-08-02T09:21:41+5:30
पहले खबर थी कि दोनों देशों के बीच होने वाली कमांडर स्तर की बातचीत टल गई है लेकिन भारत के दबाव में चीन को झुकना पड़ा। वह अब भी पैंगोंग औऱ देपसांग से पीछे हटने के संकेत नहीं दे रहा है। ऐसे में भारत उसे पीछे हटाने की भरसक कोशिश करेगा
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच रविवार को कमांडर स्तर की बातचीत होगी। यह वार्ता पूर्वी लद्दाख एलएसी के उस तरफ मोलडो में होनी है। बताया जा रहा है कि यह बैठक सुबह 11 बजे शुरू होनी है। भारत चीन को फिंगर एरिया से पूरी तरह पीछे हटाने की कोशिश करेगा।
वहीं, पहले खबर थी कि दोनों देशों के बीच होने वाली कमांडर स्तर की बातचीत टल गई है लेकिन भारत के दबाव में चीन को झुकना पड़ा। वह अब भी पैंगोंग औऱ देपसांग से पीछे हटने के संकेत नहीं दे रहा है। ऐसे में भारत उसे पीछे हटाने की भरसक कोशिश करेगा।
Armies of India and China to hold Corps Commander-level talks at Moldo on the Chinese side of Line of Actual Control today. In the meeting scheduled to start at 11am today, India side will focus on complete disengagement by China in the Finger area: Indian Army Sources pic.twitter.com/N9UzLHj3DX
— ANI (@ANI) August 2, 2020
पूर्वी लद्दाख में LAC पर माइनस 50 डिग्री में तैनात रहेंगे भारतीय जवान
भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान जल्द निकल पाने के संकेत नहीं मिलने के मद्देनजर पर्वतीय क्षेत्र के सभी अहम स्थानों पर सैन्य बलों, टैंकों और अन्य हथियारों की मौजूदा संख्या को सर्दियों के महीनों में भी बरकरार रखने की तैयारी कर रही है। इस संबंधी घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि भारतीय वायुसेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सीमावर्ती सैन्य अड्डों पर अत्यधिक सतर्कता बरतेगी और नौसेना भी चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में आक्रामक तैनाती बरकरार रखेगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय थलसेना पूर्वी लद्दाख में लंबे समय तक तैनात रहने के लिए व्यापक तैयारियां कर रही है। सैन्य वार्ता के पांचवें दौर के संबंध में चीनी सेना ने अभी पुष्टि नहीं की है। यह वार्ता पहले इस सप्ताह होने की उम्मीद थी। अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सामरिक विशेषज्ञों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी और अन्य स्थानों पर समग्र हालात का शनिवार को जायजा लिया। उन्होंने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे तैयारियों के संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को नियमित रूप से जानकारी दे रहे है।
चीन ने भी सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती की मजबूत
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सेनाएं उम्मीद कर रही हैं कि पैंगोग सो पर फिंगर प्वाइंट से बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाने संबंधी कार्यप्रणाली पर चर्चा के लिए कोर कमांडर स्तर की वार्ता का अगला दौर आगामी सप्ताह में होगा। गलवान घाटी में 15 जून को चीनी बलों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद भारत ने हजारों अतिरिक्त बलों और हथियारों को पूर्वी लद्दाख में सीमा के पास भेजा था। चीन ने भी सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती मजबूत की है। सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना ने गलवान घाटी और टकराव के अन्य बिंदुओं से अपने बलों को पीछे हटा लिया है, लेकिन भारत ने पैंगोंग सो में फिंगर प्वाइंट्स से भी बलों को पीछे हटाने की मांग की है।
इन क्षेत्रों से चीन ने बलों को वापस नहीं बुलाया है। क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के लक्ष्य से पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाली जगह से सेनाओं की वापसी को लेकर अभी तक दोनों देशों की सेनाओं के शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच चार चरण की वार्ता हो चुकी है। गौरतलब है कि पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर करीब दो घंटे तक पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिये चर्चा की थी । दोनों पक्षों ने इस वार्ता के बाद छह जुलाई के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की थी ।