भारत-चीन सीमा विवाद: एलएसी में 4 किमी बदलाव की थी साजिश, भारतीय सेना ने किया नाकाम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 27, 2020 06:07 AM2020-06-27T06:07:37+5:302020-06-27T06:07:37+5:30
. भारत अब चीन के बातचीत के झांसे से गुमराह नहीं होगा. सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
टेकचंद सोनवणे
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सैनिकों की हलचल बढ़ने के बाद सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने रात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की. बैठक में कहा गया कि ड्रैगन बातचीत की आड़ में घुसपैठ बढ़ाने की साजिश रच रहा है लेकिन भारत भी उनके मंसूबों से निपटने के लिए तैयार है. चीन को किसी भी हाल में सबक सिखाने को लेकर रक्षा मंत्रालय में सहमति बनी है. बैठक में वायुसेना प्रमुख आर. के. सिंह भदौरिया भी उपस्थित थे. दोनों दलों के प्रमुखों ने चीन की तुलना में भारतीय सेना और वायुसेना दल की ताकत की जानकारी सिंह को दी.
उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प को लेकर अब तक खुलासा नहीं हो पाया है. चीनी सैनिकों की वास्तविक नियंत्रण रेखा को चार किलोमीटर बदलने की साजिश को भारतीय जवानों ने नाकाम कर ड्रैगन को उसकी औकात दिखा दी है. इसके पहले भी नरवणे ने गलवान घाटी में तैनात अधिकारियों से चर्चा की थी. उस चर्चा से सामने आई जानकारी के आधार पर रक्षा मंत्री के साथ हुई इस बैठक में रणनीति तय की गई. रणनीति के तहत रूस से जल्द ही लड़ाकू विमानों की खरीदी की जाएगी. आगामी 15 दिनों में हवाई गश्त भी बढ़ाई जाएगी.
हालांकि, चीन अब भी बातचीत की रट लगाए हुए है. चीन ने उसके सैन्य अधिकारियों की ओर से बेसिर-पैर के दावों के साथ विदेश मंत्रालय की ओर सकारात्मक चर्चा का प्रस्ताव पेश करने की कुटिल नीति अपनाई है. भारत अब चीन के बातचीत के झांसे से गुमराह नहीं होगा. गलवान घाटी और पैंगोंग नदी परिसर में बड़ी संख्या में सेना तैनात है. अक्तूबर तक इसमें और बढ़ोत्तरी की जाएगी. फिलहाल उस इलाके में सैनिकों के लिए जरूरी सुविधाओं वाले कैंप बनाए जाएंगे. कड़ाके की ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों की खरीदी की जाएगी.
लड़ाकू नौकाएं खरीदने का प्रस्वात तैयार किया जाएगा
सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए जल्द ही फिलीपींस, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से लड़ाकू नौकाएं खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा. आर्थिक झटका चीन को सबसे पहली आर्थिक चुनौती मिली है ऊर्जा मंत्रालय से. सौर ऊर्जा उपकरणों के कलपुर्जों के निर्यात पर ऊर्जा मंत्रालय ने निर्यात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. इस वर्ष 15 फीसदी जबकि अगले वर्ष इसे बढ़ाकर 40 फीसदी तक कर दिया जाएगा. इसके पीछे का मकसद भारतीय उद्यमियों को बढ़ावा देकर चीन पर निर्भरता कम करना है. केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह ने इस फैसले की घोषणा की. 'लोकमत' ने 22 जून को इस संदर्भ में खबर प्रकाशित की थी. उन्होंने यह भी बताया कि चीन पर निर्भरता कम करने के लिए नई सौर ऊर्जा नीति तैयार की जाएगी.