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स्वतंत्रता दिवस 2018: आजादी की ये कविताएं भर देंगी आपमें देशभक्ति का जोश

By मेघना वर्मा | Updated: August 13, 2018 13:28 IST

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इस साल भारत देश अपनी 70वीं आजादी मना रहा है। इस जश्न में जहां लोग अपने घरों में शान से तिरंगा लहराते हैं वहीं कुछ लोग अपने घर वालों और जानने वालों को देश भक्ति से भरे संदेश भेजते हैं। आप ने भी देशभक्ति से भरे संदेश लोगों को भेजे होंगे मगर इस आजादी के दिन अपने दोस्तों को मात्र संदेश भेजने के बजाए उन्हें देशभक्ति से जुड़ी कविताएं भेजिए। ऐसी कविताएं जो आपके मन में देश के प्रति और भी प्यार जगा देंगी। 

1. प्यारा प्यारा मेरा देश,सबसे न्यारा मेरा देश।दुनिया जिस पर गर्व करे,ऐसा सितारा मेरा देश।चांदी सोना मेरा देश,सफ़ल सलोना मेरा देश।गंगा जमुना की माला का,फूलोँ वाला मेरा देश।आगे जाए मेरा देश,नित नए मुस्काएं मेरा देश।इतिहासों में बढ़ चढ़ कर,नाम लिखायें मेरा देश।

2. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

सदा शक्ति बरसाने वाला,प्रेम सुधा सरसाने वालावीरों को हर्षाने वालामातृभूमि का तन-मन सारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

स्वतंत्रता के भीषण रण में,लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,काँपे शत्रु देखकर मन में,मिट जाये भय संकट सारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इस झंडे के नीचे निर्भय,हो स्वराज जनता का निश्चय,बोलो भारत माता की जय,स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

आओ प्यारे वीरों आओ,देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,एक साथ सब मिलकर गाओ,प्यारा भारत देश हमारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

इसकी शान न जाने पावे,चाहे जान भले ही जावे,विश्व-विजय करके दिखलावे,तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,झंडा ऊँचा रहे हमारा।

– श्यामलाल गुप्त पार्षद

3. भागी परतंत्रता,आयी स्वतंत्रता,दिखलायी वीरता,वीरों की ललकार,देशभक्त की पुँकार,आगे बढ़े तरुणाईभारत को सजायेंगेरक्षक हम आज़ादी केगौरव को बढ़ायेंगेरह्स्त्र गीत गाएंगे,तिरंगा लहरायेंगे

4.  ऐ मेरे प्यारे वतन,ऐ मेरे बिछड़े चमनतुझ पे दिल कुरबान

तू ही मेरी आरजू़,तू ही मेरी आबरूतू ही मेरी जान

तेरे दामन से जो आएउन हवाओं को सलामचूम लूँ मैं उस जुबाँ कोजिसपे आए तेरा नाम

सबसे प्यारी सुबह तेरीसबसे रंगी तेरी शामतुझ पे दिल कुरबान

माँ का दिल बनके कभीसीने से लग जाता है तूऔर कभी नन्हीं-सी बेटीबन के याद आता है तूजितना याद आता है मुझकोउतना तड़पाता है तूतुझ पे दिल कुरबान

छोड़ कर तेरी ज़मीं कोदूर आ पहुँचे हैं हमफिर भी है ये ही तमन्नातेरे ज़र्रों की कसम

हम जहाँ पैदा हुए उसजगह पे ही निकले दमतुझ पे दिल कुरबान

- प्रेम धवन

5. भारत देश हमारा प्यारा।सारे विश्व में हैं न्यारा।अलग अलग हैं यहाँ रूप रंग।पर सभी एक सुर में गाते।झेंडा ऊँचा रहे हमारा।

हर परदेश की अलग जुबान।पर मिठास की उनमे शान।अनेकता में एकता पिरोकर।सबने मिल जुल कर देश संवारा।

लगा रहा हैं भारत सारा।‘हम सब एक हैं’ का नारा।

6. सारे जहाँ से अच्छाहिंदुस्तान हमारा

हम बुलबुलें हैं उसकीवो गुलसिताँ हमारा।

परबत वो सबसे ऊँचाहमसाया आसमाँ का

वो संतरी हमारावो पासबाँ हमारा।

गोदी में खेलती हैंजिसकी हज़ारों नदियाँ

गुलशन है जिनके दम सेरश्क-ए-जिनाँ हमारा।

मज़हब नहीं सिखाताआपस में बैर रखना

हिंदी हैं हम वतन हैहिंदुस्तान हमारा।

- मुहम्मद इक़बाल

7. नमो, नमो, नमो।नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!

नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!

हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतुहम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतुपवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!

तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओरकरते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

- रामधारी सिंह ‘दिनकर’

8. पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई।वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥

हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे।गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

- अटल बिहारी वाजपेयी

9. हरी भरी धरती होनीला आसमान रहेफहराता तिरँगा,चाँद तारों के समान रहे।त्याग शूर वीरतामहानता का मंत्र हैमेरा यह देशएक अभिनव गणतंत्र है

शांति अमन चैन रहे,खुशहाली छायेबच्चों को बूढों कोसबको हर्षाये

हम सबके चेहरो परफैली मुस्कान रहेफहराता तिरँगा चाँदतारों के समान रहे।

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