हिंसा के बाद दर्ज प्राथमिकी में प्रमुख किसान नेताओं के ‘नाम’, दो किसान संघ प्रदर्शन से अलग हुए

By भाषा | Updated: January 27, 2021 20:59 IST2021-01-27T20:59:19+5:302021-01-27T20:59:19+5:30

In the FIR lodged after the violence, the names of prominent peasant leaders, two farmers associations separated from the demonstration | हिंसा के बाद दर्ज प्राथमिकी में प्रमुख किसान नेताओं के ‘नाम’, दो किसान संघ प्रदर्शन से अलग हुए

हिंसा के बाद दर्ज प्राथमिकी में प्रमुख किसान नेताओं के ‘नाम’, दो किसान संघ प्रदर्शन से अलग हुए

नयी दिल्ली, 27 जनवरी दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में 300 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद इस मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं। वहीं दो किसान संघों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन से बुधवार को अलग होने का फैसला किया।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि 22 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिये विभिन्न वीडियो और सीसीटीवी फुटेज देखी जा रही हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने कहा कि समयपुर बादली में दर्ज प्राथमिकी में टिकैत, यादव, दर्शन पाल और चढ़ूनी समेत 37 किसान नेताओं के नाम हैं और उनकी भूमिका की जांच की जाएगी।

प्राथमिकी में आईपीसी की कई धाराओं का उल्लेख है जिनमें 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगों के लिए सजा), 353 (किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकना) और 120बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं।

किसान संघ लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि “असामाजिक” तत्वों ने कृषि कानूनों के खिलाफ उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को “नष्ट करने के लिये” हिंसा की साजिश रची थी, हालांकि मंगलवार को हुई हिंसा को लेकर बड़े पैमाने पर हो रही आलोचना का असर दिख रहा है और भारतीय किसान यूनियन (भानु) और ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन से हटने का फैसला किया है।

प्रदर्शनकारी किसान संगठन गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के मद्देनजर, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक फरवरी को संसद तक प्रस्तावित पैदल मार्च को स्थगित करने पर भी विचार कर रहे हैं।

एक वरिष्ठ किसान नेता ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) एक फरवरी के पैदल मार्च को स्थगित करने पर अंतिम फैसला करेगा।

एसकेएम 41 प्रदर्शनकारी किसान संघों का एक समूह है।

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने बुधवार को लाल किले का दौरा कर ऐतिहासिक इमारत में किसानों के एक समूह द्वारा जबरन घुसने और सिखों के धार्मिक ध्वज ‘निशान साहिब’ लगाने से हुए नुकसान का जायजा लिया।

मंत्री ने घटना की रिपोर्ट भी तलब की है।

मंत्री के दौरे के दौरान मेटल डिटेक्टर गेट एवं टिकट कांउटर में की गई तोड़फोड़ को देखा जा सकता था। इसके अलावा लाल किला परिसर में कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे। पटेल के साथ संस्कृति मंत्रालय के सचिव एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक मौजूद थे।

राष्ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर सुरक्षा बढ़ाई गई है और लाल किला व किसानों के प्रदर्शन स्थल पर अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।

दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों ने लाल किला मेट्रो स्टेशन को बंद करने के साथ ही जामा मस्जिद स्टेशन पर भी प्रवेश को बंद रखा।

तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांग को रेखांकित करने के लिये गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा आयोजित ट्रैक्टर परेड में तब अव्यवस्था फैल गई जब हजारों प्रदर्शनकारी किसानों ने बैरियर तोड़ डाले और पुलिस कर्मियों से भिड़ गए। इस दौरान कई गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया गया।

किसानों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को आरोप लगाया कि अभिनेता दीप सिद्धू जैसे ‘‘असामाजिक’’ तत्वों ने उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को साजिश के तहत ‘‘नष्ट’’ करने की कोशिश की। लेकिन सरकार और नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों को यह संघर्ष रोकने नहीं दिया जाएगा।

एक बयान में मोर्चा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार इस किसान आंदोलन से पूरी तरह से हिल गई है। इसलिए, किसान संगठनों के शांतिपूर्ण आंदोलन के खिलाफ किसान मजदूर संघर्ष कमेटी और अन्य के साथ मिल कर एक गंदी साजिश रची गई तथा ऐसा करने वाले लोग संयुक्त रूप से संघर्ष कर रहे संगठनों का हिस्सा नहीं है। ’’

उसने आरोप लगाया कि इन संगठनों ने किसानों के इस प्रदर्शन के शुरू होने के 15 दिन बाद अपने अलग प्रदर्शन स्थल बनाए।

बयान में दावा किया गया, “वे उन संगठनों का हिस्सा नहीं थे जिन्होंने संयुक्त रूप से यह संघर्ष किया।”

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ भी हुआ उससे वह काफी दुखी हैं और उनकी यूनियन ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया है।

भाकियू (भानु) से जुड़े किसान नोएडा-दिल्ली मार्ग की चिल्ला सीमा पर प्रदर्शन कर रहे थे।

‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-आर्डिनेशन कमेटी’ के वी एम सिंह ने कहा कि उनका संगठन मौजूदा आंदोलन से अलग हो रहा है क्योंकि वे ऐसे विरोध प्रदर्शन में आगे नहीं बढ़ सकते जिसमें “कुछ की दिशा अलग” है।

इस बीच ट्रैक्ट्रर रैली में हुई हिंसा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दो याचिकाएं भी दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिका में घटना की जांच के लिये उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में घटना की जांच के लिये आयोग बनाए जाने की मांग की गई है जबकि दूसरी याचिका में मीडिया को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह बिना किसी साक्ष्य के किसानों को “आतंकवादी” घोषित न करे।

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Web Title: In the FIR lodged after the violence, the names of prominent peasant leaders, two farmers associations separated from the demonstration

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