लॉकडाउनः रोहिंग्या तलाश रहे हैं जीवन की बेहतर स्थिति, रमजान का रोजा खोलने के लिए हर दिन व्यंजन बनाने की तैयारी

By भाषा | Published: May 8, 2020 04:47 PM2020-05-08T16:47:55+5:302020-05-08T16:47:55+5:30

लॉकडाउन के दौरान रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में रमजान का रोजा खोलने के लिए हर दिन स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की तैयारी की जाती है। मोहम्मद अय्यूब अपने पड़ोसी का स्वागत करते हुए उसके लिए भोजन की व्यवस्था करता है।

in Tamil Nadu during lockdown Rohingya Looking for better living conditions | लॉकडाउनः रोहिंग्या तलाश रहे हैं जीवन की बेहतर स्थिति, रमजान का रोजा खोलने के लिए हर दिन व्यंजन बनाने की तैयारी

उबलते पानी के बड़े से बर्तन में नूडल्स डालता है जबकि अन्य व्यक्ति अस्थायी स्टोव में लकड़ी के जलावन डालने का काम करता है। (फोटो-सोशल मीडिया)

Highlights रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में रमजान का रोजा खोलने के लिए हर दिन स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की तैयारी की जाती है।संकट के इस माहौल में‍ व्यंजन बना कर सबको खिला पाना, माहौल में फैली निराशा को कम करने की कोशिश है। चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए, मोहम्मद अय्यूब अपने पड़ोसी का स्वागत करते हुए उसके लिए भोजन की व्यवस्था करता है।

चेन्नई: केलमबक्कम उपनगर में एक शांत स्थान पर बने रोहिंग्या शरणार्थी शिविर में रमजान का रोजा खोलने के लिए हर दिन स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की तैयारी की जाती है। संकट के इस माहौल में‍ व्यंजन बना कर सबको खिला पाना, माहौल में फैली निराशा को कम करने की कोशिश है। चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए, मोहम्मद अय्यूब अपने पड़ोसी का स्वागत करते हुए उसके लिए भोजन की व्यवस्था करता है।

वह उबलते पानी के बड़े से बर्तन में नूडल्स डालता है जबकि अन्य व्यक्ति अस्थायी स्टोव में लकड़ी के जलावन डालने का काम करता है। पास में स्थित चिकन और मटन की दुकान पर ‘कसाई’ का काम करने वाला, 22 वर्षीय अय्यूब कहता है कि अपने गृह देश म्यामां में जीवन के ‘कड़वे’ चरण का सामना करने के बाद ‍वह अल्लाह का शुक्रगुजार है कि उसे रमजान के पाक माह में शांति से इबादत करने एवं रोजे रखने का मौका मिल रहा है।

वह कहता है, “तमिलनाडु बहुत पसंद है। अय्यूब उन लोगों में से है जो कुछ वक्त जम्मू-कश्मीर में रहने के बाद 2016 में तमिलनाडु आए। वे म्यामां से संकटपूर्ण सफर के बाद जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। प्रतिबंधों के कारण क्या उसकी कमाई पर कोई फर्क पड़ा, यह पूछने पर उसने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं खुश हूं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं कि लॉकडाउन के दौरान भी मेरे पास काम है। मैं जिस स्टॉल पर काम करता हूं वह सुबह नौ बजे से दोपहर तक खुली रहती है।

मैं करीब 10,000 रुपये कमा लेता हूं।” केलमबक्कम में स्थित इस शरणार्थी भवन में फिलहाल 100 रोहिंग्या रह रहे हैं जो 18 परिवारों से हैं। कुछ रोहिंग्या पुरुष मीट-मांस की दुकान पर काम करते हैं, कुछ रेस्तरां में सहायक हैं जबकि कुछ अन्य सामान पहुंचाने जैसा काम करते हैं। ये शरणार्थी कांचीपुरम में विदेशी नागरिक पंजीकरण कार्यालय (पुलिस अधीक्षक) में पंजीकृत हैं और उनके पास अधिकारियों की तरफ से जारी की गई आवासीय मंजूरी है। 

Web Title: in Tamil Nadu during lockdown Rohingya Looking for better living conditions

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