मोदी-शाह के दाँव से ही उन्हें देना चाहती है मात, 2014 से पहले जो ट्रिक बीजेपी ने खेली अब वही खेल रही है कांग्रेस
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: September 10, 2018 01:44 PM2018-09-10T13:44:47+5:302018-09-10T16:32:46+5:30
चार साल से देश की सत्ता को सुव्यवस्था से चलाने के बाद अब विपक्ष ने आगामी चुनावों से थोड़े पहले हल्ला बोलना शुरू कर दिया है।
देशभर में कांग्रेस ने पेट्रोल डीजल के लगातार बढ़ते दामों के कारण बंद का आवाहन किया हैं। कांग्रेस के साथ 20 अन्य दलों ने इसका समर्थन किया है। ऐसे में अलग अलग हिस्सों में विभिन्न रूपों में भारत बंद का असर भी देखने को मिल रहा है। चार साल से देश की सत्ता को सुव्यवस्था से चलाने के बाद अब विपक्ष ने आगामी चुनावों से थोड़े पहले हल्ला बोलना शुरू कर दिया है। 2014 से अब तक की बात की जाए तो 2018 सरकार के लिए खासा मुसीबतों से भरा रहा है अब तक। सरकार को 2018 से अब तक एक के बाद एक 3 बार 'भारत बंद' का सामना करना पड़ा। चंद महीनों में 3 बार भारत बंद ने सरकार के लिए मुसीबतें भी खड़ी कर दी हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले सरकार को बंद के लिए जरिए घेरा जाना चुनाव के ऊपर असर डालने वाला हो सकता है।
2 अप्रैल को भारत बंद
मोदी सरकार के आने के बाद पहली बार मुख्य रूप में 2 अप्रैल में भारत बंद का आवाहन किया था। ये बंद एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने किया था। इस दौरान काफी हिंसक रूप भी देखने को मिला था। जगह जगह ट्रेन और बसे रोकी गईं थीं। हांलाकि जान-माल का काफी नुकसान भी हुआ। बड़े रूप में लोग घायल हो गए थे। इस दौरान हिंसा ने इतना बड़ा रूप लिया था कि कुछ दिन तक कई क्षेत्रों में धारा 144 लागू दी गई थी।
10 अप्रैल को सवर्णों का भारत बंद
2 तारीख के चंद दिनों बाद ही 10 अप्रैल को आरक्षण के विरोध में सवर्णों ने भारत बंद का आयोजन देशभर में बुलाया था। हांलाकि इस बंद से पहले सरकार ने कड़े निर्देश जारी किए थे। ऐसे में हिंसा ना फैसे पहले से ही कई अहम राज्यों में धारा 144 लगा दी गई थी।
6 सितंबर को भारत बंद
सवर्ण संगठनों ने एससी/एसटी संशोधन अधिनियम के खिलाफ 6 सितंबर को भारत बंद बुलाया। ये बंद काफी बड़े रूप में था। जगह जगह इसका रूप भी देखने को मिला था।सवर्णों के भारत बंद का असर बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में दिखा था। इसके कारण देश के राजस्व में करोड़ों का नुकसान हुआ था।
आगामी चुनावों पर असर
इस बंद का आगामी चुनावों में खासा असर पड़ने वाला है। इसी साल अंत तक देश की तीन विधानसभा में चुनाव होने हैं। साथ ही 2019 के चुनाव में भी ज्यादा समय अब नहीं बचा है। ऐसे में विपक्ष चुनाव से पहले भारत बंद बुलाकर सरकार पर प्रेशर बना रही है। इतना ही नहीं आम लोगों तक बंद के जरिए मैसेज दे रही है कि आखिर बीजेपी जो हमेशा महंगाई कम करने की बात कहती थी तो बार बार क्यों पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। वहीं, आगामी चुनाव से पहले देश में बीजेपी के लिए चिंताजनक हालात बन रहे हैं इससे लग है कि मोदी और अमित शाह को आगे की रणनीति बनाने के लिए नए सिरे से सोचना होगा। आम चुनाव से पहले बचे शेष 8 महीनों में मोदी-शाह की जोड़ी क्या कुछ कर पाती है जिससे वह विपक्षी हमलों का सामना कर सके। ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत बंद जैसे मुद्दों को विपक्ष उठाया रहा तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खासा बढ़ने वाली हैं।
बीजेपी का दांव खेल रही है कांग्रेस
2014 चुनाव से पहले बीजेपी भी इसी तरह के तेवर में थी जैसे कांग्रेस के देखने को मिल रहे हैं। 2014 चुनाव से पहले बीजेपी ने महंगाई को लेकर अलग अलग रूपों में प्रदर्शन किया था। बीजेपी के बड़े से बड़े नेता सड़कों पर उतरे थे और गैस सिलेंडर जैसे कई मुद्दों को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया था। बीजेपी ने उस समय जो दांव खेला था उसका पार्टी का लोकसभा चुनाव में खासा लाभ मिला था। ऐसे में अब कांग्रेस भी उसी राह पर चलते हुए बीजेपी को आड़ें हाथों ले रही है। कांग्रेस भी उसी रूप में सड़कों पर उतरकर बढ़ते दामों और महंगाई को लेकर प्रदर्शन कर रही है।
खैर ये आगामी समय में साफ हो जाएगा आम जनता बीजेपी की महंगाई का बरकरार रखेगी या फिर कांग्रेस के दांव के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी।