जम्मू-कश्मीर की जेलों में कैदियों को परिजनों से मुलाकात की व्यवस्था बहाल हुई
By भाषा | Updated: January 27, 2021 20:32 IST2021-01-27T20:32:26+5:302021-01-27T20:32:26+5:30

जम्मू-कश्मीर की जेलों में कैदियों को परिजनों से मुलाकात की व्यवस्था बहाल हुई
(तारिक सोफी)
जम्मू, 27 जनवरी मां के साथ जेल में कैद पिता से मिलने जा रहे नौ वर्ष के मोहम्मद हुसैन के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी क्योंकि उसे पता था अब पिता से मिलने पर कोई बंदिश नहीं है। दरअसल, प्रशासन ने कोविड-19 महामारी की वजह से कैदियों के परिजनों से ‘मुलाकात’ की व्यवस्था 10 महीने तक बंद रखने के बाद बहाल कर दी है।
‘मुलाकात’ की व्यवस्था के तहत कैदियों को उनके परिजनों से मिलने की अनुमति दी जाती है।
हुसैन जम्मू-कश्मीर के अन्य कई परिवारों में शामिल था जो ‘मुलाकात’ की व्यवस्था बहाल होने के पहले दिन शहर के बीचों-बीच स्थित अम्फाला जिला जेल में बंद अपने परिजनों से मिलने के लिए कतार में खड़े थे।
जेल अधीक्षक मिर्जा सलीम अहमद बेग ने व्यवस्था को बहाल करने को कैदियों एवं उनके परिजनों के लिए गणतंत्र दिवस का उपहार करार दिया।
मुंबई से यहां पिता ऐजाज से मिलने आए हुसैन ने कहा, ‘‘ मैं लंबे समय के बाद पिता को देख रहा हूं।’’
उल्लेखनीय है कि ऐजाज विचाराधीन कैदी है और मई2019 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
ऐजाज के चार बच्चों में सबसे छोटा और चौथी कक्षा में पढ़ने वाले हुसैन् ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ महामारी से पहले मैं अपने पिता से मिला था और दोबारा उनसे मिलने के लिए आने पर खुश हूं। हालांकि लॉकडाउन में मैंने कई बार उनसे फोन पर बात की थी।’’
जेल परिसर में बने नवनिर्मित मुलाकात कक्ष में भावनात्मक दुश्य देखने को मिला जहां पर 17 कूपे बने हुए है और कोने में बच्चों के खेलने की जगह है। कक्ष में आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई गई है जिनमें साउंडफ्रूफ दीवार शामिल है जिससे मुलाकात के दौरान शोर नहीं हो एवं कैदियों से मुलाकात के दौरान सुकूनपूर्ण महौल मिले।
जेल अधीक्षक मिर्जा सलीम अहमद बेग ने कहा कि कारावास विभग ने पुलिस महानिदेशक (कारागार) वीके सिंह के नेतृत्व में कैदियों को फोन कॉल एवं वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा दी है लेकिन ‘आमने-सामने की मुलाकात’ की अलग ही बात होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम कैदियों की निराशा को समझ सकते हैं जो कोविड--19 महामारी की वजह से मुलाकात की व्यवस्था बंद किए जाने की वजह से पिछले साल 24 मार्च के बाद से अपने परिजनों से नहीं मिले... महीने में एक बा अधिकतर तीन परिजनों को मुलाकात की अनुमति देना सही दिशा में उचित समय पर उठाया गया कदम है। यह कैदियों एवं उनके परिजनों को गणतंत्र दिवस का उपहार है।’’
जम्मू के चट्टा इलाके के रहने वाले अमित कुमार की मां भी छेड़छाड़ के मामले में हुई बेटे की गिरफ्तारी के आठ महीने बाद जब मिली तो भावना पर काबू नहीं कर सकी और बार-बार उनके आंसू छलकते नजर आए।
पति और दूसरे बेटे के साथ आई महिला ने कहा कि जबसे गिरफ्तारी हुई है वह रात को सो नहीं पाई है। हालांकि, वह नाम जाहिर करने को तैयार नहीं हुईं।
उन्होंने कहा, ‘‘ अब मैंने उसे देख लिया है, अब मैं शांति से मर सकूंगी।’’
दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड के रहने वाले बशीर अहमद भी मुलाकात व्यवस्था बहाल होने के पहले दिन अपने बेटे सज्जाद से मिलने आए थे। उनके बेटे को दिसंबर 2019 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सरकार ने मुलाकात व्यवस्था बहाल कर दी है। इसके बाद मैंने तुरंत जेल अधिकारियों से संपर्क किया। सज्जाद की ढाई साल की बेटी पिता से मिलने को ललायित थी।’’
जब अहमद बात कर रहे थे तब उनकी पोती सज्जाद से मिल रही थी और गले मिलने की इच्दा जता रही थी।
जेल कर्मियों ने भी परिवार के साथ कैदियों से मुलाकात करने आने वाले बच्चों को टॉफी दी।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के 14 जेलों में कुल 539 कैदी कोरोना वायरस की चपेट में आए थे जिनमें सबसे अधिक 174 मामले अम्फाल्ला जेल में आए थे। यहां 650 कैदी बंद हैं।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।