बिहार: भाजपा ने राज्य निर्वाचन आयोग उठाया सवाल, कहा- अंधेर नगरी चौपट राजा
By एस पी सिन्हा | Published: November 30, 2022 04:41 PM2022-11-30T16:41:07+5:302022-11-30T16:48:11+5:30
बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि अब राज्य निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग साफ तरीके से काम न करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दफ्तर का कर्मचारी बनकर काम कर रहा है।

बिहार: भाजपा ने राज्य निर्वाचन आयोग उठाया सवाल, कहा- अंधेर नगरी चौपट राजा
पटना: बिहार में जदयू और भाजपा के अलग होने के बाद अब पहली बार कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आमने-सामने है। इस सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने वाला है और यह उपचुनाव, मौजूदा विधायक अनिल कुमार सहनी की अयोग्यता के कारण हो रहा है। वहीं, इस चुनाव से पहले बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने चुनाव आयोग पर ही सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि अब राज्य निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग साफ तरीके से काम न करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दफ्तर का कर्मचारी बनकर काम कर रहा है। उन्होंने पटना के गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र बांटने, गया में गंगा जल आपूर्ति योजना का शुभारंभ किए जाने पर सवाल उठाया है। पूछा है कि क्या यह आचार संहिता के दायरे में आता है, यदि हां तो फिर क्या कार्रवाई की गई?
और यदि नहीं तो फिर राज्य के सांसद-विधायकों को डीएम इसका हवाला क्यों देते हैं? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सभी विभागों के सचिव खुलेआम राजधानी में पुरानी नौकरियों को नया बताकर नियुक्ति पत्र बांटते हैं। लेकिन, निर्वाचन आयोग इन पर आदर्श आचार सहिंता लागू नहीं करता है। उन्होंने एक और उदाहरण देते हुए कहा कि गया में नल जल योजना का सार्वजनिक उद्घाटन एवं सभा करते हैं।
इसका संज्ञान लेने की सुध निर्वाचन आयोग को नहीं है। डॉ जायसवाल ने बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने वीडियो भी शेयर किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी सांसद या विधायक को नगर में छह महीने पुरानी सड़कों का भी उद्घाटन करना होता है तो डीएम हमें नियम समझाने लगते हैं। कहते हैं कि आदर्श आचार संहिता लागू है।
यही नहीं 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के कार्यक्रम करने में भी आदर्श आचार संहिता की दुहाई देकर रोक दिया जाता है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के द्वारा नगर में किया जाने वाला काम क्या यह नगर में लगे आदर्श आचार संहिता के तहत नहीं आता? अगर आता है तो मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर आयोग ने प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई? यदि यह उस दायरे में नहीं आता तो सांसद-विधायकों को क्यों इसका पाठ पढ़ाया जाता है? अंत में उन्होंने अंधेर नगरी, चौपट राजा वाली लोकोक्ति लिखी है।